वार्षिक लाइसेंसिंग नीति
केंद्र सरकार ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्स्टांसेस (NDPS) नियम 1985 के तहत अफीम की खेती के लिए वार्षिक लाइसेंसिंग नीति 2025-26 की घोषणा की है। ये नियम NDPS अधिनियम 1985 के अंतर्गत बनाए गए हैं, जो सरकार को मादक पदार्थों को नियंत्रित करने का अधिकार देता है।
हर वर्ष केंद्र सरकार अधिसूचित क्षेत्रों, पात्रता शर्तों और लाइसेंसिंग ढांचे की घोषणा करती है। इससे खेती को केवल चिकित्सा और वैज्ञानिक आवश्यकताओं के लिए नियंत्रित ढंग से सीमित रखा जाता है।
स्थिर जीके तथ्य: NDPS अधिनियम 1985 को भारत में मादक पदार्थों से संबंधित कानूनों को समेकित और संशोधित करने के लिए लागू किया गया था।
अफीम और इसके उपयोग
अफीम पोस्ता पौधे से प्राप्त गोंद में मूल्यवान एल्कलॉइड्स जैसे मॉर्फ़ीन, कोडीन और थेबीन पाए जाते हैं। मॉर्फ़ीन दर्द निवारक दवा के रूप में और कोडीन खांसी की सिरप में एक महत्वपूर्ण तत्व के रूप में उपयोग होती है। इसके बीज और तेल खाद्य पदार्थों में भी प्रयुक्त होते हैं।
स्थिर जीके टिप: संयुक्त राष्ट्र का सिंगल कन्वेंशन ऑन नारकोटिक ड्रग्स, 1961 मादक पदार्थों के उत्पादन और व्यापार को नियंत्रित करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संधि है।
भारत की वैश्विक स्थिति
भारत की स्थिति विशिष्ट है क्योंकि वह एकमात्र देश है जिसे संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (1961) द्वारा गोंद अफीम उत्पादन (export व घरेलू औषधीय उपयोग) के लिए अधिकृत किया गया है। अन्य 11 देश पोस्ता उगाते हैं, लेकिन केवल एल्कलॉइड्स निकालते हैं, गोंद नहीं। इस प्रकार भारत वैश्विक औषधीय आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारत में लाइसेंस प्राप्त खेती
NDPS प्रावधानों के तहत खेती केवल मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के अधिसूचित क्षेत्रों में ही अनुमति है। इन राज्यों के किसानों को सीधे सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स (CBN), ग्वालियर द्वारा लाइसेंस दिया जाता है, जो वित्त मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।
लाइसेंस में सख्त शर्तें होती हैं, जिनमें पूरी अफीम फसल सरकार को सौंपना अनिवार्य है। किसानों को केंद्र सरकार द्वारा तय मूल्य के अनुसार भुगतान किया जाता है।
स्थिर जीके तथ्य: सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स की स्थापना 1950 में हुई थी और इसका मुख्यालय ग्वालियर, मध्य प्रदेश में है।
लाइसेंसिंग का महत्व
वार्षिक लाइसेंसिंग नीति चिकित्सा प्रयोजनों के लिए आवश्यक एल्कलॉइड्स और अवैध नशे की रोकथाम के बीच संतुलन बनाए रखती है। यह ढांचा न केवल कानूनी खेती सुनिश्चित करता है बल्कि अधिसूचित राज्यों के किसानों की आजीविका भी सुरक्षित रखता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
वार्षिक लाइसेंसिंग नीति 2025-26 | केंद्र सरकार द्वारा NDPS नियम 1985 के तहत घोषित |
लागू कानून | NDPS अधिनियम 1985 |
संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन | 1961 सिंगल कन्वेंशन ऑन नारकोटिक ड्रग्स |
भारत की स्थिति | गोंद अफीम उत्पादन का एकमात्र अधिकृत देश |
अफीम के एल्कलॉइड्स | मॉर्फ़ीन, कोडीन, थेबीन |
उपयोग | दर्द निवारक दवाएँ, खांसी की सिरप, खाद्य बीज और तेल |
लाइसेंस प्राप्त राज्य | मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश |
लाइसेंसिंग प्राधिकरण | सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स, ग्वालियर |
किसान आवश्यकताएँ | पूरी फसल सरकार को सौंपना |
प्रभारी मंत्रालय | वित्त मंत्रालय |