ऑफ-बजट उधारी का अवलोकन
तमिलनाडु के ऑफ-बजट ऋण 31 मार्च 2024 तक बढ़कर ₹3,919.10 करोड़ तक पहुँच गए, जो मार्च 2023 के ₹2,298.54 करोड़ की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाते हैं।
ये उधार मुख्य रूप से राज्य की सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं (State PSUs) द्वारा लिए जाते हैं, लेकिन इनका भुगतान राज्य बजट से किया जाता है, जिससे यह अप्रत्यक्ष रूप से राज्य की कुल राजकोषीय देनदारियों में जुड़ते हैं।
स्थैतिक जीके तथ्य: तमिलनाडु भारत का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है, जिसकी आबादी 7.5 करोड़ से अधिक है, और यह इसके वित्तीय नियोजन और बजट आवंटन को सीधे प्रभावित करता है।
प्रमुख योगदानकर्ता
ऑफ-बजट ऋण में प्रमुख योगदानकर्ताओं में —
• जल संसाधन संरक्षण विभाग ने ₹1,591.53 करोड़ का उधार लिया।
• जल एवं स्वच्छता पूल निधि (Water and Sanitation Pooled Fund) ने ₹380.14 करोड़ का योगदान दिया।
ये संस्थाएँ अवसंरचना और जल प्रबंधन परियोजनाओं पर कार्य करती हैं, जिनके लिए नियमित बजट से अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता होती है।
वित्तीय प्रभाव
ऑफ-बजट उधारी से राज्य की आकस्मिक देनदारियाँ (contingent liabilities) बढ़ती हैं, क्योंकि इनका पुनर्भुगतान अंततः राज्य बजट के माध्यम से किया जाता है।
इसलिए, सतत ऋण प्रबंधन (sustainable debt management) सुनिश्चित करने के लिए ऐसे ऋणों की निगरानी आवश्यक है, ताकि राजकोषीय स्थिरता (fiscal health) बनी रहे।
स्थैतिक जीके टिप: तमिलनाडु परंपरागत रूप से राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम (FRBM Act) के तहत 3% की राजकोषीय घाटा सीमा बनाए रखता आया है।
भविष्य की उधारी योजना
वित्तीय वर्ष 2025–26 के लिए तमिलनाडु ने ₹1,62,096.76 करोड़ उधार लेने और ₹55,844.53 करोड़ का पुनर्भुगतान करने की योजना बनाई है।
इसके परिणामस्वरूप, 31 मार्च 2026 तक राज्य का कुल बकाया ऋण ₹9,29,959.3 करोड़ तक पहुँचने का अनुमान है।
यह दर्शाता है कि राज्य अपने विकास परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए बजट और ऑफ-बजट दोनों प्रकार की उधारी पर बढ़ती निर्भरता दिखा रहा है।
स्थैतिक जीके तथ्य: तमिलनाडु भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 8% योगदान देता है, इसलिए इसका वित्तीय प्रबंधन देश की कुल आर्थिक स्थिरता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
तमिलनाडु की बढ़ती ऑफ-बजट उधारी राज्य के विकासात्मक दायित्वों और वित्तीय दबावों दोनों को प्रतिबिंबित करती है।
पारदर्शी रिपोर्टिंग, कुशल निगरानी, और रणनीतिक पुनर्भुगतान योजनाएँ आवश्यक हैं ताकि अवसंरचना विकास और राजकोषीय उत्तरदायित्व के बीच संतुलन बनाए रखा जा सके।
स्थैतिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| ऑफ–बजट उधारी (2024) | ₹3,919.10 करोड़ |
| ऑफ–बजट उधारी (2023) | ₹2,298.54 करोड़ |
| जल संसाधन संरक्षण विभाग की उधारी | ₹1,591.53 करोड़ |
| जल एवं स्वच्छता पूल निधि (WSPF) | ₹380.14 करोड़ |
| 2025–26 के लिए नियोजित उधारी | ₹1,62,096.76 करोड़ |
| 2025–26 के लिए नियोजित पुनर्भुगतान | ₹55,844.53 करोड़ |
| 2026 तक अनुमानित कुल बकाया ऋण | ₹9,29,959.3 करोड़ |
| मुख्य चिंता | राज्य बजट के माध्यम से पुनर्भुगतान से देनदारियाँ बढ़ना |





