बाथौ धर्म को मिली आधिकारिक मान्यता
बाथौ धर्म (Bathouism) — जो बोडो समुदाय का पारंपरिक और प्राचीन धर्म है — को आगामी जनगणना 2025 में अलग धार्मिक कोड प्रदान किया गया है।
यह निर्णय स्वदेशी पहचान और धार्मिक परंपराओं की औपचारिक मान्यता को दर्शाता है।
इसके माध्यम से बोडो समुदाय की सांस्कृतिक विरासत (Cultural Heritage) के संरक्षण और जनसांख्यिकीय प्रतिनिधित्व (Demographic Representation) को नीति निर्माण में सशक्त बनाया जाएगा।
बाथौ धर्म का अर्थ और उत्पत्ति
“बाथौ” शब्द का अर्थ है “पांच सिद्धांत” या “पांच सत्य” — जो पाँच प्राकृतिक तत्वों का प्रतीक हैं:
हा (पृथ्वी), द्वि (जल), ओर (अग्नि), बार (वायु), और ओख्रांग (आकाश)।
इस धर्म का दर्शन मानव और प्रकृति के संतुलन पर आधारित है और यह हिंदू दर्शन के पंचमहाभूत सिद्धांत के समान पर्यावरण–केन्द्रित (Eco-centric) दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।
Static GK Fact: भारतीय दर्शन में पंचमहाभूत (Panchabhuta) पाँच तत्वों — पृथ्वी, अप, तेजस, वायु और आकाश — को दर्शाता है।
प्रमुख देवता और मूल आस्थाएँ
बाथौ धर्म का केंद्रबिंदु है बाथौ ब्राई (Bathou Bwrai) — जो सृष्टि के रचयिता और रक्षक (Supreme Deity and Protector) माने जाते हैं।
उन्हें विभिन्न नामों से पूजा जाता है — सिब्व्राई (Sibwrai), सिउ ब्राई (Siu Bwrai), जिउ ब्राई (Jiu Bwrai), और नुआथारी (Nuathari)।
यह देवता सत्य, शक्ति और ज्ञान का प्रतीक हैं और अनुयायियों को प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं।
Static GK Tip: बोडो समुदाय असम का सबसे बड़ा मैदानी जनजातीय समूह (Plains Tribe) है, और बाथौ धर्म इसकी सामाजिक और सांस्कृतिक नींव (Spiritual Foundation) है।
सिजौ पौधे का प्रतीकात्मक महत्व
सिजौ पौधा (Euphorbia milii) बाथौ धर्म का जीवित प्रतीक (Living Symbol) माना जाता है, जो बाथौ ब्राई का प्रतीक है।
इसे घरों और सामुदायिक स्थलों के पास पवित्र प्रतीक (Sacred Emblem) के रूप में लगाया जाता है।
पौधे की पाँच शाखाएँ (Five Branches) पाँच सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो धर्म के नाम से मेल खाती हैं।
अनुयायी पूजा के दौरान चावल की शराब, फूल और फल चढ़ाते हैं — जो इस धर्म की सरलता और प्रकृति–आधारित आस्था को दर्शाते हैं।
सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
जनगणना में बाथौ धर्म की पहचान को सांस्कृतिक संरक्षण का ऐतिहासिक क्षण (Cultural Milestone) माना जा रहा है।
अब यह धर्म “Others” या “Animism” जैसी सामान्य श्रेणियों में नहीं आएगा, जिससे इसकी धार्मिक और जनजातीय विशिष्टता (Ethnic Uniqueness) बनी रहेगी।
यह निर्णय बोडो समुदाय की सांस्कृतिक गर्व भावना (Ethnic Pride) को मजबूत करता है और भाषा, रीति–रिवाजों और परंपराओं के संरक्षण को बढ़ावा देता है।
Static GK Fact: बोडो भाषा, जो भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची (Eighth Schedule) में शामिल है, देवनागरी लिपि (Devanagari Script) में लिखी जाती है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
समुदाय | बोडो (असम और उत्तर बंगाल के स्वदेशी लोग) |
धर्म | बाथौ धर्म (बोडो समुदाय की पारंपरिक आस्था) |
प्रमुख देवता | बाथौ ब्राई (सिब्व्राई, सिउ ब्राई, जिउ ब्राई, नुआथारी) |
प्रतीक | सिजौ पौधा (Euphorbia milii) |
मुख्य विश्वास | पाँच तत्व – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश |
मूल सिद्धांत | प्रकृति के प्रति सम्मान और पारिस्थितिक संतुलन |
जनगणना अद्यतन | बाथौ धर्म को अलग कोड प्रदान किया गया |
सांस्कृतिक क्षेत्र | असम और उत्तर बंगाल |
अनुयायियों की भाषा | बोडो भाषा (देवनागरी लिपि में) |
संबंधित अवधारणा | पंचमहाभूत (भारतीय दर्शन के पाँच तत्व) |