केदारनाथ धाम तक तेज़ पहुँच
हिंदू धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक केदारनाथ धाम अब आधुनिक परिवहन सुविधा से जुड़ने जा रहा है। अडानी समूह 12.9 किमी लंबे रोपवे का निर्माण कर रहा है, जो सोनप्रयाग से केदारनाथ तक जाएगा। यह रोपवे पारंपरिक नौ घंटे की कठिन पदयात्रा को घटाकर मात्र 36 मिनट में पूरा कर देगा।
₹4,081 करोड़ की यह परियोजना विशेष रूप से वृद्ध श्रद्धालुओं के लिए तीर्थ यात्रा को अधिक सुगम और सुरक्षित बनाएगी।
Static GK Fact: केदारनाथ मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और उत्तराखंड की चारधाम यात्रा का प्रमुख स्थल है।
सुरक्षित और स्मार्ट तीर्थ अनुभव
वर्तमान में यात्रियों को 16 किमी की कठिन हिमालयी चढ़ाई करनी पड़ती है, जो भूस्खलन और खराब मौसम के कारण जोखिमपूर्ण होती है। नया रोपवे यात्रियों को सुरक्षित, तेज़ और पर्यावरण अनुकूल यात्रा प्रदान करेगा।
यह प्रणाली प्रति दिशा 1,800 यात्रियों प्रति घंटा तक ले जाने में सक्षम होगी, जिससे चारधाम यात्रा के चरम सीजन में भी भीड़ प्रबंधन सुचारु रहेगा।
Static GK Tip: उत्तराखंड की चारधाम यात्रा में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ शामिल हैं, जो हिमालय के प्रमुख धार्मिक केंद्र हैं।
उन्नत रोपवे तकनीक
केदारनाथ रोपवे में त्रि–केबल डिटेचेबल गोंडोला (3S) तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जो ऊँचाई पर तेज़ हवाओं में भी बेहतरीन स्थिरता प्रदान करती है। यह प्रणाली गोंडोला और केबल कार तकनीक के फायदों का संयोजन है, जो उत्तराखंड जैसे पर्वतीय इलाकों के लिए अत्यंत उपयुक्त है।
पर्वतमाला परियोजना के अंतर्गत सरकारी सहयोग
यह महत्वाकांक्षी अवसंरचना परियोजना राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम – पर्वतमाला परियोजना के तहत लागू की जा रही है, जिसका उद्देश्य पर्वतीय क्षेत्रों में हवाई परिवहन को बढ़ावा देना है।
परियोजना सार्वजनिक–निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर लागू की जा रही है।
सरकार ने सितंबर 2025 में इस परियोजना का अनुबंध अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को प्रदान किया। इसके निर्माण की समयसीमा 6 वर्ष और संचालन अवधि 29 वर्ष निर्धारित की गई है।
Static GK Fact: पर्वतमाला परियोजना को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था ताकि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर राज्यों में आवागमन में सुधार किया जा सके।
आर्थिक और रोजगार प्रभाव
यह रोपवे क्षेत्रीय पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा।
यह परियोजना अतिथि सत्कार, परिवहन और हस्तशिल्प उद्योगों में नए अवसर खोलेगी और स्थानीय युवाओं को तकनीकी, परिचालन और सेवा क्षेत्रों में प्रशिक्षण देकर रोजगार के अवसर प्रदान करेगी।
पर्यावरणीय और सामाजिक सुरक्षा उपाय
चूँकि केदारनाथ क्षेत्र संवेदनशील हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर आता है, इसलिए पर्यावरणीय सुरक्षा उपाय अत्यावश्यक हैं।
परियोजना के लिए वन अनुमति, जैव विविधता संरक्षण, और पारंपरिक कामगारों (जैसे खच्चर संचालक और पोर्टर) के लिए वैकल्पिक आजीविका योजनाएँ सुनिश्चित की जाएँगी।
Static GK Tip: केदारनाथ मंदिर मंदाकिनी नदी के तट पर, 3,583 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और इसे 2013 की उत्तराखंड बाढ़ के बाद पुनर्स्थापित किया गया था।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
परियोजना का नाम | केदारनाथ रोपवे परियोजना |
कार्यान्वयन कंपनी | अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड |
दूरी | 12.9 किमी (सोनप्रयाग से केदारनाथ तक) |
अनुमानित लागत | ₹4,081 करोड़ |
उपयोग की गई तकनीक | 3S (त्रि-केबल डिटेचेबल गोंडोला) |
क्षमता | 1,800 यात्री प्रति घंटा प्रति दिशा |
योजना | राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम – पर्वतमाला परियोजना |
मॉडल | सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) |
निर्माण अवधि | 6 वर्ष |
संचालन अवधि | 29 वर्ष (अडानी द्वारा) |
क्षेत्र | उत्तराखंड, भारत |
समय की बचत | 9 घंटे से घटकर 36 मिनट |
केदारनाथ की ऊँचाई | 3,583 मीटर |
निकटवर्ती नदी | मंदाकिनी नदी |
धार्मिक महत्व | भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक |