इंजन तकनीक में इसरो की बड़ी छलांग
17 जनवरी 2025 को, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने विकास इंजन की पुनःप्रज्वलन (restart) क्षमता को सफलतापूर्वक प्रमाणित कर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। यह परीक्षण पुनःप्रयोग योग्य प्रक्षेपण प्रणाली (Reusable Launch Vehicle) के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो भारत को अंतरिक्ष मिशनों में आत्मनिर्भर और वैश्विक प्रतिस्पर्धी बनाएगा। 1970 के दशक से सेवा में रहा यह इंजन निरंतर उन्नयन के माध्यम से अधिक विश्वसनीय और शक्तिशाली बनता गया है।
विकास इंजन क्यों है आवश्यक
विकास इंजन एक तरल–ईंधन रॉकेट इंजन है जो UDMH (Unsymmetrical Dimethylhydrazine) और नाइट्रोजन टेट्रॉक्साइड जैसे हाइपरगोलिक प्रणोदकों का उपयोग करता है। यह PSLV, GSLV और LVM3 जैसे भारत के प्रमुख प्रक्षेपण यानों को शक्ति प्रदान करता है, जिससे यह इसरो की लाइट और हेवी दोनों श्रेणी की लॉन्च क्षमताओं के लिए केंद्रीय भूमिका निभाता है।
2025 का पुनःप्रज्वलन परीक्षण
इसरो ने जनवरी 2025 में विकास इंजन को एक मिनट के लिए प्रज्वलित किया, फिर दो मिनट तक रोका, और इसके बाद सात सेकंड के लिए पुनः शुरू किया। यह परीक्षण पुनःप्रयोग योग्य रॉकेटों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनमें विभिन्न चरणों में कई बार इंजन चालू/बंद करने की आवश्यकता होती है। इससे लॉन्च की लागत कम होती है और समय बचता है।
क्षमता और प्रदर्शन
यह इंजन 725 किलो न्यूटन तक की अधिकतम थ्रस्ट देने में सक्षम है। इसके ईंधन वहन क्षमता वाहन पर निर्भर करती है—PSLV और GSLV Mk I/II के लिए 40 टन, जबकि LVM3 के लिए 55 टन तक। यह इसे लाइट और हेवी दोनों मिशनों में प्रभावशाली बनाता है।
इसरो द्वारा विकसित संस्करण
इसरो ने कई विकास इंजन संस्करण विकसित किए हैं। इनमें हाई थ्रस्ट विकास इंजन (HTVE) 800 kN तक थ्रस्ट देता है जो नई पीढ़ी के GSLV मिशनों के लिए उपयुक्त है। एक और उन्नत संस्करण हाई प्रेशर विकास इंजन (HPVE) विकासाधीन है जो पेलोड क्षमता और मिशन समय को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
थ्रॉटलिंग के माध्यम से थ्रस्ट नियंत्रण
इसरो अब विकास इंजन में थ्रस्ट नियंत्रण (थ्रॉटलिंग) तकनीक पर कार्य कर रहा है, जिससे इंजन उड़ान के दौरान अपनी शक्ति को समायोजित कर सकेगा। जनवरी 2023 में एक परीक्षण के दौरान, इंजन ने 67% शक्ति पर 40 सेकंड तक काम किया, जिससे यह साबित हुआ कि यह मिशन आवश्यकताओं के अनुसार प्रदर्शन को समायोजित कर सकता है।
गगनयान मिशन में भूमिका
गगनयान, भारत का पहला नियोजित मानव अंतरिक्ष मिशन, अपने प्रमुख प्रक्षेपण और कक्षा स्थानांतरण चरणों में विकास इंजन पर निर्भर करेगा। इसकी प्रमाणित विश्वसनीयता और थ्रस्ट क्षमता अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने में सहायक होगी।
इसरो की वाणिज्यिक क्षमता में विस्तार
सरकारी मिशनों के अलावा, विकास इंजन वाणिज्यिक उपग्रह प्रक्षेपणों जैसे LVM3 के L110 चरण में भी उपयोग होता है। उदाहरण के लिए, BlueBird Block-2 जैसे उपग्रहों की सफल प्रक्षेपण ने भारत की वैश्विक लॉन्च सेवा बाज़ार में प्रतिष्ठा को बढ़ाया है।
Static GK Snapshot
पहलू | विवरण |
प्रारंभ वर्ष | 1970 के दशक |
प्रणोदक प्रणाली | UDMH + नाइट्रोजन टेट्रॉक्साइड (हाइपरगोलिक मिश्रण) |
अधिकतम थ्रस्ट | 725 kN (HTVE में 800 kN तक) |
मुख्य उपयोग | PSLV, GSLV Mk I/II, LVM3, गगनयान |
हालिया उन्नयन | जनवरी 2025 में सफल पुनःप्रज्वलन परीक्षण |