मिसाइल क्षमता में बड़ी सफलता
भारत ने रेल आधारित लॉन्चर से अग्नि प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जो मोबाइल रक्षा प्रणाली को मजबूत करने में एक बड़ा कदम है। इस उपलब्धि के साथ, भारत अमेरिका, चीन और रूस जैसे उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है जिनके पास रेल प्लेटफॉर्म से बैलिस्टिक मिसाइल दागने की क्षमता है।
यह परीक्षण भारत की तकनीकी प्रगति और रणनीतिक गहराई दोनों को दर्शाता है और परमाणु प्रतिरोधक क्षमता के साथ-साथ संचालनिक तत्परता को भी बढ़ाता है।
स्थैतिक तथ्य: अग्नि श्रृंखला की पहली मिसाइल अग्नि-I का परीक्षण 1989 में 700 किमी रेंज के साथ किया गया था।
अग्नि प्राइम की विशेषताएँ
अग्नि प्राइम, जिसे अग्नि-P भी कहा जाता है, अग्नि श्रृंखला की छठी मिसाइल है जिसे DRDO ने विकसित किया है। इसकी रेंज 2000 किमी तक है और यह दो-स्तरीय ठोस ईंधन प्रणाली पर आधारित है।
यह मिसाइल कैनिस्टराइज्ड है, जिससे त्वरित प्रक्षेपण और सुरक्षित संचालन संभव है। इसके पहले संस्करणों ने सड़क गतिशीलता को प्रमाणित किया था, जबकि इस परीक्षण ने रेल आधारित गतिशीलता स्थापित की, जिससे लचीलापन और बढ़ गया।
स्थैतिक टिप: DRDO की स्थापना 1958 में हुई थी और यह रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।
उन्नत प्रणालियाँ
मिसाइल में स्वायत्त संचार प्रणाली, स्वतंत्र प्रक्षेपण तंत्र और सुरक्षा उपाय शामिल हैं। ग्राउंड स्टेशनों ने पुष्टि की कि मिसाइल की प्रक्षेपवक्र सभी उद्देश्यों पर खरी उतरी, जिससे इसकी विश्वसनीयता सिद्ध हुई।
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यह प्रणाली पूरी तरह स्वायत्त है और देश के विशाल रेल नेटवर्क के माध्यम से तेज़ तैनाती और गुप्त आवाजाही की क्षमता रखती है।
संयुक्त परीक्षण
यह परीक्षण DRDO और सामरिक बल कमान (SFC) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। सुरक्षा कारणों से प्रक्षेपण स्थल का खुलासा नहीं किया गया।
रेल-आधारित प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हुए, इस मिसाइल ने देशव्यापी संचालनिक तत्परता प्रदर्शित की। इस घटना ने यह सिद्ध किया कि भारत सैन्य संसाधनों को नागरिक अवसंरचना के साथ निर्बाध रूप से जोड़ सकता है।
स्थैतिक तथ्य: सामरिक बल कमान (SFC) की स्थापना 2003 में भारत की परमाणु शस्त्रागार प्रबंधन के लिए की गई थी।
रणनीतिक महत्व
रेल आधारित प्रक्षेपण क्षमता भारत की न्यूक्लियर ट्रायड को मज़बूत करती है, विशेष रूप से द्वितीय आघात क्षमता को बढ़ाकर। स्थिर साइलो की तुलना में मोबाइल प्लेटफॉर्म का पता लगाना और उन्हें निशाना बनाना शत्रुओं के लिए कठिन होता है।
यह प्रणाली मिसाइल बलों की संवेदनशीलता को कम करती है, तैनाती का समय घटाती है और पहुंच बढ़ाती है। यह क्षमता भारत की रक्षा तैयारियों में निर्णायक सिद्ध होती है।
प्रमुख बिंदु
- अग्नि प्राइम का पहला रेल आधारित प्रक्षेपण
- 2000 किमी रेंज के साथ सटीक प्रहार क्षमता
- मिसाइल बलों की गतिशीलता और जीवित रहने की क्षमता बढ़ी
- भारत की सामरिक प्रतिरोधक स्थिति मज़बूत हुई
- DRDO और SFC द्वारा संचालनिक परिस्थितियों में संयुक्त निष्पादन
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
परीक्षण की गई मिसाइल | अग्नि प्राइम (अग्नि-P) |
रेंज | 2000 किमी तक |
ईंधन | दो-स्तरीय ठोस ईंधन |
प्रक्षेपण प्रकार | कैनिस्टराइज्ड, रेल आधारित गतिशीलता प्रमाणित |
विकसित करने वाली संस्था | रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) |
सहयोगी एजेंसी | सामरिक बल कमान (SFC) |
पहला रेल प्रक्षेपण | सितम्बर 2025 |
सामरिक भूमिका | द्वितीय आघात क्षमता को मज़बूत करना |
न्यूक्लियर ट्रायड संबंध | ज़मीनी प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि |
तुलनात्मक देश | अमेरिका, चीन, रूस |