दवा सुरक्षा को मज़बूती देने की दिशा में बड़ा कदम
भारत ने औषधि आपूर्ति श्रृंखला में सर्वोच्च सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन राष्ट्रीय औषधि लाइसेंसिंग प्रणाली (ONDLS) की शुरुआत की है। यह प्रणाली केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत शुरू की गई है। यह प्लेटफ़ॉर्म दवाओं में इस्तेमाल होने वाले फार्मा-ग्रेड सॉल्वेंट्स की रियल-टाइम ट्रैकिंग और सत्यापित सामग्री के उपयोग की निगरानी करेगा।
यह कदम उन त्रासद घटनाओं के बाद उठाया गया, जिनमें डायथिलीन ग्लाइकोल (DEG) से दूषित कफ सिरप के कारण कई बच्चों की मौत हुई थी। यह पहल भारत के दवा निर्यात और घरेलू औषधि निर्माण में विश्वसनीयता बहाल करने का प्रयास है।
स्थैतिक जीके तथ्य: CDSCO, Drugs and Cosmetics Act 1940 के अंतर्गत कार्य करता है और यह भारत की राष्ट्रीय औषधि एवं चिकित्सकीय उपकरण नियामक संस्था है।
सुधार की पृष्ठभूमि
ONDLS की तत्कालिक आवश्यकता मध्य प्रदेश कफ सिरप त्रासदी के बाद सामने आई, जिसमें DEG संदूषण से कई बच्चों की मौत हुई। जांच में पाया गया कि कच्चे माल की सोर्सिंग और गुणवत्ता जांच में गंभीर खामियाँ थीं। इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी चिंता व्यक्त की। भारत में 1970 के दशक से ऐसे कई DEG ज़हरखोरी के मामले सामने आते रहे हैं, जिससे यह सुधार अब अत्यंत आवश्यक बन गया था।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत में पहला बड़ा DEG ज़हरखोरी मामला 1972 में महाराष्ट्र में सामने आया था, जिसमें 80 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी।
ONDLS की मुख्य विशेषताएँ
ONDLS एक केन्द्रीयकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो निम्न कार्यों के लिए बनाया गया है:
- फार्मा-ग्रेड सॉल्वेंट उत्पादन की निगरानी और लाइसेंसिंग।
- प्रत्येक बैच की ट्रैकिंग निर्माण से लेकर उपयोग तक।
- प्रमाणपत्रों और दस्तावेज़ों की स्वतः जांच।
- गैर-सत्यापित या गैर-अनुपालन बैचों का स्वतः अवरोध।
पहले यह प्रणाली केवल लाइसेंसिंग को डिजिटाइज़ करने के लिए शुरू की गई थी, लेकिन अब इसे संपूर्ण सामग्री ट्रेसएबिलिटी और विशेष रूप से सिरप जैसी तरल दवाओं में दूषण की रोकथाम के लिए सशक्त किया गया है।
निगरानी में आए प्रमुख सॉल्वेंट्स
CDSCO ने कई उच्च जोखिम वाले फार्मास्युटिकल सॉल्वेंट्स को अनिवार्य ट्रैकिंग के अंतर्गत लाया है — जैसे ग्लिसरीन, प्रोपाइलीन ग्लाइकोल, सोर्बिटोल, माल्टिटोल, एथिल अल्कोहल, और हाइड्रोजेनेटेड स्टार्च हाइड्रोलिसेट।
शुद्ध अवस्था में ये सुरक्षित हैं, लेकिन औद्योगिक ग्रेड के मिलावट या डायथिलीन ग्लाइकोल (DEG) से संदूषित होने पर घातक बन जाते हैं।
स्थैतिक जीके टिप: डायथिलीन ग्लाइकोल (DEG) एक रंगहीन, गंधहीन तरल है जिसका उपयोग एंटीफ्रीज़ और ब्रेक फ्लूइड्स में किया जाता है, लेकिन मानव शरीर के लिए यह घातक है।
क्रियान्वयन और निगरानी
22 अक्टूबर 2025 को जारी CDSCO परिपत्र के अनुसार, सभी सॉल्वेंट निर्माताओं को ONDLS सिस्टम में बैच-वार प्रविष्टियाँ करना अनिवार्य किया गया है।
राज्य औषधि नियंत्रकों को निरीक्षण, अनुपालन ऑडिट और प्रशिक्षण अभियानों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इसके अतिरिक्त, “पुराना लाइसेंस प्रबंधन मॉड्यूल” पुराने लाइसेंसों को नए डिजिटल सिस्टम में जोड़ने में मदद करेगा।
इस पहल की देखरेख केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति द्वारा की जा रही है, ताकि राज्यों और केंद्र एजेंसियों में समन्वय सुनिश्चित किया जा सके।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत मात्रा के हिसाब से विश्व का तीसरा सबसे बड़ा औषधि उत्पादक देश है और यह विश्व के जेनेरिक दवा निर्यात का 20% से अधिक योगदान देता है।
अपेक्षित परिणाम
ONDLS से दवाओं में संदूषण की घटनाओं में भारी कमी, वैश्विक निर्यात विश्वसनीयता में सुधार, और भारत की फार्मा हब के रूप में साख को मजबूत करने की उम्मीद है।
सरकार का उद्देश्य डिजिटल निगरानी और सख्त विनियामक नियंत्रणों के माध्यम से यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में ऐसी त्रासदियाँ दोबारा न हों।
स्थैतिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| प्रणाली का नाम | ऑनलाइन राष्ट्रीय औषधि लाइसेंसिंग प्रणाली (ONDLS) |
| प्रारंभकर्ता | केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) |
| निगरानी मंत्रालय | केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय |
| लॉन्च तिथि | 22 अक्टूबर 2025 |
| उद्देश्य | फार्मास्युटिकल सॉल्वेंट्स की रियल-टाइम ट्रैकिंग और लाइसेंसिंग |
| प्रेरक घटना | मध्य प्रदेश में DEG दूषित कफ सिरप से बच्चों की मौतें |
| मुख्य सॉल्वेंट्स की निगरानी | ग्लिसरीन, प्रोपाइलीन ग्लाइकोल, सोर्बिटोल, माल्टिटोल, एथिल अल्कोहल |
| क्रियान्वयन भूमिका | राज्य औषधि नियंत्रक – निरीक्षण एवं ऑडिट |
| वैश्विक संदर्भ | WHO ने भारत की औषधि निर्यात गुणवत्ता पर चिंता जताई |
| दीर्घकालिक लक्ष्य | दवा निर्माण में सुरक्षा, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना |





