सितम्बर 14, 2025 8:30 अपराह्न

मतदाता सत्यापन के लिए आधार को सर्वोच्च न्यायालय की मंज़ूरी

चालू घटनाएँ: सुप्रीम कोर्ट, भारत निर्वाचन आयोग, आधार, बिहार विधानसभा चुनाव, मतदाता पहचान, मतदाता सूची, बूथ लेवल ऑफिसर, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, आधार अधिनियम 2016, मतदाता समावेशन

Supreme Court Approval of Aadhaar for Voter Verification

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग (ECI) को मतदाता पहचान सत्यापन के लिए आधार को मान्य दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने की अनुमति दी है। यह फैसला बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) से जुड़ा है।

  • अदालत ने स्पष्ट किया कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा, बल्कि केवल पहचान सत्यापन के लिए इस्तेमाल होगा।
  • निर्वाचन आयोग को आधार की प्रामाणिकता की जांच करने का अधिकार रहेगा, जैसे अन्य दस्तावेज़ों के साथ किया जाता है।

Static GK तथ्य: भारत का सुप्रीम कोर्ट 28 जनवरी 1950 को स्थापित हुआ था और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।

आधार की कानूनी स्थिति

  • आधार अधिनियम 2016 ने आधार को पहचान प्रमाण के रूप में मान्यता दी, लेकिन इसे राष्ट्रीयता के सबूत के रूप में नहीं माना।
  • जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 विभिन्न दस्तावेजों को मतदाता पंजीकरण के लिए मान्य करता है, लेकिन नागरिकता की पुष्टि बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
  • अदालत ने कहा कि केवल संवैधानिक प्राधिकरण (राष्ट्रपति और निर्वाचन आयोग) ही नागरिकता विवाद तय कर सकते हैं।

Static GK तथ्य: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 सीटों के आवंटन और मतदाता सूचियों की तैयारी का प्रावधान करता है।

निर्वाचन आयोग की भूमिका

निर्वाचन आयोग पर मतदाता सूची की शुद्धता बनाए रखने की जिम्मेदारी है।

  • अब आयोग को अपने दिशा-निर्देशों में संशोधन कर आधार को स्वीकृत दस्तावेजों की सूची में शामिल करना होगा।
  • आयोग को आधार कार्ड की सत्यता की जाँच का अधिकार होगा और संदेह की स्थिति में अतिरिक्त प्रमाण मांग सकता है।
  • पहले जिन अधिकारियों को आधार स्वीकार करने पर नोटिस मिले थे, उन्हें अब इस आदेश के आलोक में निपटाना होगा।

Static GK तथ्य: भारत का निर्वाचन आयोग 25 जनवरी 1950 को एक स्वायत्त संवैधानिक निकाय के रूप में स्थापित हुआ।

मतदाता समावेशन का महत्व

यह निर्णय मतदाता बहिष्करण रोकने और दस्तावेज़ प्रक्रिया में लचीलापन देने के लिए लिया गया है।

  • बिहार में6% मतदाताओं ने पहले ही दस्तावेज़ जमा किए हैं, लेकिन आधार उन लोगों के लिए विकल्प देगा जिनके पास पारंपरिक प्रमाण नहीं हैं।
  • हालांकि, फर्जी आधार कार्ड के दुरुपयोग की आशंका बनी हुई है, इसलिए कड़ी सत्यापन प्रणाली आवश्यक है।

Static GK टिप: आधार UIDAI (2009 में स्थापित) द्वारा जारी किया जाता है।

मतदाता पंजीकरण के लिए मान्य दस्तावेज

इस आदेश से पहले निर्वाचन आयोग 11 दस्तावेज़ स्वीकार करता था, जिनमें जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, भूमि आवंटन प्रमाण पत्र और 1987 से पहले जारी पहचान पत्र शामिल थे।

