किरू परियोजना में बड़ा मील का पत्थर
किरू जलविद्युत परियोजना (Kiru Hydroelectric Project) ने बांध निर्माण के क्षेत्र में एक प्रमुख उपलब्धि हासिल की है।
मध्य 2025 तक 12 लाख घन मीटर की योजना में से 10 लाख घन मीटर कंक्रीट कार्य (concreting) पूरा कर लिया गया है।
यह परियोजना पूर्णता की दिशा में एक निर्णायक कदम है और यह भारत की महत्वपूर्ण जलविद्युत परियोजनाओं में निरंतर प्रगति को दर्शाता है।
साथ ही, यूनिट-1 के स्टेटर असेंबली कार्य की शुरुआत भी पावरहाउस में की जा चुकी है, जिससे परियोजना कमीशनिंग शेड्यूल में तेजी आई है।
स्थैतिक जीके तथ्य: किरू परियोजना चिनाब नदी पर स्थित है, जो इंडस नदी की प्रमुख सहायक नदी है। चिनाब का उद्गम हिमाचल प्रदेश से होता है और यह जम्मू-कश्मीर होते हुए पाकिस्तान में प्रवेश करती है।
परियोजना का अवलोकन और क्षमता विवरण
किरू परियोजना की स्थापित क्षमता 624 मेगावाट है और यह जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में स्थित है।
इसका क्रियान्वयन चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (CVPPL) द्वारा किया जा रहा है, जो एनएचपीसी लिमिटेड (NHPC) और जम्मू-कश्मीर स्टेट पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (JKSPDC) के बीच एक संयुक्त उपक्रम (Joint Venture) है।
परियोजना की संरचना में बड़े पैमाने पर बांध कंक्रीटिंग, सुरंग निर्माण (Tunnelling) और टर्बाइन स्थापना शामिल है, ताकि जल संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन सुनिश्चित किया जा सके।
स्थैतिक जीके टिप: एनएचपीसी लिमिटेड की स्थापना 1975 में की गई थी और यह भारत की सबसे बड़ी जलविद्युत विकास कंपनी है, जो विद्युत मंत्रालय (Ministry of Power) के अधीन कार्य करती है।
चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (CVPPL) की भूमिका
सीवीपीपीएल (CVPPL) चिनाब बेसिन की जलविद्युत क्षमता का दोहन करने में रणनीतिक भूमिका निभा रही है।
यह कंपनी चार प्रमुख परियोजनाओं का संचालन करती है —
पकल डुल (1000 मेगावाट), किरू (624 मेगावाट), क्वार (540 मेगावाट) और किर्थई-II (930 मेगावाट) — जिनकी कुल क्षमता 3094 मेगावाट है।
कंपनी का लक्ष्य चिनाब बेसिन को उत्तर भारत का नवीकरणीय ऊर्जा केंद्र (Renewable Energy Hub) बनाना है।
यह समय पर निष्पादन, तकनीकी नवाचार और राष्ट्रीय ऊर्जा रणनीति के अनुपालन पर जोर देती है।
स्थैतिक जीके तथ्य: चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स लिमिटेड की स्थापना 2011 में चिनाब बेसिन में जलविद्युत विकास को बढ़ावा देने के लिए की गई थी।
पकल डुल परियोजना में प्रगति
पकल डुल जलविद्युत परियोजना (Pakal Dul Hydroelectric Project), जो सीवीपीपीएल की एक अन्य पहल है, ने हाल ही में टनल बोरिंग (Tunnel Boring) में महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज की है।
परियोजना में 927 मीटर की सुरंग खुदाई पूरी की गई, जो अब तक का सर्वाधिक प्रगति रिकॉर्ड है।
यह परियोजना 14.7 किलोमीटर लंबी हेड रेस टनल (HRT) का निर्माण कर रही है, जिसका व्यास 8.3 मीटर है और इसमें दो टनल बोरिंग मशीनें (TBMs) उपयोग की जा रही हैं।
8.1 किलोमीटर कार्य पूरा हो चुका है और 6.6 किलोमीटर शेष है। इसका कमीशनिंग लक्ष्य वर्ष 2026 निर्धारित है।
स्थैतिक जीके टिप: पकल डुल परियोजना पूर्ण होने पर जम्मू-कश्मीर की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना होगी, जो प्रति वर्ष 3300 मिलियन यूनिट से अधिक बिजली उत्पादन करने में सक्षम होगी।
भारत के नवीकरणीय ऊर्जा मिशन में योगदान
किरू और पकल डुल दोनों परियोजनाएँ भारत की नवीकरणीय ऊर्जा परिवर्तन रणनीति (Renewable Energy Transition) की प्रमुख परियोजनाएँ हैं।
ये परियोजनाएँ जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाकर इंडस बेसिन की जल क्षमता का उपयोग करती हैं।
यह राष्ट्रीय जलविद्युत विकास योजना (National Hydroelectric Development Plan) और 2030 तक 500 GW नवीकरणीय क्षमता हासिल करने के लक्ष्य के अनुरूप है।
इन परियोजनाओं की पूर्णता से ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) बढ़ेगी, क्षेत्रीय रोजगार (Regional Employment) सृजित होगा और जम्मू-कश्मीर में सतत विकास (Sustainable Growth) को बढ़ावा मिलेगा।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत जलविद्युत उत्पादन क्षमता में विश्व में पाँचवें स्थान पर है — चीन, ब्राज़ील, अमेरिका और कनाडा के बाद।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
परियोजना का नाम | किरू जलविद्युत परियोजना |
स्थान | किश्तवाड़ जिला, जम्मू और कश्मीर |
नदी | चिनाब नदी |
स्थापित क्षमता | 624 मेगावाट |
क्रियान्वयन एजेंसी | चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (CVPPL) |
संयुक्त उपक्रम भागीदार | एनएचपीसी (NHPC) और जेकेएसपीडीसी (JKSPDC) |
कुल बांध कंक्रीटिंग | 12 लाख में से 10 लाख घन मीटर पूर्ण |
संबद्ध परियोजना | पकल डुल जलविद्युत परियोजना |
पकल डुल की क्षमता | 1000 मेगावाट |
अपेक्षित कमीशनिंग | किरू – निर्माणाधीन; पकल डुल – 2026 |