तमिलनाडु की समावेशी नामकरण पहल
तमिलनाडु सरकार ने सामाजिक समानता की दिशा में एक प्रगतिशील कदम उठाते हुए राज्यभर में जाति–आधारित या भेदभावपूर्ण स्थान नामों की पहचान और पुनर्नामकरण के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
यह निर्णय मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा में किए गए उस घोषणा के अनुरूप है, जिसमें “Colony” शब्द को आधिकारिक रिकॉर्ड से हटाने और सार्वजनिक नामकरण में समावेशिता को बढ़ावा देने की बात कही गई थी।
औपनिवेशिक और जातिगत प्रतीकों को हटाना
इस पहल के तहत आदिद्रविड़ कॉलोनी, हरिजन कॉलोनी, वन्ननकुलम, परयर स्ट्रीट और चक्किलियार सालै जैसे नामों को बदला जाएगा, जिनमें जाति-संबंधी या अपमानजनक संदर्भ शामिल हैं।
इनकी जगह तटस्थ, सम्मानजनक और समुदाय द्वारा स्वीकार्य नाम रखे जाएंगे, ताकि सार्वजनिक स्थान समानता और गरिमा का प्रतीक बनें।
स्थैतिक तथ्य: “हरिजन” शब्द जिसे कभी महात्मा गांधी ने लोकप्रिय किया था, अब सरकार और अनुसूचित जाति आयोग द्वारा अप्रचलित और संरक्षक भाव वाला माना गया है, इसलिए इसका प्रयोग हतोत्साहित किया गया है।
पुनर्नामकरण प्रक्रिया में स्थानीय भागीदारी
नई नीति के तहत ग्राम सभा (Grama Sabha) और क्षेत्र सभा (Area Sabha) को नाम परिवर्तन की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका दी गई है।
पुराने नाम को बनाए रखने के लिए इन निकायों को उचित कारणों का उल्लेख रिकॉर्ड में दर्ज करना होगा, जिससे प्रक्रिया पारदर्शी और लोकतांत्रिक बनी रहे।
अंतिम स्वीकृति राज्य सरकार द्वारा दी जाएगी, जैसा कि तमिलनाडु पंचायत अधिनियम, 1994 और तमिलनाडु शहरी स्थानीय निकाय अधिनियम, 1998 में निर्दिष्ट है।
स्थैतिक टिप: ग्राम सभा गाँव के सभी पंजीकृत मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करती है और 73वें संविधान संशोधन (1992) के तहत ग्राम स्तर लोकतंत्र की नींव मानी जाती है।
नीति का विस्तार राजस्व गाँवों तक
राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग को निर्देश दिया गया है कि वह राजस्व गाँवों और प्रशासनिक रिकॉर्ड में मौजूद जाति–संबंधी नामों की समीक्षा और हटाने की प्रक्रिया शुरू करे।
इससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में संगति और भेदभाव–मुक्त शब्दावली सुनिश्चित की जा सकेगी।
यह पहल मानचित्र प्रविष्टियों, डाक रिकॉर्ड, भूमि दस्तावेज़ों और स्थानीय साइनबोर्डों तक प्रभाव डालेगी, जिससे सरकारी डेटाबेस में एकरूपता आएगी।
सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा
सार्वजनिक स्थानों से जातिगत संदर्भों को हटाकर, तमिलनाडु ने सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः पुष्ट किया है—जो द्रविड़ विचारधारा और संविधान–प्रेरित कल्याण मॉडल की मूल भावना का हिस्सा है।
यह पहल समावेशी शासन (Inclusive Governance) की दिशा में एक ठोस कदम है, जहाँ हर नागरिक की पहचान, गरिमा और समानता को सम्मान मिलता है।
स्थैतिक तथ्य: तमिलनाडु उन प्रथम भारतीय राज्यों में से एक था जिसने शिक्षा और रोजगार में आरक्षण लागू किया, जिसका प्रभाव बाद में राष्ट्रीय आरक्षण नीति पर भी पड़ा।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
राज्य | तमिलनाडु |
पहल | जाति-आधारित या भेदभावपूर्ण सार्वजनिक स्थानों के पुनर्नामकरण की नीति |
मुख्य उद्देश्य | समानता और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देना |
घोषणा करने वाले | तमिलनाडु के मुख्यमंत्री |
संबंधित कानून | तमिलनाडु पंचायत अधिनियम, 1994; तमिलनाडु शहरी स्थानीय निकाय अधिनियम, 1998 |
स्वीकृति निकाय | ग्राम सभा और क्षेत्र सभा |
जिम्मेदार विभाग | राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग |
बदलने योग्य उदाहरण | आदिद्रविड़ कॉलोनी, हरिजन कॉलोनी, परयर स्ट्रीट |
शासन विषय | समावेशी और भेदभाव-मुक्त नामकरण नीति |
व्यापक प्रभाव | राज्यभर में गरिमा, एकता और सामाजिक समरसता को प्रोत्साहन |