प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया (1861–1962) का जन्म कर्नाटक के मुड्डेनहल्ली में हुआ। उन्होंने पुणे के कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। अनुशासन, नवाचार और समाज सेवा की भावना उनके करियर की नींव बनी।
स्थैतिक GK तथ्य: कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, पुणे (1854) एशिया के सबसे पुराने इंजीनियरिंग संस्थानों में से एक है।
इंजीनियरिंग योगदान
- सिंचाई प्रणाली: पंझरा नदी पर पाइप सायफ़न बनाया, जिससे जल वितरण आसान हुआ।
- डेक्कन नहरों में ब्लॉक प्रणाली: व्यापक जल वितरण और गाद समस्या से बचाव।
- स्वचालित जल द्वार प्रणाली का आविष्कार (1903): सबसे पहले खड़ा बाँध (पुणे) में लगाया गया, जिसने आधुनिक जल नियंत्रण परियोजनाओं की नींव रखी।
- मुख्य परियोजना: कृष्णराज सागर (KRS) बाँध, मैसूर – उस समय भारत के सबसे बड़े बाँधों में से एक।
स्थैतिक GK तथ्य: विश्वेश्वरैया KRS बाँध के मुख्य अभियंता थे।
प्रशासक और राष्ट्रनिर्माता
1912–1918 के बीच मैसूर राज्य के दीवान रहते हुए उन्होंने उद्योग, शिक्षा और बैंकिंग को बढ़ावा दिया।
- मैसूर विश्वविद्यालय (1916) की स्थापना में अहम भूमिका निभाई।
- विद्वान के रूप में उनकी किताबें: Reconstructing India (1920) और Planned Economy for India (1934), जिनमें उन्होंने व्यवस्थित राष्ट्रीय योजना की वकालत की।
स्थैतिक GK टिप: मैसूर विश्वविद्यालय कर्नाटक का पहला और भारत का छठा विश्वविद्यालय था।
मान्यता और विरासत
- भारत रत्न (1955) – भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान।
- 15 सितम्बर – हर साल राष्ट्रीय अभियंता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- उन्होंने 101 वर्ष की आयु तक जीवन जिया और भारत के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर स्वतंत्र राष्ट्र बनने तक के परिवर्तन देखे।
स्थैतिक GK तथ्य: वे 101 वर्ष (1861–1962) तक जीवित रहे।
आज की प्रासंगिकता
विश्वेश्वरैया के मूल्य – प्रतिबद्धता, समानता और नवाचार – आज भी अवसंरचना विकास और राष्ट्र निर्माण में मार्गदर्शक हैं। उनका जीवन सिखाता है कि तकनीकी कौशल के साथ नैतिक नेतृत्व भी ज़रूरी है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
जन्मस्थान | मुड्डेनहल्ली, कर्नाटक |
जन्म वर्ष | 1861 |
शिक्षा | कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, पुणे |
प्रमुख आविष्कार | स्वचालित जल द्वार प्रणाली |
प्रसिद्ध परियोजना | कृष्णराज सागर बाँध, मैसूर |
प्रशासनिक भूमिका | मैसूर के दीवान (1912–1918) |
प्रमुख पुस्तकें | Reconstructing India, Planned Economy for India |
सर्वोच्च पुरस्कार | भारत रत्न (1955) |
अभियंता दिवस | 15 सितम्बर |
जीवनकाल | 1861–1962 (101 वर्ष) |