क्षतिपूर्ति उपकर की समाप्ति
हाल ही में वस्तु एवं सेवा कर (GST) के पुनर्गठन के तहत जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर (Compensation Cess) को समाप्त कर दिया गया है।
यह उपकर जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों को राजस्व हानि की भरपाई के लिए शुरू किया गया था।
अब इसके हटने से राज्यों पर स्वयं राजस्व उत्पन्न करने का दबाव बढ़ गया है।
Static GK Fact: जीएसटी (राज्यों को क्षतिपूर्ति) अधिनियम, 2017 ने पाँच वर्षों के लिए क्षतिपूर्ति की गारंटी दी थी, जिसकी अवधि महामारी के कारण जून 2022 से आगे बढ़ाई गई थी।
राज्यों की घटती राजकोषीय स्वायत्तता
जीएसटी व्यवस्था ने भारत की संघीय वित्तीय संरचना (Fiscal Federal Structure) को मूल रूप से बदल दिया।
पहले राज्यों को वैट (VAT), ऑक्ट्रॉय (Octroi) और एंट्री टैक्स (Entry Tax) लगाने का अधिकार था, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद कर निर्धारण और छूट देने की शक्ति मुख्यतः जीएसटी परिषद (GST Council) को स्थानांतरित हो गई।
इससे राज्यों की राजकोषीय स्वायत्तता में कमी आई है।
अब राज्यों को स्वास्थ्य, शिक्षा, और कानून–व्यवस्था जैसे प्रमुख दायित्वों के लिए सीमित वित्तीय संसाधनों में काम करना पड़ रहा है, जिससे व्यय और राजस्व के बीच असंतुलन (Expenditure-Revenue Mismatch) बढ़ गया है।
Static GK Tip: जीएसटी परिषद की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करते हैं और निर्णय तीन–चौथाई बहुमत से होते हैं, जिससे केंद्र को निर्णायक बढ़त मिलती है।
राजस्व और कर-वितरण से जुड़ी चिंताएँ
केंद्र के कुल सकल कर राजस्व (Gross Tax Revenue) में राज्यों की हिस्सेदारी लगातार घट रही है।
इसका एक प्रमुख कारण है केंद्र द्वारा उपकर (Cess) और सरचार्ज (Surcharge) पर बढ़ती निर्भरता — जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 270 के अनुसार राज्य सरकारों के साथ साझा नहीं किया जाता।
कई राज्य इसे अपनी राजकोषीय लचीलेपन (Fiscal Flexibility) पर अंकुश मानते हैं।
साथ ही, वित्त आयोग (Finance Commission) द्वारा तय राजस्व वितरण सूत्र की आलोचना भी की जा रही है, क्योंकि इसमें जनसंख्या वृद्धि और राजकोषीय अनुशासन जैसे कारकों का भार अलग-अलग राज्यों पर असमान रूप से पड़ता है।
Static GK Fact: 15वें वित्त आयोग (2021–26) ने केंद्र के विभाज्य कर पूल (Divisible Tax Pool) का 41% हिस्सा राज्यों को देने की सिफारिश की थी।
केंद्रीय हस्तांतरण पर बढ़ती निर्भरता
वर्तमान में राज्यों की कुल राजस्व आय का लगभग 44% हिस्सा केंद्रीय हस्तांतरण (Central Transfers) से आता है।
बिहार जैसे राज्य इन पर लगभग 72% तक निर्भर हैं।
यह निर्भरता राज्यों की तरलता प्रबंधन (Liquidity Management) को प्रभावित करती है और कभी-कभी राजनीतिक तनाव भी उत्पन्न करती है, विशेषकर विपक्ष शासित राज्यों में।
आगे की राह
विशेषज्ञों का मानना है कि सहकारी संघवाद (Cooperative Federalism) को सशक्त करने के लिए कर–वितरण व्यवस्था का पुनर्गठन आवश्यक है।
व्यक्तिगत आयकर (Personal Income Tax) के आधार को केंद्र और राज्यों के बीच साझा करने से राज्यों की आय में वृद्धि हो सकती है।
कुछ अर्थशास्त्री कनाडाई मॉडल (Canadian Model) को अपनाने का सुझाव देते हैं, जहाँ उप–राष्ट्रीय सरकारें (Provinces) कुल कर संग्रह का 54% करती हैं और कुल व्यय का 60% वहन करती हैं — जिससे राजकोषीय शक्ति का संतुलन बना रहता है।
इसके साथ ही, वित्तीय स्वास्थ्य सूचकांक (Fiscal Health Index) के माध्यम से राज्यों के राजकोषीय प्रदर्शन की निगरानी करने की सिफारिश की गई है।
Static GK Tip: कनाडा का संघीय राजकोषीय मॉडल दोनों स्तरों की सरकारों को संविधाननिहित कराधिकार (Constitutionally Defined Tax Powers) प्रदान करता है, जिससे संतुलित राजस्व वितरण सुनिश्चित होता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
जीएसटी पुनर्गठन | 2025 में जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर का उन्मूलन |
क्षतिपूर्ति अधिनियम | 2017 में लागू, पाँच वर्ष के लिए; महामारी के बाद बढ़ाया गया |
जीएसटी परिषद | केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता; केंद्र को निर्णायक भूमिका |
वित्त आयोग की सिफारिश | 2021–26 के लिए 41% कर-वितरण |
राजकोषीय निर्भरता | राज्यों की 44% आय केंद्रीय हस्तांतरण से |
बिहार की निर्भरता | 72% राजस्व केंद्रीय हस्तांतरण से |
गैर-साझा योग्य कर | उपकर (Cess) और सरचार्ज (Surcharge) विभाज्य पूल से बाहर |
कनाडा मॉडल | प्रांतों द्वारा 54% कर-संग्रह और 60% व्यय |
वित्तीय स्वास्थ्य सूचकांक | राज्यों के राजकोषीय प्रदर्शन का मूल्यांकन उपकरण |
सहकारी संघवाद | राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता बढ़ाने का दृष्टिकोण |