सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग (ECI) को मतदाता पहचान सत्यापन के लिए आधार को मान्य दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने की अनुमति दी है। यह फैसला बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) से जुड़ा है।
- अदालत ने स्पष्ट किया कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा, बल्कि केवल पहचान सत्यापन के लिए इस्तेमाल होगा।
- निर्वाचन आयोग को आधार की प्रामाणिकता की जांच करने का अधिकार रहेगा, जैसे अन्य दस्तावेज़ों के साथ किया जाता है।
Static GK तथ्य: भारत का सुप्रीम कोर्ट 28 जनवरी 1950 को स्थापित हुआ था और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
आधार की कानूनी स्थिति
- आधार अधिनियम 2016 ने आधार को पहचान प्रमाण के रूप में मान्यता दी, लेकिन इसे राष्ट्रीयता के सबूत के रूप में नहीं माना।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 विभिन्न दस्तावेजों को मतदाता पंजीकरण के लिए मान्य करता है, लेकिन नागरिकता की पुष्टि बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
- अदालत ने कहा कि केवल संवैधानिक प्राधिकरण (राष्ट्रपति और निर्वाचन आयोग) ही नागरिकता विवाद तय कर सकते हैं।
Static GK तथ्य: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 सीटों के आवंटन और मतदाता सूचियों की तैयारी का प्रावधान करता है।
निर्वाचन आयोग की भूमिका
निर्वाचन आयोग पर मतदाता सूची की शुद्धता बनाए रखने की जिम्मेदारी है।
- अब आयोग को अपने दिशा-निर्देशों में संशोधन कर आधार को स्वीकृत दस्तावेजों की सूची में शामिल करना होगा।
- आयोग को आधार कार्ड की सत्यता की जाँच का अधिकार होगा और संदेह की स्थिति में अतिरिक्त प्रमाण मांग सकता है।
- पहले जिन अधिकारियों को आधार स्वीकार करने पर नोटिस मिले थे, उन्हें अब इस आदेश के आलोक में निपटाना होगा।
Static GK तथ्य: भारत का निर्वाचन आयोग 25 जनवरी 1950 को एक स्वायत्त संवैधानिक निकाय के रूप में स्थापित हुआ।
मतदाता समावेशन का महत्व
यह निर्णय मतदाता बहिष्करण रोकने और दस्तावेज़ प्रक्रिया में लचीलापन देने के लिए लिया गया है।
- बिहार में6% मतदाताओं ने पहले ही दस्तावेज़ जमा किए हैं, लेकिन आधार उन लोगों के लिए विकल्प देगा जिनके पास पारंपरिक प्रमाण नहीं हैं।
- हालांकि, फर्जी आधार कार्ड के दुरुपयोग की आशंका बनी हुई है, इसलिए कड़ी सत्यापन प्रणाली आवश्यक है।
Static GK टिप: आधार UIDAI (2009 में स्थापित) द्वारा जारी किया जाता है।
मतदाता पंजीकरण के लिए मान्य दस्तावेज
इस आदेश से पहले निर्वाचन आयोग 11 दस्तावेज़ स्वीकार करता था, जिनमें जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, भूमि आवंटन प्रमाण पत्र और 1987 से पहले जारी पहचान पत्र शामिल थे।
- अब आधार को जोड़कर यह संख्या 12 हो गई है।
आगे की चुनौतियाँ
रिपोर्ट्स के अनुसार कुछ बूथ लेवल ऑफिसर अब भी आधार अस्वीकार कर रहे हैं।
- इससे विवाद और कानूनी याचिकाएँ पैदा हो रही हैं।
- सुप्रीम कोर्ट इस प्रक्रिया की निगरानी करेगा ताकि वैध मतदाताओं का बहिष्करण न हो और साथ ही धोखाधड़ी रोकी जा सके।
Static GK तथ्य: बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय | आधार को मतदाता पहचान सत्यापन के लिए स्वीकृति |
संबंधित राज्य | बिहार विधानसभा चुनाव |
स्पष्टिकरण | आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं |
संबंधित अधिनियम | आधार अधिनियम 2016 |
निर्वाचन कानून | जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 |
निर्वाचन आयोग की भूमिका | मतदाता सूची अंतिम रूप देना और दस्तावेज़ सत्यापन |
बिहार विधानसभा सीटें | 243 |
आधार जारी करने वाली संस्था | UIDAI (2009 में स्थापित) |
सुप्रीम कोर्ट स्थापना | 28 जनवरी 1950 |
निर्वाचन आयोग स्थापना | 25 जनवरी 1950 |