  • अब आधार को जोड़कर यह संख्या 12 हो गई है।

आगे की चुनौतियाँ

रिपोर्ट्स के अनुसार कुछ बूथ लेवल ऑफिसर अब भी आधार अस्वीकार कर रहे हैं।

  • इससे विवाद और कानूनी याचिकाएँ पैदा हो रही हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट इस प्रक्रिया की निगरानी करेगा ताकि वैध मतदाताओं का बहिष्करण हो और साथ ही धोखाधड़ी रोकी जा सके।

Static GK तथ्य: बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं।

Static Usthadian Current Affairs Table

विषय विवरण
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आधार को मतदाता पहचान सत्यापन के लिए स्वीकृति
संबंधित राज्य बिहार विधानसभा चुनाव
स्पष्टिकरण आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं
संबंधित अधिनियम आधार अधिनियम 2016
निर्वाचन कानून जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950
निर्वाचन आयोग की भूमिका मतदाता सूची अंतिम रूप देना और दस्तावेज़ सत्यापन
बिहार विधानसभा सीटें 243
आधार जारी करने वाली संस्था UIDAI (2009 में स्थापित)
सुप्रीम कोर्ट स्थापना 28 जनवरी 1950
निर्वाचन आयोग स्थापना 25 जनवरी 1950
Supreme Court Approval of Aadhaar for Voter Verification
  1. सर्वोच्च न्यायालय ने मतदाता पहचान सत्यापन के लिए आधार को अनुमति दी।
  2. बिहार विधानसभा मतदाता सूची संशोधन से जुड़ा फैसला।
  3. आधार मतदाताओं के लिए नागरिकता के प्रमाण के रूप में काम नहीं कर सकता।
  4. चुनाव आयोग के पास आधार की प्रामाणिकता सत्यापित करने का अधिकार है।
  5. सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना 1950 में हुई थी, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
  6. आधार अधिनियम 2016 पहचान सत्यापन के लिए आधार को मान्यता देता है।
  7. नागरिकता संबंधी विवाद राष्ट्रपति या चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
  8. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 मतदाता सूचियों को नियंत्रित करता है।
  9. चुनाव आयोग को अब औपचारिक रूप से स्वीकृत मतदाता दस्तावेजों में आधार को शामिल करना होगा।
  10. आधार के उपयोग के लिए अधिकारियों के खिलाफ नोटिस अब अमान्य हैं।
  11. भारत में 25 जनवरी 1950 को चुनाव आयोग का गठन हुआ।
  12. यह निर्णय मतदाताओं के बहिष्कार को रोकता है और चुनावी समावेशिता में सुधार करता है।
  13. बिहार में विधायी ढांचे के अंतर्गत 243 विधानसभा सीटें हैं।
  14. चुनावों में जाली आधार कार्ड के दुरुपयोग को लेकर चिंताएँ हैं।
  15. आधार आधिकारिक तौर पर स्वीकृत 12वाँ मतदाता नामांकन दस्तावेज़ है।
  16. 2009 में स्थापित यूआईडीएआई भारत में आधार जारी करता है।
  17. पिछली सूची में मतदान के लिए 11 वैकल्पिक पहचान दस्तावेज़ शामिल थे।
  18. कुछ बीएलओ सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद आधार को अस्वीकार करना जारी रखे हुए हैं।
  19. वास्तविक मतदाता सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए न्यायालय अनुपालन की निगरानी करेगा।
  20. यह कदम मतदाता समावेशिता को चुनावी सुरक्षा उपायों के साथ संतुलित करता है।

Q1. 2025 बिहार चुनावों में आधार के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने क्या अनुमति दी?


Q2. कौन सा अधिनियम आधार को पहचान उद्देश्यों के लिए कानूनी मान्यता प्रदान करता है?


Q3. नागरिकता की पुष्टि में बूथ स्तर अधिकारियों (BLOs) की क्या भूमिका है?


Q4. आधार को शामिल किए जाने से पहले चुनाव आयोग कितने दस्तावेजों को स्वीकार करता था?


Q5. मतदाता सत्यापन में आधार को शामिल करने का मुख्य कारण क्या है?


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