ऐतिहासिक नियुक्ति
ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता अक्काई पद्मशाली (Akkai Padmashali) ने इतिहास रच दिया है। वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति की पहली ट्रांसजेंडर सदस्य बनी हैं, जिसे ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के संरक्षण और उन्नति के लिए समान अवसर नीति (Equal Opportunity Policy) तैयार करने का कार्य सौंपा गया है।
यह नियुक्ति भारत में प्रतिनिधित्व, समावेशन और सामाजिक न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है।
Static GK Fact: भारत का सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court of India) 28 जनवरी 1950 को स्थापित किया गया था, जिसने फेडरल कोर्ट ऑफ इंडिया का स्थान लिया।
प्रतिनिधित्व का महत्व
अक्काई पद्मशाली का शामिल होना ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए प्रतिनिधित्व का नया अध्याय है।
यह न केवल औपचारिक मान्यता का प्रतीक है, बल्कि राष्ट्रीय नीति निर्माण में सक्रिय भागीदारी का भी संकेत देता है।
यह कदम डॉ. भीमराव अंबेडकर के सामाजिक न्याय और समानता के उस दृष्टिकोण के अनुरूप है जो उन्होंने संविधान निर्माण के समय प्रस्तुत किया था।
Static GK Tip: डॉ. बी. आर. अंबेडकर भारतीय संविधान की प्रारूप समिति (Drafting Committee) के अध्यक्ष थे।
कानूनी पृष्ठभूमि
NALSA बनाम भारत संघ (2014) का ऐतिहासिक निर्णय ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को “तीसरे लिंग” (Third Gender) के रूप में मान्यता देता है और उन्हें समानता, गरिमा और आत्म–पहचान (Self-identification) का संवैधानिक अधिकार प्रदान करता है।
इसके बाद 2018 के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर किया, जिससे लैंगिक और यौन अल्पसंख्यकों के अधिकार मजबूत हुए।
हालाँकि इन निर्णयों के बावजूद, कार्यान्वयन की कमी (Implementation Gaps) अब भी वास्तविक प्रगति में बाधक है।
Static GK Fact: NALSA निर्णय न्यायमूर्ति के. एस. राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली दो-न्यायाधीश पीठ द्वारा दिया गया था।
समिति की संरचना
समिति की अध्यक्षता दिल्ली उच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आशा मेनन (Justice Asha Menon) कर रही हैं।
अन्य प्रमुख सदस्य हैं —
ग्रेस बानू (Grace Banu) – दलित और ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता,
विजयंती वसंथा मोगली (Vyjayanthi Vasanta Mogli) – तेलंगाना की ट्रांस कार्यकर्ता,
सौरव मंडल (Sourav Mandal) – प्रोफेसर, जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी,
नित्या राजशेखर (Nithya Rajshekhar) – सीनियर एसोसिएट, सेंटर फॉर लॉ एंड पॉलिसी, बेंगलुरु,
और संजय शर्मा (Sanjay Sharma) – सेवानिवृत्त सीईओ, एसोसिएशन फॉर ट्रांसजेंडर हेल्थ इन इंडिया।
यह बहुविषयी (Multidisciplinary) संरचना समानता और सामाजिक नीति को समग्र दृष्टिकोण से देखने का उदाहरण है।
उद्देश्य और भविष्य की रूपरेखा
अक्काई पद्मशाली का लक्ष्य सुप्रीम कोर्ट के ट्रांसजेंडर अधिकार संबंधी निर्देशों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना है।
वे समुदायिक परामर्श (Community Consultations) आयोजित करने, नीति–निर्माताओं के साथ संवाद बढ़ाने और ट्रांसमैन व इंटरसेक्स व्यक्तियों को भी प्रतिनिधित्व दिलाने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
इन पहलों से संस्थागत समर्थन और मुख्यधारा नीति–निर्माण में ट्रांसजेंडर भागीदारी को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
Static GK Tip: कर्नाटक भारत का पहला राज्य था जिसने 2017 में ट्रांसजेंडर नीति (Transgender Policy) शुरू की, जिसमें शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान दिया गया।
व्यापक प्रभाव
यह नियुक्ति भारत में लैंगिक विविधता (Gender Diversity) और संवैधानिक समानता (Constitutional Equality) की बढ़ती स्वीकृति को दर्शाती है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों को नीति-निर्माण में शामिल करना समावेशी शासन (Inclusive Governance) और जवाबदेही (Accountability) की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
यह इस बात की पुष्टि करता है कि प्रतिनिधित्व से सुधार आता है और समावेशन से न्याय स्थापित होता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
सुप्रीम कोर्ट समिति की पहली ट्रांसजेंडर सदस्य | अक्काई पद्मशाली |
समिति प्रमुख | न्यायमूर्ति आशा मेनन |
समिति का उद्देश्य | ट्रांसजेंडर अधिकारों हेतु समान अवसर नीति तैयार करना |
प्रमुख सदस्य | ग्रेस बानू, विजयंती वसंथा मोगली, सौरव मंडल, नित्या राजशेखर, संजय शर्मा |
ऐतिहासिक मामला | NALSA बनाम भारत संघ (2014) |
2018 निर्णय का महत्व | समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटाया गया |
संदर्भित दृष्टिकोण | डॉ. अंबेडकर की समानता और सामाजिक न्याय की दृष्टि |
राज्य नीति संदर्भ | कर्नाटक ट्रांसजेंडर नीति, 2017 |
समाचार स्रोत | ट्रिब्यून |
अद्यतन तिथि | 18 अक्टूबर 2025 |