ई-गवर्नेंस का अर्थ
ई-गवर्नेंस (E-Governance) का अर्थ है — सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICTs) का उपयोग करके सरकारी सेवाओं का डिजिटलीकरण, प्रशासनिक दक्षता में सुधार, और नागरिक सहभागिता सुनिश्चित करना।
यह शासन को कागज आधारित मैनुअल प्रणाली से बदलकर डिजिटल, पारदर्शी और सुलभ प्रणाली बनाता है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान तथ्य: “ई-गवर्नेंस” शब्द का उपयोग पहली बार 1990 के दशक में व्यापक रूप से हुआ, जब इंटरनेट ने वैश्विक सार्वजनिक प्रशासन को प्रभावित करना शुरू किया।
भारत में ई-गवर्नेंस का विकास
भारत में डिजिटल प्रशासन की नींव 1976 में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) की स्थापना के साथ रखी गई।
1980 से 2000 के बीच, प्रौद्योगिकी का उपयोग मुख्यतः प्रशासनिक प्रक्रियाओं के बैकएंड समर्थन के रूप में किया जाता था।
2006 में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (NeGP) की शुरुआत के साथ, भारत ने ई-गवर्नेंस के लिए एक संरचित ढांचा (Structured Framework) तैयार किया।
वर्तमान में भारत संयुक्त राष्ट्र ई-गवर्नमेंट विकास सूचकांक 2024 में 97वें स्थान पर है — जो प्रगति को दर्शाता है, लेकिन सुधार की आवश्यकता भी इंगित करता है।
नागरिक सेवाओं में सुधार
ई-सेवा (e-Seva), डिजिलॉकर (DigiLocker) और कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) जैसे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नागरिकों को किसी भी समय, कहीं भी सेवाएँ प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करते हैं।
इन प्रणालियों से ब्यूरोक्रेसी की जटिलताएँ घटती हैं, और समय व लागत दोनों की बचत होती है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान तथ्य: डिजिलॉकर को 2015 में डिजिटल इंडिया अभियान के तहत लॉन्च किया गया था ताकि नागरिकों को सुरक्षित क्लाउड-आधारित दस्तावेज़ भंडारण सुविधा मिल सके।
पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा
ई-गवर्नेंस ने सेवाओं में बिचौलियों की भूमिका कम कर भ्रष्टाचार में उल्लेखनीय कमी की है।
भूमि परियोजना (Bhoomi Project) के माध्यम से जमीन के अभिलेखों का डिजिटलीकरण, और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के ज़रिए सब्सिडी सीधे लाभार्थियों तक पहुँचाई जाती है।
इससे रिसाव (Leakage) कम हुआ है और शासन में विश्वास और पारदर्शिता बढ़ी है।
वित्तीय समावेशन को सशक्त करना
JAM ट्रिनिटी (जन धन, आधार, मोबाइल) और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने भारत में वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) को नए स्तर पर पहुँचाया है।
इन पहलों से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, डिजिटल भुगतान, और बैंकिंग पहुँच को आसान बनाया गया है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान टिप: UPI को राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने 2016 में लॉन्च किया था। 2024 तक, विश्व के कुल वास्तविक समय डिजिटल लेनदेन का 46% भारत से हुआ।
ग्रामीण क्षेत्रों को सशक्त बनाना
ज्ञानदूत (Gyandoot) जैसी पहलें और प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA) ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल अंतर (Digital Divide) को कम कर रही हैं।
अब ग्रामीण नागरिक भी शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशासनिक सेवाओं से ICT आधारित माध्यमों द्वारा जुड़ रहे हैं।
नवाचार और इंटरऑपरेबिलिटी
इंडिया स्टैक (India Stack) और सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) जैसे प्लेटफ़ॉर्म नवाचार (Innovation) और सहयोग (Interoperability) को बढ़ावा दे रहे हैं।
इनसे सरकारी एजेंसियाँ, स्टार्टअप्स और निजी क्षेत्र मिलकर नागरिक-केंद्रित डिजिटल समाधान विकसित कर रहे हैं।
निष्कर्ष
भारत में ई-गवर्नेंस एक सहायक उपकरण से आगे बढ़कर सुशासन का परिवर्तनकारी माध्यम बन चुका है।
हालाँकि डिजिटल साक्षरता, ग्रामीण पहुँच और साइबर सुरक्षा जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं, परंतु भारत की प्रगति यह दर्शाती है कि देश पारदर्शी, समावेशी और जवाबदेह शासन की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
स्थैतिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका
विषय | विवरण |
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) | 1976 में स्थापित – डिजिटल शासन को सशक्त बनाने हेतु |
संयुक्त राष्ट्र ई-गवर्नमेंट विकास सूचकांक 2024 | भारत की रैंक – 97वाँ स्थान |
डिजिलॉकर लॉन्च वर्ष | 2015 (डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत) |
भूमि परियोजना | कर्नाटक में भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण |
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर | लाभार्थियों तक सीधे सब्सिडी पहुँचाने की प्रणाली |
JAM ट्रिनिटी | जन धन, आधार, मोबाइल – वित्तीय समावेशन का ढांचा |
UPI लॉन्च | 2016 में NPCI द्वारा |
इंडिया स्टैक | इंटरऑपरेबल डिजिटल अवसंरचना मंच |
GeM प्लेटफ़ॉर्म | सरकारी खरीद हेतु ऑनलाइन मार्केटप्लेस |
PMGDISHA | ग्रामीण नागरिकों के लिए डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम |