अक्टूबर 26, 2025 4:17 अपराह्न

लद्दाख के लिए अनुच्छेद 371 के प्रस्ताव पर राज्य का दर्जा दिए जाने पर बहस छिड़ी

चालू घटनाएँ: अनुच्छेद 371, लद्दाख, छठी अनुसूची, केंद्रशासित प्रदेश, गृह मंत्रालय, लेह एपेक्स बॉडी, कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस, सोनम वांगचुक, राज्य का दर्जा मांग, संवैधानिक सुरक्षा

Article 371 Proposal for Ladakh Sparks Statehood Debate

राजनीतिक संवाद को रफ़्तार

गृह मंत्रालय (MHA) ने लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के साथ वार्ताएँ शुरू की हैं और लद्दाख के लिए अनुच्छेद 371 जैसी व्यवस्था का प्रस्ताव रखा है। यह कदम हालिया हिंसक विरोध प्रदर्शनों (चार मृतकों सहित, जिनमें एक कारगिल युद्ध के दिग्गज भी थे) और राज्य के दर्जेआदिवासी सुरक्षा की व्यापक मांगों की पृष्ठभूमि में आया है।
2019 में जम्मू–कश्मीर पुनर्गठन के बाद से लद्दाख बिना विधानमंडल वाला केंद्रशासित प्रदेश है। प्रारंभिक उत्साह के बाद भूमि अधिकार, सांस्कृतिक पहचान और राजनीतिक प्रतिनिधित्व को लेकर असंतोष बढ़ा है।
स्थिर जीके तथ्य: अनुच्छेद 371 की व्यवस्थाएँ आज़ादी के बाद विभिन्न राज्यों की प्रशासनिक–सांस्कृतिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए 1950 से लागू की गईं।

लेह और कारगिल की मुख्य मांगें

LAB और KDA ने एकजुट होकर ये मांगें रखी हैं:
लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा
छठी अनुसूची के तहत आदिवासी अधिकार और भूमि संरक्षण
• गिरफ्तार कार्यकर्ताओं, जिनमें जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक शामिल हैं, की रिहाई
• प्रदर्शन के दौरान पुलिस कार्रवाई में पीड़ितों के लिए क्षतिपूर्ति
इन मांगों में स्वशासन और भूमि अधिग्रहण/बाहरी प्रभाव से कानूनी सुरक्षा की इच्छा स्पष्ट है।
स्थिर जीके टिप: छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के जनजातीय क्षेत्रों की परंपराओं की रक्षा के लिए बनाई गई थी।

अनुच्छेद 371 क्या है और इसके निहितार्थ

अनुच्छेद 371 का उद्देश्य कुछ राज्यों की सामाजिक–सांस्कृतिक–आर्थिक विशेषताओं की रक्षा हेतु विशेष प्रावधान देना है। यह वर्तमान में 12 राज्यों (जैसे नगालैंड, मिज़ोरम, सिक्किम, असम) पर लागू है और स्थानीय प्रशासन में कुछ लचीलापन देता है।
हालाँकि कार्यकर्ताओं का तर्क है कि अनुच्छेद 371, छठी अनुसूची जैसी विधायी स्वायत्तता नहीं देता, जहाँ स्वायत्त जिला परिषदों को भूमि, वनों और सामुदायिक कानूनों पर व्यापक अधिकार मिलते हैं।
स्थिर जीके तथ्य: अनुच्छेद 371(ए) नगालैंड की प्रथागत क़ानून–भूमि स्वामित्व को केंद्र के हस्तक्षेप से विशेष सुरक्षा देता है।

छठी अनुसूची बनाम अनुच्छेद 371

सरकारी प्रस्ताव ने एक संवैधानिक बहस को जन्म दिया है। अनुच्छेद 244 के तहत बनी छठी अनुसूची जनजातीय क्षेत्रों के लिए मज़बूत सुरक्षा मानी जाती है—यह अधिक विकेन्द्रीकरण सुनिश्चित करती है, जिससे समुदाय संसाधनों का प्रबंधन और अपने नियम बना सकें।
इसके विपरीत अनुच्छेद 371 सांस्कृतिक–प्रशासनिक लचीलापन तो देता है, पर प्रमुख शक्तियाँ संघ सरकार के पास बनी रहती हैं। लद्दाख का नेतृत्व मानता है कि विधायी स्वायत्तता के बिना, क्षेत्र की जनजातीय–पर्यावरणीय विशिष्टता असुरक्षित रह सकती है।

