कार्यक्रम का अवलोकन
3 अक्टूबर 2025 को महात्मा मंदिर, गांधीनगर में दो दिवसीय राष्ट्रीय भूमि प्रशासन एवं आपदा प्रबंधन सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। यह आयोजन ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधीन भूमि संसाधन विभाग और गुजरात राजस्व विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
इस सम्मेलन का उद्देश्य देशभर के अधिकारियों और विशेषज्ञों को एक मंच पर लाकर भूमि शासन और आपदा तैयारी को सुदृढ़ बनाना है।
प्रमुख उद्घाटन और पहलें
उद्घाटन सत्र के दौरान कई नई पहलें शुरू की गईं। नए राजस्व कार्यालयों का उद्घाटन किया गया ताकि संस्थागत पहुंच का विस्तार हो सके।
रेवेन्यू डायरी और इंटीग्रेटेड लैंड एडमिनिस्ट्रेशन (ILA) सिस्टम लॉन्च किए गए, जो भूमि अभिलेख, पंजीकरण, केस प्रबंधन, और पुन: सर्वेक्षण जैसी प्रक्रियाओं को एकीकृत डिजिटल इंटरफ़ेस में जोड़ते हैं।
इसके साथ ही घुमंतू जनजातियों के परिवारों को स्वामित्व (SVAMITVA) कार्ड वितरित किए गए, जिससे उन्हें सुरक्षित भूमि अधिकार प्राप्त हुए।
स्थैतिक जीके तथ्य: स्वामित्व योजना (Survey of Villages and Mapping with Improvised Technology in Village Areas) वर्ष 2020 में पंचायती राज मंत्रालय द्वारा शुरू की गई थी ताकि ग्रामीण परिवारों को संपत्ति अधिकार प्रमाणपत्र मिल सकें।
चर्चा के मुख्य विषय
सम्मेलन का मुख्य फोकस भूमि शासन सुधारों और आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर रहा।
प्रमुख विषयों में शामिल थे —
- राजस्व कानूनों का आधुनिकीकरण
- पंजीकरण और रिकॉर्ड प्रणाली में उन्नयन
- शहरी मानचित्रण हेतु GIS और रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग
- राजस्व न्यायालयों में सुधार
- भूमि अधिग्रहण ढांचे का पुनर्गठन
- आपदा-रोधी अवसंरचना और भूमि उपयोग योजना का विकास
स्थैतिक जीके तथ्य: डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) वर्ष 2008 में प्रारंभ किया गया था ताकि देशभर में भूमि रिकॉर्ड्स का डिजिटलीकरण किया जा सके।
डिजिटलीकरण का महत्व
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि स्थानीय तकनीक आधारित डिजिटलीकरण नागरिक-केंद्रित शासन की दिशा में बड़ा कदम है।
भूमि रिकॉर्ड्स का डिजिटलीकरण पारदर्शिता बढ़ाने, विलंब कम करने, और विवादों को घटाने में मदद करेगा, जिससे ग्राम स्तर पर संपत्ति अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
ILA प्रणाली और रेवेन्यू डायरी से प्रशासनिक दक्षता और जवाबदेही दोनों में सुधार होगा।
स्थैतिक जीके टिप: गुजरात भारत का पहला राज्य था जिसने ई-धरा (e-Dhara) नामक पूर्ण कंप्यूटरीकृत भूमि रिकॉर्ड प्रणाली को 2000 के दशक की शुरुआत में लागू किया।
आपदा प्रबंधन से संबंध
इस सम्मेलन ने भूमि शासन और आपदा प्रबंधन के बीच संबंध को रेखांकित किया।
भूमि उपयोग योजना में जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक जोखिमों को ध्यान में रखना आवश्यक है।
उन्नत मानचित्रण, आपदा-रोधी अवसंरचना, और संस्थागत प्रशिक्षण जैसे उपाय आपदा-प्रवण क्षेत्रों में जोखिम को कम करने में सहायक होंगे।
आगे की दिशा
राष्ट्रीय स्तर पर यह मंच राज्यों को अपने सर्वोत्तम अभ्यासों और नवाचारों को साझा करने का अवसर प्रदान करता है।
यह DILRMP जैसी प्रमुख योजनाओं को सुदृढ़ करता है और केंद्र तथा राज्य एजेंसियों के बीच समन्वय को बढ़ाता है।
सम्मेलन को तकनीक, कानूनी सुधार और आपदा लचीलापन को एकीकृत भूमि शासन ढांचे में जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
स्थिर उस्तादियन करेंट अफेयर्स तालिका
विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
स्थान एवं तिथि | महात्मा मंदिर, गांधीनगर – 3 से 4 अक्टूबर 2025 |
मुख्य अतिथि | भूपेंद्र पटेल, गुजरात के मुख्यमंत्री |
आयोजक | भूमि संसाधन विभाग (ग्रामीण विकास मंत्रालय) और गुजरात राजस्व विभाग |
प्रमुख लॉन्च | इंटीग्रेटेड लैंड एडमिनिस्ट्रेशन सिस्टम, रेवेन्यू डायरी, नए राजस्व कार्यालय |
लाभार्थी | घुमंतू जनजाति परिवारों को स्वामित्व कार्ड |
मुख्य फोकस | डिजिटलीकरण, कानूनी सुधार, संस्थागत सुदृढ़ीकरण |
आपदा संबंध | आपदा-रोधी अवसंरचना और भूमि उपयोग योजना पर जोर |
संबंधित योजना | डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) |
स्वामित्व योजना | 2020 में पंचायती राज मंत्रालय द्वारा प्रारंभ |
उल्लेखनीय तथ्य | गुजरात ने प्रारंभिक 2000 के दशक में e-Dhara प्रणाली लागू की |