आंदोलन की उत्पत्ति
आत्मसम्मान आंदोलन 1925 में ई.वी. रामासामी (पेरियार) ने तमिल साप्ताहिक कुड़ी अरसु के माध्यम से शुरू किया। इसका मुख्य उद्देश्य जाति व्यवस्था को चुनौती देना, ब्राह्मणवादी प्रभुत्व पर प्रश्न उठाना और तर्कवादी विचारों को बढ़ावा देना था।
Static GK तथ्य: पेरियार पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे, लेकिन जातिगत भेदभाव के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ दी।
उद्देश्यों और विचारधारा
आंदोलन के उद्देश्यों को दो पुस्तिकाओं — नमथु कुरिक्कोल और तिराविटक कलका लतेयियम में स्पष्ट रूप से समझाया गया। इसके मुख्य लक्ष्य थे:
- सामाजिक न्याय और लैंगिक समानता
- अंधविश्वासों का खंडन
- यह विश्वास कि सामाजिक समानता राजनीतिक स्वतंत्रता से भी अधिक महत्वपूर्ण है
महिला नेताओं की भूमिका
अन्नाई मीनंबल और वीरमल जैसी नेताओं ने महिलाओं को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महिलाओं की भागीदारी ने विधवा पुनर्विवाह, संपत्ति अधिकार और समान दर्जा की मांग को मजबूत किया।
Static GK तथ्य: अन्नाई मीनंबल ने 1930 में आयोजित पहले आत्मसम्मान महिला सम्मेलन की अध्यक्षता की थी।
सामाजिक सुधार
आंदोलन ने कई सामाजिक सुधारों की नींव रखी:
- आत्मसम्मान विवाह (ब्राह्मण पुजारी के बिना)
- अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहन
- विधवा पुनर्विवाह का समर्थन
- दहेज प्रथा का विरोध
ये सुधार बाद में तमिलनाडु में कानूनी बदलावों की नींव बने।
Static GK तथ्य: 1967 में DMK सरकार ने आत्मसम्मान विवाह को कानूनी मान्यता दी।
राजनीतिक प्रभाव
जस्टिस पार्टी (1916) ने गैर-ब्राह्मण आवाज़ को प्रारंभिक आधार दिया, लेकिन यह अभिजात्य वर्ग तक सीमित रही। पेरियार ने आत्मसम्मान आंदोलन के माध्यम से संघर्ष को जनता तक पहुँचाया। यही वैचारिक आधार आगे चलकर द्रविड़ राजनीति में बदला और DMK व AIADMK जैसी पार्टियों को प्रभावित किया।
Static GK तथ्य: DMK का गठन 1949 में सी.एन. अन्नादुरै ने किया था, जो सीधे आत्मसम्मान आंदोलन की विचारधारा से प्रेरित था।
100 साल बाद की विरासत
2025 में आंदोलन की शताब्दी यह दर्शाती है कि इसने तमिल समाज को किस प्रकार बदला:
- सामाजिक असमानताओं को तोड़ा
- गैर–ब्राह्मण सशक्तिकरण का मार्ग खोला
- तर्कवाद और समानता को महत्व दिया
आज भी यह आंदोलन सामाजिक न्याय और अधिकार–आधारित राजनीति पर बहस को प्रेरित करता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
स्थापना वर्ष | 1925 |
संस्थापक | ई.वी. रामासामी (पेरियार) |
प्रकाशन माध्यम | कुड़ी अरसु |
मुख्य उद्देश्य | सामाजिक समानता, तर्कवाद, जाति उन्मूलन |
पुस्तिकाएँ | नमथु कुरिक्कोल, तिराविटक कलका लतेयियम |
महिला नेता | अन्नाई मीनंबल, वीरमल |
सामाजिक सुधार | आत्मसम्मान विवाह, विधवा पुनर्विवाह, अंतरजातीय विवाह |
राजनीतिक संबंध | जस्टिस पार्टी, द्रविड़ राजनीति |
आगे का परिणाम | DMK और AIADMK की विचारधाराएँ |
शताब्दी वर्ष | 2025 |