राष्ट्रीय आंदोलन
2017 में शुरू की गई स्वच्छता ही सेवा (SHS) एक वार्षिक स्वच्छता अभियान है, जो 2 अक्टूबर, महात्मा गांधी की जयंती पर समाप्त होता है। 2025 संस्करण, स्वच्छोत्सव थीम पर आधारित, 15 दिनों तक चला और इसमें नागरिकों, सरकारी निकायों और नागरिक समाज की भागीदारी रही। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य अंत्योदय से सर्वोदया है, यानी समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वच्छता और समावेश सुनिश्चित करना।
स्थिर जीके तथ्य: भारत ने 2019 में स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच से मुक्त (ODF) का दर्जा प्राप्त किया।
श्रमदान और नागरिक भागीदारी
25 सितंबर 2025 को “एक दिन, एक घंटा, एक साथ” श्रमदान के तहत लाखों लोगों ने स्वेच्छा से एक घंटे का श्रमदान किया। इसमें प्लॉगिंग, कचरा पृथक्करण और क्लीनलिनेस टारगेट यूनिट्स (CTUs) की सुंदरता बढ़ाने जैसी गतिविधियाँ शामिल थीं। राजनीतिक नेताओं, युवा समूहों, NGOs और सफाई कर्मचारियों ने सक्रिय भागीदारी की। इस अवसर पर स्वच्छता कर्मियों की भूमिका को जनस्वास्थ्य और गरिमा के लिए महत्वपूर्ण माना गया।
स्थिर जीके टिप: श्रमदान संस्कृत शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है सामाजिक हित के लिए स्वैच्छिक श्रम।
कचरा प्रबंधन और डंपसाइट पुनर्स्थापन
2025 में शहरी कचरा प्रसंस्करण 81% तक पहुँच गया, जो 2014 में केवल 16% था। प्रमुख सुविधाओं में मटेरियल रिकवरी फैसिलिटीज, कम्पोस्टिंग यूनिट्स और वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट्स शामिल हैं। डंपसाइट पुनर्स्थापन के तहत 7,646 एकड़ भूमि पुनः प्राप्त की गई और 58% पुराने कचरे का निपटारा किया गया। दिल्ली का भलस्वा लैंडफिल और राजकोट का अर्बन फॉरेस्ट जैसे प्रोजेक्ट विषैले लैंडफिल्स को हरे-भरे उत्पादक स्थलों में बदल रहे हैं।
स्थिर जीके तथ्य: भारत प्रतिदिन 1.4 लाख टन से अधिक ठोस शहरी कचरा उत्पन्न करता है।
सरकारी मंत्रालयों की भागीदारी
वाणिज्य एवं उद्योग, कृषि एवं किसान कल्याण, सहकारिता, संसदीय कार्य और पोत परिवहन मंत्रालय सहित कई मंत्रालयों ने SHS 2025 में सक्रिय योगदान दिया। पहलें स्वच्छता अभियान, स्वास्थ्य शिविरों से लेकर पर्यावरण-अनुकूल कार्यक्रमों तक रहीं। इससे नीतियाँ जमीनी स्तर पर उतरकर सभी क्षेत्रों में स्वच्छता संस्कृति को बढ़ावा दे रही हैं।
प्रभाव और सफलता की कहानियाँ
अब तक देशभर में 12 करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए हैं, जिससे खुले में शौच की समस्या घटी और महिलाओं की सुरक्षा बढ़ी। स्वच्छता संबंधी बीमारियों से पाँच वर्ष से कम आयु के लगभग 3 लाख बच्चों को बचाया गया। जम्मू-कश्मीर, असम और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने नवीन मॉडल प्रस्तुत किए। अमरनाथ यात्रा 2025 ने जीरो-लैंडफिल स्थिति प्राप्त की। असम की महिलाओं ने जलकुंभी से सतत हस्तशिल्प बनाए, जबकि आगरा ने एक बड़े डंपसाइट को हरित शहरी केंद्र में बदलकर कचरा प्रबंधन को आजीविका से जोड़ा।
स्थिर जीके तथ्य: स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत भारत का पहला शौचालय 2014 में उद्घाटित हुआ था।
सांस्कृतिक आंदोलन के रूप में स्वच्छता
स्वच्छ भारत मिशन अब एक अभियान से आगे बढ़कर सांस्कृतिक आंदोलन बन चुका है। इसने जनस्वास्थ्य, पर्यावरणीय उत्तरदायित्व और सामाजिक गरिमा को नया दृष्टिकोण दिया है। SHS 2025 इस विरासत को और मजबूत बनाता है और 2047 तक भारत के विकास दृष्टिकोण में स्वच्छता को स्थायी राष्ट्रीय मूल्य के रूप में स्थापित करता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
अभियान प्रारंभ वर्ष | 2017 |
2025 अवधि | 15 दिन |
2025 थीम | स्वच्छोत्सव |
प्रमुख गतिविधियाँ | श्रमदान, प्लॉगिंग, कचरा पृथक्करण |
निर्मित शौचालय | 12 करोड़ से अधिक |
शहरी कचरा प्रसंस्करण | 81% से अधिक |
पुनः प्राप्त डंपसाइट | 7,646 एकड़ |
उल्लेखनीय परियोजनाएँ | भलस्वा लैंडफिल, राजकोट अर्बन फॉरेस्ट |
संरक्षित बच्चे | पाँच वर्ष से कम आयु के लगभग 3 लाख |
सांस्कृतिक प्रभाव | स्वच्छता राष्ट्रीय मूल्य के रूप में स्थापित |