नई Aspergillus प्रजातियों की खोज
पुणे स्थित MACS-आघारकर रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने पश्चिमी घाट से दो नई ब्लैक एस्परजिली फफूंद प्रजातियों की पहचान की है –
- Aspergillus dhakephalkarii
- Aspergillus patriciawiltshireae
इसके साथ ही, पहली बार भारत में A. aculeatinus और A. brunneoviolaceus की भी उपस्थिति दर्ज की गई है।
यह खोज पश्चिमी घाट की समृद्ध जैव विविधता को रेखांकित करती है, जिसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल और विश्व के आठ “सबसे हॉट हॉटस्पॉट” में से एक माना जाता है।
स्थिर सामान्य ज्ञान तथ्य
पश्चिमी घाट 1,600 किमी तक फैले हैं और महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल तथा तमिलनाडु को कवर करते हैं।
ब्लैक एस्परजिली का महत्व
- ये प्रजातियाँ Aspergillus section Nigri से संबंधित हैं, जिन्हें ब्लैक एस्परजिली कहा जाता है।
- इनका उपयोग साइट्रिक एसिड उत्पादन, खाद्य किण्वन (fermentation) और कृषि में महत्वपूर्ण है।
- भारत में अब तक इन पर विस्तृत अध्ययन नहीं हुआ था।
स्थिर सामान्य ज्ञान तथ्य
Aspergillus वंश का वर्णन पहली बार 1729 में इटालियन वैज्ञानिक पियर एंटोनियो मिशेली ने किया था।
टैक्सोनॉमिक पद्धति
- वैज्ञानिकों ने Polyphasic approach अपनाई, जिसमें morphology + molecular phylogeny का संयोजन किया गया।
- विश्लेषित जीन: ITS, CaM, BenA, RPB2।
- अधिकतम संभावना (Maximum Likelihood) पद्धति से दोनों प्रजातियों की विशिष्टता सिद्ध हुई।
Aspergillus dhakephalkarii की विशेषताएँ
- तेज़ी से वृद्धि करता है।
- हल्के से गहरे भूरे बीजाणु (spores) और पीले sclrotia।
- Conidiophores uniseriate (2–3 शाखाओं वाले)।
- Conidia चिकने (smooth) – जबकि संबंधित प्रजातियों में काँटेदार (spiny) होते हैं।
Aspergillus patriciawiltshireae की विशेषताएँ
- प्रचुर मात्रा में पीले-नारंगी sclerotia।
- Conidia काँटेदार (spiny echinulate)।
- Conidiophores पाँच से अधिक कॉलम में शाखित।
- विशेष media में acid उत्पन्न करने की क्षमता।
फाइलोजेनेटिक स्थिति
- dhakephalkarii का निकट संबंध A. saccharolyticus से है।
- patriciawiltshireae का संबंध A. indologenus, A. japonicus और A. uvarum से पाया गया।
भारत में पहली बार दर्ज अन्य प्रजातियाँ
- aculeatinus
- brunneoviolaceus
इनकी उपस्थिति ने भारत में ब्लैक एस्परजिली का वितरण क्षेत्र और बढ़ाया।
जैव विविधता अध्ययन का महत्व
- भारत में पहली बार Aspergillus पर advanced integrative taxonomy का उपयोग किया गया।
- इससे पश्चिमी घाट की जैव विविधता का महत्व फिर से साबित हुआ।
- ऐसे निष्कर्ष औद्योगिक और बायोटेक्नोलॉजिकल अनुप्रयोगों में भी उपयोगी होंगे।
स्थिर सामान्य ज्ञान टिप
भारत प्रजातियों की विविधता में विश्व में 8वें स्थान पर है और 17 मेगाडायवर्स देशों में शामिल है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
अनुसंधान संस्थान | MACS-आघारकर रिसर्च इंस्टीट्यूट, पुणे |
नई प्रजातियाँ | Aspergillus dhakephalkarii, Aspergillus patriciawiltshireae |
भारत में पहली बार दर्ज | A. aculeatinus, A. brunneoviolaceus |
टैक्सोनॉमिक पद्धति | Polyphasic (morphology + molecular phylogeny) |
विश्लेषित जीन | ITS, CaM, BenA, RPB2 |
निकट संबंध | A. dhakephalkarii → A. saccharolyticus; A. patriciawiltshireae → A. indologenus group |
पश्चिमी घाट की स्थिति | UNESCO World Heritage Site, जैव विविधता हॉटस्पॉट |
ब्लैक एस्परजिली का औद्योगिक महत्व | साइट्रिक एसिड उत्पादन, fermentation, कृषि |
वैश्विक महत्व | Molecular phylogeny fungal classification का gold standard |
भारत की जैव विविधता रैंक | विश्व में 8वाँ, 17 मेगाडायवर्स देशों में शामिल |