आगे की राह

केंद्र का प्रस्ताव रुख़ में बदलाव दर्शाता है, पर लद्दाख नेतृत्व राज्य के दर्जे + छठी अनुसूची की दोहरी मांग पर अडिग है। संवैधानिक प्रावधानों और स्थानीय आकांक्षाओं के संतुलन से ही इस रणनीतिक हिमालयी क्षेत्र में शांति और भरोसा कायम रह सकेगा।
स्थिर जीके टिप: लद्दाख की सीमाएँ चीन (अक्साई चिन) और पाकिस्तान (गिलगित–बाल्टिस्तान) से लगती हैं, इसलिए यह भारत का संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्र है।

स्थिर उस्तादियन करेंट अफेयर्स तालिका

विषय (Topic) विवरण (Detail)
संबंधित मंत्रालय गृह मंत्रालय (MHA)
स्थानीय निकाय लेह एपेक्स बॉडी (LAB), कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA)
मुख्य मांग राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची
सरकारी प्रस्ताव अनुच्छेद 371 जैसी विशेष व्यवस्था
अनुच्छेद 371 के तहत राज्य 12 राज्य (जैसे नगालैंड, मिज़ोरम, असम, सिक्किम)
छठी अनुसूची लागू क्षेत्र असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिज़ोरम
मुख्य कार्यकर्ता सोनम वांगचुक
जे&के पुनर्गठन का वर्ष 2019
विरोध का कारण भूमि, रोजगार और सांस्कृतिक सुरक्षा का अभाव
रणनीतिक महत्त्व चीन–पाकिस्तान से सटी सीमाएँ; संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र
Article 371 Proposal for Ladakh Sparks Statehood Debate
  1. गृह मंत्रालय (एमएचए) ने लद्दाख के लिए अनुच्छेद 371 जैसा प्रावधान प्रस्तावित किया।
  2. इस वार्ता में लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) शामिल थे।
  3. यह कदम राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद उठाया गया है।
  4. प्रदर्शनों के दौरान कारगिल युद्ध के एक पूर्व सैनिक सहित चार लोगों की जान चली गई।
  5. लद्दाख 2019 से बिना विधायिका वाला केंद्र शासित प्रदेश है।
  6. यह मांग आदिवासी अधिकारों, भूमि संरक्षण और राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर केंद्रित है।
  7. अनुच्छेद 371 कुछ भारतीय राज्यों को विशेष प्रावधान प्रदान करता है।
  8. यह वर्तमान में नागालैंड और मिज़ोरम सहित 12 भारतीय राज्यों पर लागू है।
  9. कार्यकर्ताओं का तर्क है कि अनुच्छेद 371 सीमित विधायी स्वायत्तता प्रदान करता है।
  10. अनुच्छेद 244 के अंतर्गत छठी अनुसूची, अधिक मज़बूत आदिवासी स्वशासन सुनिश्चित करती है।
  11. लद्दाख अपनी जनजातीय और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा उपायों की मांग कर रहा है।
  12. जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक लद्दाख की संवैधानिक मांगों का समर्थन करते हैं।
  13. केंद्र का प्रस्ताव क्षेत्रीय स्वशासन की दिशा में एक आंशिक कदम दर्शाता है।
  14. छठी अनुसूची स्थानीय शासन के लिए स्वायत्त ज़िला परिषदों को सशक्त बनाती है।
  15. अनुच्छेद 371(ए) नागालैंड के प्रथागत कानूनों और भूमि स्वामित्व की रक्षा करता है।
  16. कार्यकर्ता केवल प्रशासनिक लचीलेपन पर ही नहीं, बल्कि विधायी शक्तियों पर भी ज़ोर दे रहे हैं।
  17. यह मुद्दा भारत के संघवाद और स्वायत्तता के बीच संतुलन को रेखांकित करता है।
  18. लद्दाख की रणनीतिक स्थिति चीन (अक्साई चिन) और पाकिस्तान (गिलगित-बाल्टिस्तान) से लगती है।
  19. इसका परिणाम लद्दाख के राजनीतिक और पारिस्थितिक भविष्य को आकार देगा।
  20. यह बहस क्षेत्रीय आकांक्षाओं के लिए संवैधानिक लचीलेपन पर प्रकाश डालती है।

Q1. केंद्र सरकार के साथ लद्दाख की स्थिति पर बातचीत कर रहे दो स्थानीय समूह कौन-से हैं?


Q2. लद्दाख के स्थानीय समूहों की मुख्य मांग क्या है?


Q3. भारतीय संविधान का कौन-सा अनुच्छेद कुछ राज्यों को विशेष प्रावधान प्रदान करता है?


Q4. लद्दाख के आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले कार्यकर्ता कौन हैं?


Q5. लद्दाख किन दो देशों की सीमाओं से लगा हुआ है, जिससे यह एक संवेदनशील क्षेत्र बनता है?


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