परियोजना का उद्घाटन
भारत का पहला सहकारी मल्टी-फीड संपीड़ित बायोगैस (CBG) संयंत्र महाराष्ट्र में उद्घाटित किया गया है।
यह परियोजना राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) के सहयोग से विकसित की गई है।
संयंत्र प्रतिदिन 12 टन संपीड़ित बायोगैस (CBG) और 75 टन पोटाश का उत्पादन करेगा, जिसमें गुड़ और शीरे (molasses) जैसे इनपुट का उपयोग किया जाएगा।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान तथ्य: NCDC की स्थापना 1963 में सहकारिता मंत्रालय के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय (statutory body) के रूप में की गई थी।
संपीड़ित बायोगैस (CBG) के बारे में
CBG कच्चे बायोगैस का शुद्ध रूप है, जिसमें मीथेन की मात्रा 90% से अधिक कर दी जाती है और फिर इसे 200–250 बार दबाव पर संपीड़ित किया जाता है।
यह ईंधन Compressed Natural Gas (CNG) के समान प्रदर्शन वाला एक स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है।
कच्चा बायोगैस बायोमास और अपशिष्ट (जैसे पशु गोबर, खाद्य अपशिष्ट, कृषि अवशेष) के ऑक्सीजन रहित अपघटन (Anaerobic Digestion) से उत्पन्न होता है।
इसमें मुख्यतः मीथेन (55–60%), कार्बन डाइऑक्साइड (35–40%), और कुछ अशुद्धियाँ जैसे हाइड्रोजन सल्फाइड और जलवाष्प होती हैं।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान टिप: भारत का पहला बायोगैस संयंत्र 1960 के दशक में खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) की पहल पर स्थापित किया गया था।
संपीड़ित बायोगैस के लाभ
CBG के उपयोग से आयातित प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल पर निर्भरता कम होती है, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होती है।
यह ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) को सुदृढ़ करता है और COP26 में घोषित पंचामृत जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।
CBG अपशिष्ट प्रबंधन में भी सहायक है, जिससे यह स्वच्छ भारत मिशन में सीधा योगदान देता है।
यह प्रौद्योगिकी किसानों को अतिरिक्त आय प्रदान करती है और सहकारी भागीदारी के माध्यम से ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देती है।
CBG के लिए नीतिगत समर्थन
राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 (National Policy on Biofuels 2018) उन्नत जैव ईंधनों, विशेषकर CBG, के प्रचार पर जोर देती है।
गोबर-धन योजना (GOBAR-DHAN Scheme) के अंतर्गत पशु गोबर और कृषि अपशिष्ट को बायो-CNG और कंपोस्ट में परिवर्तित किया जाता है, जिससे खेत के अवशेषों से मूल्य प्राप्त होता है।
SATAT (Sustainable Alternative Towards Affordable Transportation) पहल का उद्देश्य देशभर में CBG संयंत्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करना है।
इस योजना के तहत उद्यमियों, सहकारी समितियों और उद्योगों को बड़े पैमाने पर CBG तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान तथ्य: SATAT पहल के अंतर्गत भारत का लक्ष्य 2025 तक 5,000 CBG संयंत्र स्थापित करना है, जिनसे 15 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष उत्पादन क्षमता हासिल करने की उम्मीद है।
आगे की दिशा
महाराष्ट्र में सहकारी मल्टी-फीड CBG संयंत्र का शुभारंभ यह दर्शाता है कि भारत की हरित ऊर्जा परिवर्तन यात्रा (Green Energy Transition) में सहकारी संस्थाओं की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है।
सरकारी समर्थन और स्वच्छ ऊर्जा की बढ़ती मांग के साथ, CBG भारत की जैव ईंधन अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख घटक बनने की दिशा में अग्रसर है।
स्थैतिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका
विषय | विवरण |
पहले सहकारी CBG संयंत्र का स्थान | महाराष्ट्र |
दैनिक उत्पादन क्षमता | 12 टन CBG और 75 टन पोटाश |
कार्यान्वयन एजेंसी | राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) |
NCDC की स्थापना वर्ष | 1963 |
मंत्रालय | सहकारिता मंत्रालय |
CBG में मुख्य गैस | मीथेन (शुद्धिकरण के बाद 90% से अधिक) |
संपीड़न दबाव | 200–250 बार |
राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति | 2018 |
कृषि अपशिष्ट रूपांतरण योजना | गोबर-धन योजना |
CBG संयंत्र स्थापना पहल | SATAT (Sustainable Alternative Towards Affordable Transportation) |