केंद्र की नई छूट
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने 8 सितम्बर 2025 को एक कार्यालय ज्ञापन जारी किया। इस अधिसूचना में परमाणु, महत्त्वपूर्ण और सामरिक खनिजों से जुड़े प्रोजेक्ट्स को पर्यावरणीय स्वीकृति प्रक्रिया में जन परामर्श से छूट दी गई है।
तमिलनाडु का विरोध
तमिलनाडु सरकार ने इस कदम का विरोध किया। उसका कहना है कि इससे नागरिकों की पर्यावरणीय निर्णय-प्रक्रिया में भागीदारी सीमित हो जाएगी। यह छूट पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) प्रक्रिया को कमजोर करती है, जो जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करती है।
कानूनी मिसालें
तमिलनाडु ने सर्वोच्च न्यायालय के 2020 के Alembic Pharmaceuticals Ltd. v. Rohit Prajapati मामले का हवाला दिया। अदालत ने कहा था कि कानून में बड़े बदलाव कार्यपालिका के ज्ञापनों या अधिसूचनाओं से नहीं, बल्कि विधायी संशोधन से ही किए जा सकते हैं।
पर्यावरणीय चिंताएँ
मोनाज़ाइट, इल्मेनाइट, ज़िरकॉन और थोरियम जैसे परमाणु खनिजों का खनन विकिरण और पारिस्थितिकीय क्षति के खतरे पैदा करता है। इन परियोजनाओं को परामर्श से मुक्त करने से स्थानीय समुदायों, सरकारों और उद्योगों के बीच टकराव बढ़ सकता है।
स्थैतिक GK तथ्य: भारत के पास मोनाज़ाइट का दुनिया के सबसे बड़े भंडारों में से एक है, जिसमें थोरियम होता है। यह मुख्य रूप से तमिलनाडु, केरल और ओडिशा जैसे तटीय राज्यों में पाया जाता है।
सामरिक खनिजों का महत्व
केंद्र सरकार इस छूट का बचाव करते हुए कहती है कि परमाणु और महत्त्वपूर्ण खनिज सामरिक दृष्टि से बेहद आवश्यक हैं। ये खनिज परमाणु ऊर्जा, रक्षा तकनीक, नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं।
स्थैतिक GK तथ्य: भारत के पास लगभग 1.2 करोड़ टन से अधिक थोरियम भंडार है, जिससे यह इस संसाधन में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल है।
विकास और अधिकारों के बीच संतुलन
यह मुद्दा संसाधन सुरक्षा और पर्यावरणीय लोकतंत्र के बीच तनाव को उजागर करता है। जहाँ सामरिक खनिज भारत की ऊर्जा और रक्षा ज़रूरतों के लिए अनिवार्य हैं, वहीं जन परामर्श पारदर्शिता और स्थानीय समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। तमिलनाडु जैसे राज्य मांग करते हैं कि राष्ट्रीय नीतियाँ विकास और संवैधानिक अधिकार दोनों का सम्मान करें।
आगे का रास्ता
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि एक मध्यमार्ग अपनाया जाए—जिसमें सामरिक परियोजनाओं को तेज़ी से स्वीकृति दी जाए, लेकिन सीमित और सार्थक जन भागीदारी भी बनी रहे। अन्यथा केंद्र और राज्यों के बीच संसाधन शासन को लेकर विवाद और गहराने की संभावना है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
MoEFCC ज्ञापन की तिथि | 8 सितम्बर 2025 |
छूट प्राप्त खनिज | परमाणु, महत्त्वपूर्ण और सामरिक खनिज |
तमिलनाडु का रुख | छूट का विरोध, वापसी की माँग |
प्रमुख कानूनी मिसाल | सर्वोच्च न्यायालय 2020, Alembic Pharmaceuticals Ltd. v. Rohit Prajapati |
भारत में परमाणु खनिज | मोनाज़ाइट, इल्मेनाइट, ज़िरकॉन, थोरियम |
मुख्य भंडार | तमिलनाडु, केरल, ओडिशा |
सामरिक महत्व | परमाणु ऊर्जा, रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स, नवीकरणीय ऊर्जा |
भारत का थोरियम भंडार | 1.2 करोड़ टन से अधिक |
उठाई गई चिंता | EIA प्रक्रिया में जन परामर्श का अभाव |
मूल मुद्दा | राष्ट्रीय सुरक्षा और पर्यावरणीय अधिकारों का संतुलन |