शिक्षा: सामाजिक परिवर्तन का इंजन
तमिलनाडु ने बार-बार यह सिद्ध किया है कि शिक्षा सामाजिक न्याय का एक शक्तिशाली माध्यम बन सकती है। राज्य की नीतियाँ इस सिद्धांत पर आधारित हैं कि शिक्षा सभी के लिए होनी चाहिए, केवल कुछ विशेष लोगों के लिए नहीं। सार्वभौमिक पहुँच पर ज़ोर देकर, तमिलनाडु ने शिक्षा को एक विशेषाधिकार से जनसशक्तिकरण के साधन में बदल दिया है।
सुधार की जड़ें: 20वीं सदी की शुरुआत से
1920 में चेन्नई के थाउज़ेंड लाइट्स क्षेत्र की एक म्युनिसिपल स्कूल में भारत की पहली मध्याह्न भोजन योजना शुरू की गई थी। यह पहल जस्टिस पार्टी नेता पी. थिअगाराय चेट्टी के विचारों से प्रेरित होकर मद्रास कॉर्पोरेशन काउंसिल ने मंजूर की थी। यह योजना स्कूल उपस्थिति बढ़ाने और भूख मिटाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी और आगे चलकर पूरे भारत के लिए एक मॉडल बनी।
Static GK Fact: तमिलनाडु की मध्याह्न भोजन योजना, भारत की राष्ट्रीय योजना से कई दशक पहले शुरू हुई थी।
ऐतिहासिक कम्युनल G.O. – 1921
1921 में जस्टिस पार्टी ने शिक्षा में सामाजिक समावेशन के लिए ऐतिहासिक कम्युनल G.O. (सरकारी आदेश) जारी किया, जिसमें पिछड़े और वंचित समुदायों को आरक्षण की व्यवस्था दी गई। इस आदेश ने जाति व्यवस्था को तोड़ने और शिक्षा के द्वार सभी वर्गों के लिए खोलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पोषण और नवाचार के ज़रिए विस्तार
तमिलनाडु की मध्याह्न भोजन योजना अब दुनिया की सबसे बड़ी स्कूली पोषण योजनाओं में से एक बन चुकी है। 2022 में राज्य सरकार ने ब्रेकफास्ट स्कीम शुरू की, जिसमें सरकारी स्कूलों के प्राथमिक छात्रों को सुबह का नाश्ता दिया जाता है। इस योजना से पोषण में सुधार, उपस्थिति में वृद्धि और मानसिक क्षमता में विकास देखा गया है।
Static GK Tip: तमिलनाडु उन पहले राज्यों में है जिसने सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए नाश्ता योजना शुरू की।
सकल नामांकन अनुपात: समावेशी विकास का संकेत
तमिलनाडु का उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (GER) 47% है, जो राष्ट्रीय औसत 28.4% से कहीं अधिक है। महिलाओं में यह अनुपात 47.3% है, जबकि राष्ट्रीय औसत 28.5% है। यह आंकड़े राज्य की शिक्षा में आरक्षण, मुफ्त शिक्षा, पोषण सहायता और लैंगिक समता पर आधारित नीतियों की सफलता को दर्शाते हैं।
समानता आधारित समाज की नींव
शिक्षा तमिलनाडु की सामाजिक न्याय की सोच का मूल है। जस्टिस पार्टी से लेकर आज की ब्रेकफास्ट स्कीम तक, राज्य ने समानता को अपनी शिक्षा नीतियों में गहराई से समाहित किया है। इसका परिणाम है एक ऐसा शिक्षा मॉडल, जो समुदायों को सशक्त करता है, मानव विकास को बढ़ावा देता है और समावेशी आर्थिक प्रगति की नींव रखता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
तथ्य | विवरण |
पहली स्कूल जिसने मध्याह्न भोजन शुरू किया | थाउज़ेंड लाइट्स, मद्रास (1920) |
योजना के पीछे नेता | पी. थिअगाराय चेट्टी |
ऐतिहासिक सुधार (जस्टिस पार्टी) | कम्युनल G.O. – 1921 |
तमिलनाडु का GER (कुल) | 47% |
महिलाओं में तमिलनाडु का GER | 47.3% |
भारत का राष्ट्रीय GER (कुल) | 28.4% |
भारत का राष्ट्रीय GER (महिलाएं) | 28.5% |
ब्रेकफास्ट स्कीम की शुरुआत वर्ष | 2022 |
ब्रेकफास्ट योजना का उद्देश्य | उपस्थिति, पोषण, सीखने में सुधार |
शिक्षा नीति का मूल विचार | सामाजिक न्याय के लिए समान पहुंच |