जनवरी 2025 में भारत सरकार ने हिमाचल प्रदेश के मंडी ज़िले में स्थित शिकारी देवी वन्यजीव अभयारण्य के चारों ओर एक इको–सेंसिटिव ज़ोन (ESZ) घोषित किया। यह क्षेत्र अपनी जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है।
अब यहां नियंत्रित विकास के ज़रिए बेहतर संरक्षण सुनिश्चित किया जाएगा। यह कदम पर्यावरण के अनुकूल नीतियों की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें प्रकृति संरक्षण और स्थानीय आजीविका दोनों को महत्व दिया गया है।
ESZ क्यों ज़रूरी है?
बढ़ते पर्यटन, शहरीकरण और अवसंरचना विकास के दबावों के चलते, शिकारी देवी ESZ एक बफर ज़ोन की तरह कार्य करेगा, ताकि बेतरतीब मानवीय घुसपैठ रोकी जा सके।
- यह ज़ोन नाचन और करसोग वन मंडलों के 43 गाँवों में फैला है।
- इसमें जैविक खेती, इको–पर्यटन, वर्षा जल संचयन जैसी कम प्रभाव वाली गतिविधियों की अनुमति होगी।
- जबकि वाणिज्यिक खनन, जलविद्युत परियोजनाएँ, और वृक्ष कटाई पूर्णतः प्रतिबंधित रहेंगी।
यह मॉडल वन्यजीव संघर्ष को कम करने और पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करने में मदद करेगा।
इस ESZ की निगरानी कौन करेगा?
भारत में प्रचलित “कोर–बफर रणनीति” के तहत:
- कोर क्षेत्र पूरी तरह संरक्षित रहेगा
- बफर ज़ोन में सीमित मानवीय गतिविधियाँ नियंत्रित रूप से चल सकेंगी
- एक ज़ोनल मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा
- मुख्य वन संरक्षक की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति गठित होगी, जिसमें वैज्ञानिक, स्थानीय निवासी और अधिकारी शामिल होंगे
कन्हा और पेरियार जैसे उदाहरणों से पता चलता है कि इस रणनीति से जैव विविधता भी संरक्षित होती है और स्थानीय लोगों को हरित आजीविका भी मिलती है।
जैव विविधता क्यों बचानी ज़रूरी है?
शिकारी देवी अभयारण्य में हिम तेंदुआ, हिमालयन मोनाल, भालू, बार्किंग डियर और कई दुर्लभ औषधीय वनस्पतियाँ पाई जाती हैं।
- 1,800 से 3,400 मीटर की ऊँचाई तक फैले इस क्षेत्र में विविध पारिस्थितिक तंत्र मौजूद हैं
- यह क्षेत्र जल संरक्षण, कार्बन भंडारण और मिट्टी की रक्षा में भी अहम भूमिका निभाता है
- जलवायु परिवर्तन के इस दौर में यह एक संवेदनशील पारिस्थितिक क्षेत्र है जिसकी सुरक्षा अनिवार्य है
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विषय | विवरण |
अभयारण्य का नाम | शिकारी देवी वन्यजीव अभयारण्य |
स्थापना वर्ष | 1962 |
राज्य | हिमाचल प्रदेश |
जिला | मंडी |
ऊँचाई सीमा | 1,800 से 3,400 मीटर |
क्षेत्रफल | 29.94 वर्ग किलोमीटर |
ESZ प्रभावित क्षेत्र | 43 गाँव (नाचन और करसोग वन मंडल) |
आराध्य देवी | शिकारी देवी |
संरक्षित प्रजातियाँ | हिम तेंदुआ, हिमालयन मोनाल, भालू, बार्किंग डियर |
प्रतिबंधित गतिविधियाँ | वाणिज्यिक खनन, जलविद्युत परियोजनाएँ, वनों की कटाई |
अनुमति प्राप्त गतिविधियाँ | जैविक खेती, इको-पर्यटन, वर्षाजल संचयन |
ESZ प्रबंधन प्रमुख | मुख्य वन संरक्षक (Chief Conservator of Forests) |