पानी के नीचे पुरातात्विक सर्वेक्षण
तमिलनाडु राज्य पुरातत्व विभाग ने पूम्पुहार तट के पास गहरे समुद्र की खोज शुरू की है। यह दो दशकों से अधिक समय बाद पहला बड़ा पानी के नीचे पुरातात्विक सर्वेक्षण है। इस परियोजना का उद्देश्य प्राचीन चोल बंदरगाह नगर के अवशेषों को उजागर करना है, जो दक्षिण भारत के समुद्री इतिहास पर नई रोशनी डालेगा।
स्थैतिक तथ्य: पूम्पुहार प्रारंभिक चोल साम्राज्य की राजधानी और 3री शताब्दी ईसा पूर्व से 3री शताब्दी ईस्वी तक एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र था।
सहयोग और विशेषज्ञता
यह सर्वेक्षण इंडियन मेरीटाइम यूनिवर्सिटी के सहयोग से किया जा रहा है, जिसमें शैक्षणिक विशेषज्ञता और राज्य संसाधनों का समावेश है। शोधकर्ता बहु–विषयक दृष्टिकोण अपना रहे हैं, जिसमें पुरातत्व, समुद्री विज्ञान और इतिहास को जोड़ा गया है। यह साझेदारी वैज्ञानिक कठोरता और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण दोनों को सुनिश्चित करती है।
स्थैतिक टिप: इंडियन मेरीटाइम यूनिवर्सिटी की स्थापना 2008 में हुई थी और यह समुद्री अध्ययन और शोध में विशेषज्ञ है।
उन्नत खोज तकनीक
इस परियोजना में साइड–स्कैन सोनार का उपयोग समुद्र तल को मानचित्रित करने के लिए, इको साउंडर्स का उपयोग गहराई मापने के लिए और सब–बॉटम प्रोफाइलर्स का उपयोग दबे हुए ढांचों का पता लगाने के लिए किया जा रहा है। एक रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (ROV) विस्तृत पानी के नीचे की छवियाँ कैप्चर करने के लिए तैनात किया गया है। इन तकनीकों की मदद से जहाज़ के मलबे, डूबे हुए कलाकृतियों और प्राचीन बंदरगाह संरचनाओं का सटीक पता लगाया जा सकता है।
स्थैतिक तथ्य: ROVs का उपयोग महासागर विज्ञान और पानी के नीचे पुरातत्व में गैर-आक्रामक सर्वेक्षणों के लिए व्यापक रूप से किया जाता है।
ऐतिहासिक महत्व
पूम्पुहार (कावेरीपूम्पट्टिनम) का उल्लेख प्राचीन तमिल साहित्य जैसे शिलप्पदिकारम में मिलता है। यह बंगाल की खाड़ी पर अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण दक्षिण-पूर्व एशिया और रोम के साथ व्यापार को बढ़ावा देता था। यह सर्वेक्षण व्यापार नेटवर्क, शहरी नियोजन और चोल काल की समुद्री परंपराओं पर नई जानकारी देने की उम्मीद है।
स्थैतिक टिप: मयिलादुथुरै जिला, जहाँ पूम्पुहार स्थित है, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है।
भविष्य की संभावनाएँ
इस गहरे समुद्र की खोज से प्राप्त निष्कर्ष अकादमिक शोध, विरासत पर्यटन और संरक्षण रणनीतियों में योगदान देंगे। कलाकृतियों और संरचनाओं का दस्तावेज़ीकरण डिजिटल रूप से उपलब्ध कराया जाएगा। यह परियोजना भारत के पूर्वी तट पर इसी तरह की अन्य पहलों के लिए एक मिसाल भी कायम करेगी।
स्थैतिक तथ्य: भारत की समृद्ध पानी के नीचे की विरासत में द्वारका, भीमुनिपटनम और कोंकण तट जैसे स्थल शामिल हैं।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
पूम्पुहार में गहरे समुद्र की खोज | तमिलनाडु तट पर पानी के नीचे पुरातात्विक सर्वेक्षण |
लॉन्च तिथि | 19 सितंबर 2025 |
संचालनकर्ता | तमिलनाडु राज्य पुरातत्व विभाग |
सहयोग | इंडियन मेरीटाइम यूनिवर्सिटी |
स्थान | पूम्पुहार (कावेरीपूम्पट्टिनम), मयिलादुथुरै जिला |
प्रयुक्त तकनीक | साइड-स्कैन सोनार, इको साउंडर्स, सब-बॉटम प्रोफाइलर्स, ROV |
ऐतिहासिक महत्व | प्राचीन चोल बंदरगाह नगर, शिलप्पदिकारम में उल्लिखित व्यापार केंद्र |
उद्देश्य | डूबी हुई संरचनाओं और समुद्री धरोहर का अध्ययन |
अंतराल अवधि | 20 साल से अधिक समय बाद पहला अन्वेषण |
अपेक्षित परिणाम | अकादमिक शोध, धरोहर संरक्षण, पर्यटन को बढ़ावा |