अक्टूबर 13, 2025 12:05 पूर्वाह्न

तमिलनाडु पवन ऊर्जा वृद्धि 2025-26

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Tamil Nadu Wind Energy Growth 2025 26

बढ़ती पवन ऊर्जा क्षमता

तमिलनाडु भारत में पवन ऊर्जा का अग्रणी राज्य है, जिसकी स्थापित क्षमता 10,000 मेगावाट से अधिक है।
राज्य लगातार देश के कुल पवन ऊर्जा उत्पादन में प्रमुख योगदान दे रहा है, जिससे यह भारत का नवीकरणीय ऊर्जा केंद्र बन गया है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान तथ्य: तमिलनाडु भारत की कुल पवन ऊर्जा क्षमता का लगभग एक-तिहाई हिस्सा रखता है।

उच्चतम उत्पादन अवधि

तमिलनाडु में पवन ऊर्जा उत्पादन का शिखर काल मई से अक्टूबर तक रहता है।
इस दौरान दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पूर्व मानसूनी हवाएँ तेज़ी से बहती हैं, जिससे टर्बाइनों का अधिकतम उपयोग संभव होता है।
इस अवधि में कुशल संचालन और ग्रिड प्रबंधन से राज्य की विद्युत आपूर्ति स्थिर और विश्वसनीय बनी रहती है।

क्षमता उपयोग दर (CUF) की प्रवृत्ति

तमिलनाडु की पवन ऊर्जा का क्षमता उपयोग कारक (CUF) वर्ष 2025–26 में 29.6% तक पहुँचने की उम्मीद है — जो 2018–19 के बाद सबसे अधिक होगा।
यह सुधार मुख्य रूप से निम्नलिखित कारणों से है:

  • टर्बाइन तकनीक में प्रगति,
  • बेहतर स्थल चयन, और
  • सशक्त ग्रिड एकीकरण
    स्थैतिक जीके टिप: Capacity Utilisation Factor (CUF) यह मापता है कि कोई संयंत्र अपनी अधिकतम क्षमता की तुलना में वास्तविक रूप से कितनी ऊर्जा उत्पन्न करता है।

सतत ऊर्जा में योगदान

पवन ऊर्जा तमिलनाडु के हरित ऊर्जा परिवर्तन (Green Energy Transition) का मुख्य स्तंभ है।
बढ़ती CUF के साथ राज्य जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटा रहा है और नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
राज्य की नीतियाँ पवन फार्म विस्तार, तकनीकी उन्नयन और निजी निवेश को बढ़ावा देती हैं।

रणनीतिक महत्व

पवन ऊर्जा न केवल ऊर्जा उत्पादन बढ़ाती है बल्कि रोज़गार, उद्योग, और स्थानीय विकास को भी प्रोत्साहित करती है।
तमिलनाडु का यह मॉडल आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के संतुलन का उदाहरण है।
स्थैतिक जीके तथ्य: वर्ष 2023 में भारत की कुल स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता 50,000 मेगावाट से अधिक हो गई थी, जिसमें तमिलनाडु का योगदान सर्वोच्च था।

चुनौतियाँ और अवसर

तेज़ी से विकास के बावजूद कुछ प्रमुख चुनौतियाँ बनी हुई हैं:

  • भूमि अधिग्रहण में कठिनाई,
  • ग्रिड जाम (Grid Congestion), और
  • मौसमी पवन परिवर्तनशीलता

हालाँकि, नई तकनीकें और नीतियाँ अवसर भी प्रदान करती हैं जैसे:

  • ऊर्जा भंडारण (Energy Storage),
  • सौर-पवन हाइब्रिड प्रणाली, और
  • उन्नत मौसम पूर्वानुमान एवं डेटा आधारित प्रबंधन

इन उपायों से विश्वसनीय और निरंतर नवीकरणीय आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है।

