हैदराबाद की पृष्ठभूमि
1947 में स्वतंत्रता के समय हैदराबाद सबसे बड़ी रियासत थी, जिस पर निज़ाम मीर उस्मान अली खान का शासन था। यह लगभग 80,000 वर्ग मील क्षेत्रफल और 1.6 करोड़ की आबादी वाला राज्य था, जिसमें अधिकांश लोग तेलुगु, कन्नड़ और मराठी बोलने वाले हिंदू थे। निज़ाम स्वतंत्र रहना चाहते थे, जिससे भारतीय नेताओं को चिंता हुई क्योंकि हैदराबाद का भौगोलिक केंद्र राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा था।
स्थैतिक GK तथ्य: हैदराबाद उन तीन रियासतों (जूनागढ़ और कश्मीर सहित) में था, जिसने प्रारंभ में भारत में विलय से इंकार किया था।
निज़ाम का रुख
निज़ाम दुनिया के सबसे अमीर शासकों में गिने जाते थे। उन्होंने चेम्बर ऑफ़ प्रिंसेस से दूरी बनाई, सीधे ब्रिटेन से संपर्क किया और पाकिस्तान से जुड़ने पर भी विचार किया। नवंबर 1947 में उन्होंने भारत के साथ स्टैंडस्टिल एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए ताकि यथास्थिति बनी रहे, लेकिन विलय से उनकी अनिच्छा ने तनाव बढ़ा दिया।
आंतरिक अशांति
हैदराबाद में आंध्र महासभा और कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में किसान विद्रोह हुआ, जिसमें भूमि सुधार और समानता की मांग की गई। इनके विरोध में इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन के नेता क़ासिम रज़वी ने रज़ाकार नामक अर्द्धसैनिक बल खड़ा किया, जिसने हिंसा और सांप्रदायिक दमन से संकट बढ़ा दिया।
स्थैतिक GK टिप: रज़ाकारों को 1948 में हैदराबाद के विलय के बाद आधिकारिक रूप से भंग कर दिया गया।
भारत का निर्णय
गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने हैदराबाद की स्वतंत्रता को भारत की संप्रभुता के लिए सीधा खतरा माना। बातचीत विफल रही और रज़ाकारों की हिंसा बढ़ने पर सरकार को कार्रवाई करनी पड़ी। पटेल ने सैन्य हस्तक्षेप पर ज़ोर दिया, जबकि प्रधानमंत्री नेहरू अनिच्छा से सहमत हुए।
ऑपरेशन पोलो का क्रियान्वयन
13 सितम्बर 1948 को भारतीय सेना ने ऑपरेशन पोलो शुरू किया, जिसे “पुलिस कार्रवाई” भी कहा गया। मेजर जनरल जे.एन. चौधरी के नेतृत्व में दो पैदल ब्रिगेड, एक बख़्तरबंद ब्रिगेड और वायुसेना ने हैदराबाद की सेना को निशाना बनाया। चार दिनों में ही निज़ाम की सेना हार गई और 17 सितम्बर 1948 को निज़ाम ने आत्मसमर्पण कर दिया। इसके साथ ही हैदराबाद भारत में विलय हो गया।
स्थैतिक GK तथ्य: ऑपरेशन पोलो स्वतंत्र भारत की पहली बड़ी सैन्य कार्रवाई थी, जो केवल पाँच दिन चली।
परिणाम और विलय
सरण्डर के बाद निज़ाम को 1956 तक हैदराबाद का औपचारिक राजप्रमुख बनाए रखा गया। दिसम्बर 1949 तक राज्य पर सैन्य शासन रहा और फिर नागरिक शासन बहाल हुआ। 1952 में लोकतांत्रिक चुनाव हुए, जिससे राजनीतिक एकीकरण पूरा हुआ। इस घटना ने रियासती स्वायत्तता का अंत कर भारत की क्षेत्रीय एकता को मजबूत किया।
स्थैतिक GK टिप: 1956 में हैदराबाद राज्य का पुनर्गठन कर इसे आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में विभाजित कर दिया गया।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
ऑपरेशन पोलो | हैदराबाद में भारतीय सैन्य कार्रवाई, सितम्बर 1948 |
निज़ाम | मीर उस्मान अली खान – विश्व के सबसे अमीर शासकों में एक |
स्टैंडस्टिल एग्रीमेंट | नवम्बर 1947 में भारत और हैदराबाद के बीच |
रज़ाकार | क़ासिम रज़वी के नेतृत्व में निज़ाम समर्थक अर्द्धसैनिक बल |
भारतीय नेतृत्व | सरदार वल्लभभाई पटेल ने निर्णायक कार्रवाई पर ज़ोर दिया |
सेना के कमांडर | मेजर जनरल जे.एन. चौधरी |
अवधि | 13–17 सितम्बर 1948 (पाँच दिन) |
परिणाम | 17 सितम्बर 1948 को निज़ाम ने आत्मसमर्पण कर विलय किया |
बाद की स्थिति | 1949 तक सैन्य शासन, 1952 में चुनाव |
पुनर्गठन | 1956 में हैदराबाद राज्य आंध्र, महाराष्ट्र और कर्नाटक में विलय |