अक्टूबर 12, 2025 6:31 पूर्वाह्न

बीस साल बाद बाराटांग मड ज्वालामुखी विस्फोट

चालू घटनाएँ: बराटांग कीचड़ ज्वालामुखी, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, 2025 विस्फोट, भूवैज्ञानिक अध्ययन, उत्तर और मध्य अंडमान, पोर्ट ब्लेयर, मीथेन गैस, बैरन द्वीप, पारिस्थितिक पर्यटन, टेक्टोनिक गतिविधि

Baratang Mud Volcano Eruption After Twenty Years

हालिया विस्फोट

2 अक्टूबर 2025 को अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में स्थित बराटांग कीचड़ ज्वालामुखी (Baratang Mud Volcano) में विस्फोट हुआ, जिससे लगभग 20 वर्षों की निष्क्रियता समाप्त हो गई।
इस विस्फोट में लगभग 3–4 मीटर ऊँचा टीला बना और 1,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में कीचड़ फैल गया।
प्रशासन ने तत्काल क्षेत्र को सील कर दिया और आगे के विश्लेषण के लिए भूगर्भीय विभाग (Geological Department) को सतर्क किया।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान तथ्य: इस ज्वालामुखी का अंतिम प्रमुख विस्फोट 2005 में हुआ था।

बराटांग का स्थान

बराटांग द्वीप उत्तर और मध्य अंडमान जिले में स्थित है, जो पोर्ट ब्लेयर से लगभग 150 किमी दूर है।
यह द्वीप भारत का एकमात्र कीचड़ ज्वालामुखी स्थल है, जो इसे भूगर्भीय दृष्टि से अत्यंत विशिष्ट बनाता है।
यह स्थान पर्यटकों के बीच भी प्रसिद्ध है, जो अंडमान समूह की अद्वितीय भूवैज्ञानिक विशेषताओं को देखने आते हैं।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान तथ्य: अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में कुल 572 द्वीप हैं, जिनमें से केवल लगभग 37 आबाद हैं।

कीचड़ ज्वालामुखियों की प्रकृति

कीचड़ ज्वालामुखी पारंपरिक आग्नेय ज्वालामुखियों जैसे नहीं होते।
इनसे पिघला हुआ लावा नहीं, बल्कि कीचड़, गैस और पानी निकलता है।
यह गैसें, विशेष रूप से मीथेन, धरती की गहराई में जैविक पदार्थों के विघटन से उत्पन्न होती हैं।
दबाव के कारण यह मिश्रण सतह पर आकर गुम्बदाकार टीले बनाता है, जिनका आकार कुछ मीटर से लेकर सैकड़ों मीटर तक हो सकता है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान टिप: विश्व में सबसे अधिक कीचड़ ज्वालामुखी अज़रबैजान में पाए जाते हैं।

एहतियाती कदम और सुरक्षा उपाय

अक्टूबर 2025 के विस्फोट के बाद अधिकारियों ने बराटांग क्षेत्र में यातायात रोका और प्रवेश मार्गों को बंद कर दिया।
पुलिस और वन विभाग मिलकर सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित कर रहे हैं।
किसी नए विस्फोट की संभावना का पता लगाने के लिए निरंतर निगरानी की जा रही है।

द्वीपों में ज्वालामुखीय गतिविधि

अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में बैरन द्वीप (Barren Island) भी स्थित है, जो भारत का एकमात्र सक्रिय आग्नेय ज्वालामुखी है।
यह पोर्ट ब्लेयर से लगभग 140 किमी दूर है और 1787 से कई बार विस्फोट कर चुका है
इसकी हाल की गतिविधियाँ 2022 और सितंबर 2025 में दर्ज की गई थीं।
जहाँ बराटांग का कीचड़ ज्वालामुखी जैविक गैस दबाव से संचालित होता है, वहीं बैरन द्वीप का विस्फोट भारतीय और बर्मी प्लेटों की टेक्टोनिक टक्कर से होता है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान तथ्य: अंडमान सागर एक भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र है क्योंकि यह भारतीय और बर्मी प्लेटों के मिलने वाले क्षेत्र में स्थित है।

