अवलोकन
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने राज्य वित्त रिपोर्ट 2022-23 जारी की, जो सभी 28 राज्यों के 2013-14 से 2022-23 तक के वित्तीय आँकड़ों को कवर करने वाला पहला व्यापक दस्तावेज़ है। इस रिपोर्ट में सार्वजनिक ऋण, राजकोषीय घाटा, राजस्व सृजन और व्यय के पैटर्न पर प्रकाश डाला गया है, जिससे भारतीय राज्यों की वित्तीय सेहत की झलक मिलती है।
स्थिर जीके तथ्य: भारत का CAG अनुच्छेद 148 के तहत एक संवैधानिक प्राधिकरण है, जो केंद्र और राज्यों के सरकारी खातों का लेखा-परिक्षण करता है।
राज्यों की ऋण स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार 2022-23 में राज्यों का कुल ऋण राष्ट्रीय GDP का 22.17% था। यह स्तर FRBM अधिनियम (2003) के लक्ष्य से अधिक है, जिसमें 2024-25 तक राज्यों का ऋण GDP के 20% तक सीमित करने का प्रावधान है।
ऋण-से-GSDP अनुपात पंजाब में सबसे अधिक (40.35%), इसके बाद नागालैंड (37.15%) और पश्चिम बंगाल (33.70%) रहा। ये आँकड़े कई राज्यों में बढ़ते वित्तीय दबाव को दर्शाते हैं।
स्थिर जीके टिप: FRBM अधिनियम, 2003 को वित्तीय अनुशासन संस्थागत बनाने और केंद्र व राज्यों दोनों स्तरों पर घाटे को कम करने के लिए पेश किया गया था।
राजकोषीय घाटे के पैटर्न
रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 2022-23 के दौरान सभी 28 राज्य राजकोषीय घाटे में थे। गुजरात में घाटा सबसे कम (0.76% GSDP) और हिमाचल प्रदेश में सबसे अधिक (6.46% GSDP) रहा।
FRBM मानक के अनुसार 2022-23 में राज्यों को राजकोषीय घाटा GSDP के 3.5% तक सीमित रखना था, लेकिन कई राज्यों ने यह सीमा पार कर दी, जिससे संरचनात्मक असंतुलन सामने आए।
राज्यों के बीच राजस्व अंतर
डेटा से पता चला कि राज्यों के स्वयं के कर राजस्व (SOTR) में बड़ा अंतर है। हरियाणा का SOTR हिस्सा 70% था, जबकि अरुणाचल प्रदेश का मात्र 9%, जो केंद्रीय हस्तांतरणों और GST पर अलग-अलग निर्भरता को दर्शाता है।
ये अंतर वित्तीय क्षमता की असमानता को उजागर करते हैं, जहाँ आर्थिक रूप से मजबूत राज्य आंतरिक राजस्व अधिक जुटा पाते हैं, जबकि संसाधन-सीमित राज्य केंद्र पर अधिक निर्भर रहते हैं।
सार्वजनिक ऋण बढ़ने के कारण
सब्सिडी बोझ
कई राज्यों में सब्सिडी व्यय में वृद्धि देखी गई, जिसमें कृषि ऋण माफी, मुफ्त या रियायती बिजली, नकद हस्तांतरण और युवाओं व महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाएँ शामिल थीं।
उच्च प्रतिबद्ध व्यय
एक प्रमुख कारण वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान जैसे प्रतिबद्ध व्यय हैं। 2013-14 से 2022-23 के बीच, इसका हिस्सा राजस्व व्यय का 42% और GSDP का 6% से अधिक बना रहा, जिसने वित्तीय लचीलापन सीमित कर दिया।
सीमित राजस्व जुटाव
राज्य GST संग्रह और केंद्रीय हस्तांतरण पर निर्भर रहते हैं। राज्य स्तर पर कमजोर कर जुटाव ने ऋण संचय की समस्या को और बढ़ाया है।
स्थिर जीके तथ्य: वस्तु एवं सेवा कर (GST) 2017 में लागू हुआ, जिसने कई अप्रत्यक्ष करों को समाहित किया और राज्यों की राजस्व संरचना को बदल दिया।
आगे की राह
राजकोषीय स्थिरता प्राप्त करने के लिए राज्यों को कर प्रशासन सुधारना होगा, सब्सिडियों का युक्तिकरण करना होगा और गैर-विकासात्मक व्यय पर नियंत्रण रखना होगा। FRBM लक्ष्यों का पालन करना दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने और अस्थिर ऋण बोझ से बचने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
रिपोर्ट जारी करने वाला | नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) |
कवरेज अवधि | 2013-14 से 2022-23 |
शामिल राज्य | 28 |
2022-23 में राज्यों का कुल ऋण | राष्ट्रीय GDP का 22.17% |
FRBM अधिनियम ऋण लक्ष्य | 2024-25 तक GDP का 20% |
सर्वाधिक ऋण-से-GSDP अनुपात | पंजाब (40.35%) |
न्यूनतम राजकोषीय घाटा | गुजरात (0.76% GSDP) |
अधिकतम राजकोषीय घाटा | हिमाचल प्रदेश (6.46% GSDP) |
सर्वाधिक SOTR हिस्सा | हरियाणा (70%) |
न्यूनतम SOTR हिस्सा | अरुणाचल प्रदेश (9%) |