पंजाब में फॉल्स स्मट का प्रकोप
खरीफ 2025 सीज़न में पंजाब की धान की फसलें फॉल्स स्मट रोग (स्थानीय रूप से हल्दी रोग) से गंभीर रूप से प्रभावित हुई हैं। राज्य के जिलों में भारी और लगातार बारिश के कारण बाढ़ आई, जिससे धान की फसलों में समय पर एंटी-फंगल छिड़काव नहीं हो सका। यह संक्रमण पकने और कटाई के चरणों में तेज़ी से फैल गया है, जिससे किसानों में व्यापक चिंता है।
स्टैटिक जीके तथ्य: फॉल्स स्मट Ustilaginoidea virens नामक फफूंद से होता है और इसे चावल की एक उभरती हुई वैश्विक बीमारी माना जाता है।
फसल क्षति का स्तर
फसल क्षति पर अलग-अलग रिपोर्ट सामने आई हैं। विधायकों और किसान संगठनों का दावा है कि कुछ क्षेत्रों में 25% तक नुकसान हुआ है, जबकि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) के विशेषज्ञों के अनुसार यह 2–6% तक है। भले ही यह कम आँका गया हो, फिर भी पंजाब के 32.5 लाख हेक्टेयर धान क्षेत्र को देखते हुए नुकसान बड़ा माना जा रहा है।
आर्थिक असर
इस सीज़न के लिए पंजाब का धान खरीद लक्ष्य 180 लाख टन है। लेकिन बाढ़ ने अमृतसर, तरनतारन, कपूरथला और फिरोज़पुर जिलों में लगभग 5 लाख एकड़ कृषि भूमि को नष्ट कर दिया। इससे न केवल धान की पैदावार प्रभावित होगी बल्कि खेतों में रेत जमने के कारण रबी गेहूं की बुवाई भी देर से होगी।
स्टैटिक जीके टिप: पंजाब और हरियाणा मिलकर भारत के केंद्रीय खाद्यान्न पूल में 70% से अधिक चावल का योगदान करते हैं।
संस्थागत जिम्मेदारी
किसानों ने PAU और राज्य कृषि विभाग की आलोचना की है कि समय पर परामर्श और चेतावनी जारी नहीं की गईं। इस देरी के कारण एंटी-फंगल स्प्रे का मौका चूक गया। विशेषज्ञों ने रोग की मौजूदगी स्वीकार की है लेकिन इसके पैमाने को कम करके आंका है। पूर्व अधिकारियों ने चीनी ड्वार्फ रोग जैसे अन्य बिना रिपोर्ट किए गए प्रकोपों का भी उल्लेख किया, जिससे निगरानी तंत्र की कमजोरी सामने आई।
खरीद की स्थिति
संकट के बावजूद 15 सितंबर 2025 को धान की खरीद सामान्य से पहले शुरू कर दी गई। अब तक 1.96 लाख टन धान मंडियों में पहुँच चुका है और जैसे-जैसे कटाई बढ़ेगी, आगमन भी बढ़ने की उम्मीद है। यह प्रक्रिया किसानों की आय को स्थिर करने और राज्य में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
स्टैटिक जीके तथ्य: भारत में धान और गेहूं की खरीद एवं वितरण की मुख्य एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (FCI) है।
व्यापक कृषि चुनौतियाँ
पंजाब की कृषि लगातार बाढ़, भारी वर्षा और असामान्य मौसम जैसी जलवायु-जनित चुनौतियों के प्रति संवेदनशील बनी हुई है। ऐसे हालात पौधों के रोगों को बढ़ावा देते हैं और प्रबंधन को जटिल बनाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय में जोखिम कम करने के लिए बेहतर रोग निगरानी, प्रभावी परामर्श तंत्र और लचीली फसल प्रणालियों को बढ़ावा देना जरूरी है।
स्टैटिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका
विषय | विवरण |
रोग | धान में फॉल्स स्मट (हल्दी रोग) |
रोगजनक | Ustilaginoidea virens फफूंद |
प्रभावित राज्य | पंजाब (अमृतसर, तरनतारन, कपूरथला, फिरोज़पुर) |
अनुमानित क्षति | धान की 2–25% फसल |
धान का क्षेत्र | 32.5 लाख हेक्टेयर |
बाढ़ का प्रभाव | 5 लाख एकड़ भूमि नष्ट |
खरीद लक्ष्य | 180 लाख टन धान |
खरीद शुरू | 15 सितंबर 2025 |
प्रारंभिक खरीद | 1.96 लाख टन |
मुख्य संस्था | पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) |