पर्यावरणीय लेखांकन रिपोर्ट जारी
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने वन पर्यावरणीय लेखांकन 2025 का 8वां संस्करण जारी किया। यह रिपोर्ट 25 सितंबर 2025 को चंडीगढ़ में आयोजित 29वें केंद्रीय और राज्य सांख्यिकीय संगठनों के सम्मेलन (CoCSSO) में प्रस्तुत की गई। यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र प्रणाली पर्यावरणीय आर्थिक लेखांकन (SEEA) फ्रेमवर्क के तहत तैयार भारत की पहली समर्पित वन रिपोर्ट है।
स्थिर जीके तथ्य: भारत 1945 में संयुक्त राष्ट्र का संस्थापक सदस्य बना था और SEEA जैसे ढाँचों में सक्रिय भागीदारी करता है।
रिपोर्ट की संरचना
यह प्रकाशन दो खंडों में विभाजित है। खंड I में राष्ट्रीय स्तर का डेटा है जिसमें भौतिक संपत्ति लेखा, विस्तार लेखा, स्थिति लेखा और सेवा लेखा शामिल हैं। खंड II में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आँकड़े और दशकवार परिवर्तन दिए गए हैं। डेटा स्रोतों में इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट (ISFR), फॉरेस्ट्री स्टैटिस्टिक्स 2021 (ICFRE), NCAVES रिपोर्ट और राष्ट्रीय लेखा शामिल हैं।
स्थिर जीके तथ्य: भारतीय वन्य अनुसंधान और शिक्षा परिषद (ICFRE) की स्थापना 1986 में की गई थी, जिसका मुख्यालय देहरादून है।
भौतिक संपत्ति लेखा
2010-11 से 2021-22 के बीच भारत का वन क्षेत्र 17,444.61 वर्ग किमी (22.50%) बढ़ा। कुल वन क्षेत्र अब 7.15 लाख वर्ग किमी हो गया है, जो भारत के भौगोलिक क्षेत्र का 21.76% है। सबसे अधिक वृद्धि वाले राज्य थे — केरल (4,137 वर्ग किमी), कर्नाटक (3,122 वर्ग किमी) और तमिलनाडु (2,606 वर्ग किमी)।
स्थिर जीके टिप: भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्र लगभग 32.87 लाख वर्ग किमी है।
विस्तार लेखा
2013 से 2023 के बीच भारत में वन विस्तार में 3,356 वर्ग किमी की शुद्ध वृद्धि दर्ज की गई। यह मुख्यतः सीमा पुनर्वर्गीकरण और प्रशासनिक समायोजन के कारण हुआ। उत्तराखंड में रिकॉर्डेड फॉरेस्ट एरिया (RFA) की हिस्सेदारी में 6.3% की वृद्धि हुई, इसके बाद ओडिशा (1.97%) और झारखंड (1.9%) का स्थान रहा।
स्थिति लेखा
ग्रोइंग स्टॉक (जीवित पेड़ों में उपयोगी लकड़ी की मात्रा) 2013 से 2023 के बीच 305.53 मिलियन घन मीटर (7.32%) बढ़ा। इसमें सर्वाधिक योगदान मध्य प्रदेश (136 मिलियन घन मीटर), छत्तीसगढ़ (51 मिलियन घन मीटर) और तेलंगाना (28 मिलियन घन मीटर) का रहा। केंद्र शासित प्रदेशों में अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह का योगदान 77 मिलियन घन मीटर था।
प्रदाय सेवाएँ
प्रदाय सेवाओं (टिम्बर और गैर-टिम्बर वन उत्पाद) का आर्थिक मूल्य 2011-12 के ₹30.72 हजार करोड़ से बढ़कर 2021-22 में ₹37.93 हजार करोड़ हो गया। यह भारत के GDP का 0.16% है। शीर्ष योगदानकर्ता राज्य रहे — महाराष्ट्र (₹23.78 हजार करोड़), गुजरात (₹14.15 हजार करोड़) और केरल (₹8.55 हजार करोड़)।
स्थिर जीके तथ्य: भारत का GDP (2021-22) ₹236.65 लाख करोड़ आंका गया था।
नियामक सेवाएँ
नियामक सेवाओं में कार्बन संरक्षण का महत्व है। इसका मूल्य 2015-16 में ₹409.1 हजार करोड़ से बढ़कर 2021-22 में ₹620.97 हजार करोड़ (51.82% वृद्धि) हुआ। यह GDP का 2.63% है। कार्बन संरक्षण में शीर्ष राज्य रहे — अरुणाचल प्रदेश (₹296 हजार करोड़), उत्तराखंड (₹156.6 हजार करोड़) और असम (₹129.96 हजार करोड़)।
स्थिर जीके टिप: अरुणाचल प्रदेश भारत का सबसे बड़ा पूर्वोत्तर राज्य है, जिसका क्षेत्रफल 83,743 वर्ग किमी है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
रिपोर्ट जारी करने वाला | सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) |
जारी करने की तिथि | 25 सितंबर 2025 |
आयोजन | 29वाँ केंद्रीय और राज्य सांख्यिकीय संगठन सम्मेलन (CoCSSO) |
फ्रेमवर्क | संयुक्त राष्ट्र प्रणाली पर्यावरणीय आर्थिक लेखांकन (SEEA) |
कुल वन क्षेत्र | 7.15 लाख वर्ग किमी (भारत के क्षेत्र का 21.76%) |
वन क्षेत्र वृद्धि (2010-22) | 17,444.61 वर्ग किमी |
ग्रोइंग स्टॉक वृद्धि | 305.53 मिलियन घन मीटर |
प्रदाय सेवाओं का मूल्य | ₹37.93 हजार करोड़ (2021-22) |
नियामक सेवाओं का मूल्य | ₹620.97 हजार करोड़ (2021-22) |
शीर्ष कार्बन संरक्षण राज्य | अरुणाचल प्रदेश – ₹296 हजार करोड़ |