तेज़ आक्रमण के लिए नई विशेष इकाइयाँ
भारतीय सेना ने 25 नई भैरव बटालियनें गठित की हैं, जिन्हें उच्च गति, स्थल-विशिष्ट और आश्चर्यजनक अभियानों के लिए तैयार किया गया है। ये बटालियन सामान्य इन्फेंट्री और स्पेशल फोर्सेस के बीच की रणनीतिक कमी को पूरा करती हैं, जिससे भारत की त्वरित और सटीक अभियानों की क्षमता कई गुना बढ़ गई है।
स्थिर जीके तथ्य: भारतीय सेना की स्थापना 1 जनवरी 1895 को हुई थी और यह भारतीय सशस्त्र बलों का सबसे बड़ा अंग है।
प्रत्येक भैरव बटालियन में लगभग 250 सैनिक होते हैं, जो सामान्य घातक प्लाटून (20 सदस्य) से कहीं बड़ी हैं। इनका उद्देश्य सीमापार हमलों, गहन टोही (Reconnaissance) और त्वरित प्रतिक्रिया अभियानों को मजबूत करना है।
रणनीतिक उद्देश्य और तैनाती
लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार, महानिदेशक इन्फेंट्री के अनुसार, भैरव बटालियनें दुश्मन की गतिविधियों को बाधित करने, अचानक हमले करने और बल-वर्धक (Force Multiplier) भूमिका निभाने के लिए बनाई गई हैं। इनमें इन्फेंट्री, आर्टिलरी, एयर डिफेंस और सिग्नल्स की संयुक्त टीम होती है, जो कठिन परिस्थितियों में बहु-क्षेत्रीय समन्वय करती है।
वर्तमान में 5 बटालियनें सक्रिय हैं, 4 निर्माणाधीन हैं और शेष छह माह में पूरी तरह कार्यशील होंगी। मुख्य तैनाती क्षेत्र:
• भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन की उत्तरी व पश्चिमी सीमाएँ
• उत्तर-पूर्व के उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र
• संवेदनशील सीमावर्ती सेक्टर, जहाँ उच्च गतिशीलता और इंटेलिजेंस-आधारित स्ट्राइक की आवश्यकता होती है
स्थिर जीके टिप: भारत की चीन से 3,488 किमी और पाकिस्तान से 3,323 किमी लंबी सीमा है।
ऑपरेशन सिंदूर से प्रेरणा
भैरव बटालियन की अवधारणा ऑपरेशन सिंदूर (2025) से विकसित हुई, जो एक सीमापार आतंक शिविर पर केंद्रित मिशन था। इस अभियान ने रणनीतिक गतिशीलता की कमी उजागर की। नई बटालियनें इस कमी को भरने हेतु गठित की गई हैं:
• ISR (Intelligence, Surveillance & Reconnaissance) प्रणाली का समावेश
• स्वतंत्र कमांड क्षमता
• बहु-डिविजनल समन्वय की त्वरित संरचना
इन तत्वों से भारत की हाइब्रिड वारफेयर रणनीति अधिक प्रभावी और तकनीक-सक्षम बनेगी।
सेना के आधुनिकीकरण से एकीकरण
भैरव बटालियन का समावेश भारतीय सेना के व्यापक आधुनिकीकरण ब्लूप्रिंट का हिस्सा है, जिसमें शामिल हैं:
• अशनि प्लाटून: ड्रोन ऑपरेशन यूनिट्स जो निगरानी, लूटर म्युनिशन और आत्मघाती ड्रोन स्ट्राइक में प्रशिक्षित हैं।
• रुद्र ब्रिगेड: टैंक, UAV, आर्टिलरी और स्पेशल फोर्सेस का संयुक्त संयोजन जो स्वायत्त युद्ध संचालन कर सकती हैं।
• शक्तिबान रेजिमेंट: स्वार्म ड्रोन और सटीक हथियार प्रणालियों के साथ बिना मानव हस्तक्षेप के युद्ध संचालन।
• दिव्यास्त्र बैटरियाँ: पारंपरिक तोपखानों और ड्रोन तकनीक को जोड़कर रीयल-टाइम लक्ष्य ट्रैकिंग।
स्थिर जीके तथ्य: भारतीय सेना इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (IDS) मुख्यालय के अंतर्गत कार्य करती है और थिएटर कमांड मॉडल की दिशा में अग्रसर है।
भविष्य के लिए तत्पर सशस्त्र बल
भैरव बटालियन के सम्मिलन से भारत की सेना नेटवर्क-सेंट्रिक और AI-सहायता प्राप्त युद्ध प्रणाली की ओर बढ़ रही है। यह सेना की संरचना को स्थैतिक से गतिशील रूप में परिवर्तित करती है, जिससे निर्णय क्षमता और समन्वय में तीव्रता आती है। यह पहल भारत की सीमाओं की सुरक्षा और आधुनिक युद्ध तत्परता में ऐतिहासिक कदम साबित होगी।
स्थिर उस्तादियन करेंट अफेयर्स तालिका
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| परिकल्पना प्रस्तुत की गई | सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी (जुलाई 2025) |
| कुल बटालियनें | 25 भैरव बटालियनें |
| प्रति बटालियन सैनिक | लगभग 250 |
| सक्रिय इकाइयाँ | 5 पूर्ण कार्यशील, 4 निर्माणाधीन |
| संबंधित अभियान | ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) |
| मुख्य तैनाती क्षेत्र | उत्तरी, पश्चिमी और उत्तर-पूर्वी सीमाएँ |
| सहायक इकाइयाँ | अशनि प्लाटून, रुद्र ब्रिगेड, शक्तिबान रेजिमेंट, दिव्यास्त्र बैटरियाँ |
| मुख्य उद्देश्य | त्वरित आक्रमण, ISR, हाइब्रिड वारफेयर |
| स्थिर जीके तथ्य | भारतीय सेना की स्थापना 1895 में हुई; COAS इसका नेतृत्व करते हैं |
| मुख्य लक्ष्य | त्वरित आक्रमण और आधुनिक युद्ध क्षमता को सुदृढ़ करना |





