डीएनए-आधारित हाथी जनसंख्या आकलन
सिंक्रोनस ऑल इंडिया एलीफेंट एस्टीमेशन (SAIEE) 2021–25 भारत की पहली डीएनए–आधारित हाथी गणना है, जिसे वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत किया। इस विधि में डंग (मल) डीएनए सैंपलिंग का उपयोग होता है, जिससे सटीकता बढ़ती है और डबल काउंटिंग से बचाव होता है।
स्थैतिक तथ्य: प्रोजेक्ट एलीफेंट 1992 में शुरू हुआ था, जिसका उद्देश्य हाथियों, उनके आवास और प्रवास मार्गों का संरक्षण तथा मानव–हाथी संघर्ष का समाधान है।
SAIEE रिपोर्ट की प्रमुख निष्कर्ष
भारत में एशियाई हाथियों की अनुमानित संख्या 22,446 है—यह वैश्विक आबादी का लगभग 60% है। जंगली हाथी मुख्यतः हिमालयी तराई, पूर्वोत्तर राज्यों, पूर्व–मध्य भारत, तथा पश्चिमी और पूर्वी घाट क्षेत्रों में पाए जाते हैं; अंडमान द्वीपसमूह में एक छोटा फेरल समूह भी है।
क्षेत्रों में पश्चिमी घाट में सर्वाधिक आबादी दर्ज हुई, इसके बाद उत्तरी–पूर्वी पहाड़ियाँ/ब्रह्मपुत्र बाढ़ मैदान आते हैं। राज्यों में कर्नाटक में हाथियों की संख्या सबसे अधिक है, इसके बाद असम, तमिलनाडु और केरल का स्थान है।
हाथियों के सामने प्रमुख ख़तरे
आवास में कमी और विखंडन: पश्चिमी घाट के पहले से जुड़े आवास व्यावसायिक बागानों, आक्रामक प्रजातियों, मानवीय अतिक्रमण और इन्फ्रास्ट्रक्चर विस्तार से खंडित हो रहे हैं, जिससे झुंडों के बीच आनुवंशिक प्रवाह सीमित होता है।
स्थैतिक टिप: नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व (तमिलनाडु–केरल–कर्नाटक) एशिया के सबसे बड़े हाथी परिक्षेत्रों में से एक है।
मानव–हाथी संघर्ष (HEC): खासकर मध्य भारत और पूर्वी घाट में संघर्ष बढ़ रहा है—फसलों का नुकसान, मानव–मृत्यु और प्रतिशोधात्मक हत्या जैसी घटनाएँ बढ़ती हैं।
रेखीय अवसंरचना: सड़क/रेल/विद्युत लाइनों का विस्तार प्रवासी मार्गों (कॉरिडोर्स) को बाधित करता है और विद्युत–झटके तथा टक्कर से मौतें बढ़ती हैं।
संरक्षण के लिए अनुशंसाएँ
रिपोर्ट एलीफेंट कॉरिडोर की बहाली, हैबिटैट कनेक्टिविटी को मजबूत करने और समुदाय–आधारित संघर्ष शमन पर ज़ोर देती है। साथ ही, हाथी परिदृश्यों में विकास परियोजनाओं से पहले पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) की सख्त आवश्यकता बताती है।
स्थैतिक तथ्य: भारत ने 101 एलीफेंट कॉरिडोर चिह्नित किए हैं, ताकि आवासों के बीच सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित हो सके।
पारिस्थितिक भूमिका और संरक्षण स्थिति
हाथी इकोसिस्टम इंजीनियर हैं—वे जंगल में खुली जगहें बनाते, बीजों का प्रसार करते और जैवविविधता को बनाए रखते हैं। उनका सामाजिक ढाँचा मातृसत्तात्मक होता है (अनुभवी मादा नेतृत्व करती है) और 22 माह की सबसे लंबी गर्भावधि (स्तनधारियों में) होती है।
हाथी IUCN रेड लिस्ट में Endangered, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची–I, और CITES की एपेंडिक्स–I में सूचीबद्ध हैं।
स्थैतिक टिप: विश्व हाथी दिवस प्रतिवर्ष 12 अगस्त को मनाया जाता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
SAIEE का पूर्ण रूप | Synchronous All India Elephant Estimation |
अवधि | 2021–25 |
क्रियान्वयन एजेंसी | वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) |
पर्यवेक्षण मंत्रालय | पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय |
भारत की हाथी आबादी | 22,446 |
सर्वाधिक आबादी वाला राज्य | कर्नाटक |
भारत का वैश्विक हिस्सा (एशियाई हाथी) | लगभग 60% |
संरक्षण स्थिति | Endangered (IUCN), अनुसूची–I (WPA 1972), एपेंडिक्स–I (CITES) |
प्रमुख खतरे | आवास हानि/विखंडन, HEC, रेखीय अवसंरचना |
प्रमुख संरक्षण परियोजना | प्रोजेक्ट एलीफेंट (1992) |