सीमाई करवेलम और उसका प्रभाव
सीमाई करवेलम या Prosopis juliflora एक आक्रामक प्रजाति है जिसने तमिलनाडु में तेज़ी से फैलाव किया है। इसकी गहरी जड़ें बड़ी मात्रा में भूजल सोख लेती हैं, जिससे कृषि भूमि सूखी रह जाती है। किसानों ने अक्सर चिंता जताई है कि यह प्रजाति स्थानीय पारिस्थितिकी को नुकसान पहुँचाती है और मिट्टी की उर्वरता कम करती है।
स्थिर सामान्य ज्ञान तथ्य
Prosopis juliflora को औपनिवेशिक काल में भारत में वनीकरण के लिए लाया गया था, लेकिन बाद में यह आक्रामक हो गया।
गाँवों में सरकारी कार्रवाई
तमिलनाडु सरकार ने मद्रास उच्च न्यायालय को सूचित किया कि 32 ज़िलों के 517 गाँवों को सीमाई करवेलम मुक्त घोषित किया गया है। यह एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक पुनर्स्थापन प्रयास है। आक्रामक वृक्षों को हटाकर राज्य का लक्ष्य भूजल संरक्षण और स्थानीय जैव विविधता को पुनर्जीवित करना है।
उच्च न्यायालय के निर्देश
मद्रास उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर सक्रिय रुख अपनाया है। उसने राज्य को निर्देश दिया कि कम से कम एक ज़िले को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पूरी तरह सीमाई करवेलम मुक्त बनाया जाए। ऐसे प्रयास नीति-निर्माताओं को मॉडल की सफलता का मूल्यांकन करने में मदद करेंगे, जिसे बाद में राज्यव्यापी विस्तार किया जा सकेगा।
स्थिर सामान्य ज्ञान तथ्य
मद्रास उच्च न्यायालय की स्थापना 1862 में हुई थी और यह भारत के तीन उच्च न्यायालयों में से एक है, जिन्हें ब्रिटिशों ने Indian High Courts Act के तहत स्थापित किया था।
कार्य योजना और बैठक
25 अगस्त 2025 को राज्य सरकार ने एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की। इसमें सीमाई करवेलम को हटाकर देशी वृक्ष लगाने की रणनीति तय की गई। इस मिशन में वानिकी, ग्रामीण विकास और कृषि विभाग संयुक्त रूप से काम करेंगे।
पारिस्थितिकी और किसानों के लिए महत्व
सीमाई करवेलम को हटाना पर्यावरण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था दोनों के लिए लाभकारी है। देशी वृक्ष लगाने से स्थानीय पक्षी और पशु प्रजातियाँ लौट सकती हैं, मिट्टी का कटाव रुकेगा और जल उपलब्धता बढ़ेगी। किसानों को सीधा लाभ मिलेगा क्योंकि कृषि भूमि अधिक उपजाऊ होगी और सिंचाई आसान होगी।
स्थिर सामान्य ज्ञान टिप
तमिलनाडु में 38 ज़िले हैं और राज्य का पश्चिमी घाट क्षेत्र वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट है।
भविष्य की दिशा
इन 517 गाँवों की सफलता राज्य के लिए उदाहरण है। यदि ज़िला-स्तरीय मॉडल सफल सिद्ध होता है, तो तमिलनाडु आक्रामक प्रजाति प्रबंधन में अग्रणी बन सकता है। यह प्रयास जलवायु सहनशीलता को मज़बूत करेगा और सतत ग्रामीण आजीविका को समर्थन देगा।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
प्रजाति | सीमाई करवेलम (Prosopis juliflora) |
शामिल ज़िले | तमिलनाडु के 32 ज़िले |
मुक्त घोषित गाँव | 517 गाँव |
उच्च न्यायालय की भूमिका | एक ज़िले को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मुक्त करने का निर्देश |
सरकारी बैठक | 25 अगस्त 2025, उच्च स्तरीय बैठक |
प्रतिस्थापन योजना | देशी वृक्षारोपण |
पारिस्थितिक चिंता | भूजल क्षय, जैव विविधता का नुकसान |
ऐतिहासिक तथ्य | औपनिवेशिक काल में परिचय |
दीर्घकालिक लक्ष्य | ज़िला-स्तरीय पारिस्थितिक पुनर्स्थापन |
राज्य | तमिलनाडु |