भूवैज्ञानिक महत्व और पर्यटन

अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह एक प्राकृतिक भूवैज्ञानिक प्रयोगशाला की तरह हैं, जहाँ दो भिन्न प्रकार की ज्वालामुखीय प्रक्रियाएँ एक साथ विद्यमान हैं।
बराटांग का कीचड़ ज्वालामुखी जैविक गैससंचालित विस्फोटों पर वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करता है, जबकि बैरन द्वीप टेक्टोनिक ज्वालामुखीयता की समझ को गहरा करता है।
यह क्षेत्र ईकोटूरिज्म का केंद्र भी है, जहाँ पर्यटक भूवैज्ञानिक घटनाओं और जैव विविधता को अनुभव करने आते हैं।
हालिया विस्फोट ने इस क्षेत्र के वैज्ञानिक और पर्यटन मूल्य को और बढ़ा दिया है, हालांकि सख्त सुरक्षा नियम अभी भी लागू हैं।

स्थैतिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका

विषय विवरण
विस्फोट की तिथि 2 अक्टूबर 2025
स्थान बराटांग द्वीप, उत्तर और मध्य अंडमान
पोर्ट ब्लेयर से दूरी लगभग 150 किमी
ज्वालामुखी का प्रकार कीचड़ ज्वालामुखी
नए टीले की ऊँचाई 3–4 मीटर
कीचड़ से ढका क्षेत्र लगभग 1,000 वर्ग मीटर
पिछला प्रमुख विस्फोट 2005
क्षेत्र का अन्य ज्वालामुखी बैरन द्वीप
बैरन द्वीप का स्थान पोर्ट ब्लेयर से 140 किमी
बैरन द्वीप का अंतिम विस्फोट सितंबर 2025

Baratang Mud Volcano Eruption After Twenty Years
  1. बाराटांग मड ज्वालामुखी 2 अक्टूबर 2025 को फटा।
  2. पोर्ट ब्लेयर के पास अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित है।
  3. 20 साल की निष्क्रिय अवधि के बाद विस्फोट हुआ।
  4. 3-4 मीटर ऊँचा टीला बना, जिससे 1,000 वर्ग मीटर में कीचड़ फैल गया।
  5. अधिकारियों ने घटनास्थल को सील कर दिया और भूवैज्ञानिकों को सतर्क कर दिया।
  6. आखिरी बड़ा विस्फोट 2005 में दर्ज किया गया था।
  7. बाराटांग भारत का एकमात्र मड ज्वालामुखी स्थल है।
  8. पोर्ट ब्लेयर से लगभग 150 किमी दूर, उत्तरी और मध्य अंडमान में स्थित है।
  9. मड ज्वालामुखी लावा नहीं, बल्कि गैसें और घोल छोड़ते हैं।
  10. गैसों में मुख्य रूप से कार्बनिक अपघटन से उत्पन्न मीथेन होती है।
  11. ऐसे ज्वालामुखी भूमिगत गैस गतिविधियों की जानकारी प्रदान करते हैं।
  12. अज़रबैजान में दुनिया का सबसे बड़ा मड ज्वालामुखी संकेन्द्रण है।
  13. अधिकारियों ने सुरक्षा कारणों से आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिए हैं।
  14. इस क्षेत्र में भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी, बैरेन द्वीप भी स्थित है।
  15. बैरेन द्वीप में आखिरी बार सितंबर 2025 में विस्फोट हुआ था।
  16. विस्फोट भारतीय और बर्मी प्लेटों के परस्पर क्रिया के परिणामस्वरूप होते हैं।
  17. अंडमान सागर भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र का हिस्सा है।
  18. ये द्वीप एक प्राकृतिक भूवैज्ञानिक प्रयोगशाला के रूप में कार्य करते हैं।
  19. इस विस्फोट ने पारिस्थितिक पर्यटन और वैज्ञानिक रुचि को बढ़ावा दिया।
  20. सुरक्षा प्रोटोकॉल आगंतुकों की सुरक्षा और निरंतर निगरानी सुनिश्चित करते हैं।

Q1. भारत का एकमात्र कीचड़ ज्वालामुखी कहाँ स्थित है?


Q2. बराटांग कीचड़ ज्वालामुखी का नवीनतम विस्फोट कब हुआ था?


Q3. कीचड़ ज्वालामुखियों से मुख्य रूप से कौन-सी गैस निकलती है?


Q4. भारत का एकमात्र सक्रिय आग्नेय (Igneous) ज्वालामुखी किस द्वीप पर स्थित है?


Q5. अंडमान सागर को भूकंपीय रूप से सक्रिय बनाने वाली भूगर्भीय विशेषता क्या है?


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