भविष्य की रूपरेखा

तमिलनाडु का लक्ष्य 10,000 मेगावाट से अधिक पवन ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना है तथा 29% से अधिक CUF बनाए रखना है।
राज्य सौर और जल विद्युत परियोजनाओं के साथ एकीकृत मॉडल पर काम कर रहा है ताकि वर्षभर स्थिर ऊर्जा आपूर्ति बनी रहे।
लगातार नवाचार, निवेश और नीति समर्थन से तमिलनाडु आने वाले वर्षों में भी भारत का पवन ऊर्जा नेता बना रहेगा।

स्थैतिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका

विषय विवरण
राज्य तमिलनाडु
स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता 10,000 मेगावाट से अधिक
क्षमता उपयोग दर (202526) 29.6%
उच्चतम उत्पादन माह मई से अक्टूबर
भारत में योगदान देश का सबसे बड़ा पवन ऊर्जा उत्पादक राज्य
मुख्य चुनौतियाँ भूमि अधिग्रहण, ग्रिड जाम, मौसमी परिवर्तनशीलता
अवसर ऊर्जा भंडारण, पूर्वानुमान तकनीक, तकनीकी उन्नयन
नवीकरणीय ऊर्जा भूमिका हरित ऊर्जा परिवर्तन और सतत विकास में योगदान
रोज़गार प्रभाव स्थानीय रोजगार और औद्योगिक वृद्धि को प्रोत्साहन
भविष्य की योजना क्षमता विस्तार और सौर व जल ऊर्जा के साथ एकीकरण

 

Tamil Nadu Wind Energy Growth 2025 26
  1. तमिलनाडु पवन ऊर्जा क्षमता में भारत में अग्रणी है।
  2. स्थापित क्षमता 2025 तक 10,000 मेगावाट से अधिक हो जाएगी।
  3. भारत के कुल पवन ऊर्जा उत्पादन में एक-तिहाई का योगदान देता है।
  4. मानसूनी हवाओं के साथ मई-अक्टूबर में अधिकतम उत्पादन होता है।
  5. CUF 29.6% (2025-26) तक पहुँचने की उम्मीद है।
  6. 2018-2019 के बाद से उच्चतम CUF, जो दक्षता में वृद्धि को दर्शाता है।
  7. बेहतर टरबाइन तकनीक प्रदर्शन और ग्रिड एकीकरण को बढ़ावा देती है।
  8. क्षमता उपयोग कारक (CUF) उत्पादन दक्षता को मापता है।
  9. तमिलनाडु के नवीकरणीय ऊर्जा पोर्टफोलियो को मजबूत करता है।
  10. जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करता है।
  11. टिकाऊ और हरित ऊर्जा परिवर्तन को बढ़ावा देता है।
  12. राज्य में औद्योगिक और रोजगार वृद्धि को प्रोत्साहित करता है।
  13. भारत ने 2023 तक 50,000 मेगावाट पवन ऊर्जा क्षमता पार कर ली है।
  14. तमिलनाडु भारत का शीर्ष पवन ऊर्जा उत्पादक बना हुआ है।
  15. चुनौतियों में भूमि संबंधी मुद्दे, ग्रिड की भीड़भाड़ और परिवर्तनशीलता शामिल हैं।
  16. पूर्वानुमान और ऊर्जा भंडारण प्रमुख अवसर प्रदान करते हैं।
  17. सरकार निजी निवेश और नीतिगत स्थिरता का समर्थन करती है।
  18. सौर और जलविद्युत के साथ एकीकरण स्थिर विद्युत मिश्रण सुनिश्चित करता है।
  19. वैश्विक स्तर पर भारत के नवीकरणीय ऊर्जा नेतृत्व को सुदृढ़ करता है।
  20. पवन ऊर्जा तमिलनाडु के सतत विकास दृष्टिकोण को संचालित करती है।

Q1. तमिलनाडु की स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता कितनी है?


Q2. तमिलनाडु में पवन ऊर्जा उत्पादन किन महीनों में चरम पर होता है?


Q3. 2025–26 के लिए तमिलनाडु का अपेक्षित क्षमता उपयोग कारक (CUF) कितना है?


Q4. भारत की कुल पवन ऊर्जा क्षमता में तमिलनाडु का हिस्सा कितना है?


Q5. 2023 तक भारत की कुल स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता कितनी है?


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