भारत की समग्र प्रगति
- सतत विकास रिपोर्ट (SDR) 2025 में भारत का स्थान 167 देशों में 99वां रहा।
- यह सुधार तो है, लेकिन SDG 11 (सुरक्षित, समावेशी और सतत शहर) पर प्रगति धीमी है।
- मुख्य चुनौतियाँ: आवास, जल आपूर्ति, वायु गुणवत्ता, और स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिरता।
स्थिर जीके तथ्य: SDG 11 को 2015 में संयुक्त राष्ट्र 2030 एजेंडा के हिस्से के रूप में अपनाया गया।
SDG 11 के मुख्य संकेतक
- चार संकेतक: झुग्गी आबादी, PM 2.5 स्तर, पाइप्ड जल आपूर्ति, सार्वजनिक परिवहन।
- 2025 में पाइप्ड जल आपूर्ति घटकर 65% घरों तक सीमित रह गई।
- मुंबई जैसे शहरों में पानी केवल कुछ घंटों के लिए उपलब्ध रहता है, और कई बार दूषित होता है।
स्थिर जीके तथ्य: WHO का सुरक्षित मानक PM 2.5 = 5 µg/m³ है, जबकि भारतीय शहरों में यह अक्सर 50 µg/m³ से अधिक होता है।
शहरी झुग्गियों की स्थिति
- झुग्गियों में लगभग आधे घर कच्चे मकान हैं।
- जल आपूर्ति: केवल 45 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन (सरकारी मानक 135 लीटर से काफी कम)।
- टैंकर पानी की कीमत 30 गुना अधिक पड़ती है।
- भीड़भाड़, खराब स्वच्छता और असुरक्षित भूमि अधिकार असमानताओं को बढ़ाते हैं।
पर्यावरण और आपदा जोखिम
- शहरी गरीब प्रदूषण, बाढ़ और जलवायु आपदाओं से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
- बुनियादी ढाँचे की कमी से मानसून बाढ़, भूस्खलन जैसी घटनाओं का असर गंभीर होता है।
- इससे आय का नुकसान और स्वास्थ्य समस्याएँ होती हैं, जो गरीबी को गहराती हैं।
शासन और वित्तीय सीमाएँ
- शहरों में स्वायत्तता और वित्तीय शक्ति की कमी।
- राज्य सरकारें नीति और फंडिंग पर हावी रहती हैं।
- आधे से अधिक नगर निगम अपना आधा खर्च भी अपनी आय से पूरा नहीं कर पाते।
स्थिर जीके टिप: 74वां संविधान संशोधन (1992) ने शहरी स्थानीय निकायों को संवैधानिक मान्यता दी, लेकिन वित्तीय शक्तियाँ सीमित रहीं।
शहरी विकास कार्यक्रम
- JNNURM और स्मार्ट सिटी मिशन ने व्यावसायिक केंद्रों को प्राथमिकता दी, जबकि 20% से भी कम प्रोजेक्ट जल, स्वच्छता, स्वास्थ्य पर केंद्रित थे।
- पीएमएवाई-यू ने आवास सब्सिडी दी, परंतु कई गरीब परिवार क्रेडिट अवरोधों के कारण वंचित रहे।
- पीएमएवाई-यू0 में क्रेडिट रिस्क गारंटी जोड़ी गई है ताकि अधिक समावेशी आवास सुनिश्चित हो।
जन भागीदारी की स्थिति
- 74वें संशोधन ने वार्ड समितियों को नागरिक भागीदारी के लिए अनिवार्य किया।
- लेकिन अधिकांश शहरों में ये समितियाँ कमज़ोर या निष्क्रिय हैं।
- स्मार्ट सिटी पहलें अक्सर एलीट हितों पर केंद्रित रहीं, जबकि सामुदायिक ज़रूरतें पीछे छूट गईं।
नीतिगत दिशा
- सार्वजनिक निवेश और नगरपालिकाओं का वित्तीय सशक्तिकरण आवश्यक है।
- गरीबों को शोषक निजी फंडिंग से बचाने के लिए नियामक ढाँचा मज़बूत करना होगा।
- वार्ड स्तर पर भागीदारी से स्थानीय ज्ञान शहरी योजना में शामिल हो सकता है।
- भारत के लिए समावेशी, लचीले और समान शहरों का निर्माण SDG 11 लक्ष्य प्राप्त करने हेतु आवश्यक है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
भारत की SDR 2025 रैंक | 167 देशों में 99वां |
SDG 11 का लक्ष्य | सुरक्षित, समावेशी, लचीले और सतत शहर |
पाइप्ड जल आपूर्ति (2022) | 65% घरों तक |
मुंबई औसत जल आपूर्ति | प्रतिदिन 5 घंटे से कुछ अधिक |
झुग्गी जल आपूर्ति | 45 लीटर/व्यक्ति प्रतिदिन (मानक: 135 लीटर) |
टैंकर पानी की लागत | 30 गुना अधिक |
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट (जल/स्वच्छता/स्वास्थ्य) | 20% से कम |
पीएमएवाई-यू 2.0 विशेषता | क्रेडिट रिस्क गारंटी |
नगरपालिका राजस्व संकट | 50% निगम आधा खर्च भी नहीं उठा पाते |
मुख्य संवैधानिक सुधार | 74वां संविधान संशोधन, 1992 |