सितम्बर 13, 2025 11:14 अपराह्न

आत्म-सम्मान आंदोलन की शताब्दी

चालू घटनाएँ: आत्मसम्मान आंदोलन, पेरियार ई.वी. रामासामी, द्रविड़ राजनीति, तमिलनाडु, कुड़ी अरसु, तर्कवाद, महिलाओं के अधिकार, जाति व्यवस्था, आत्मसम्मान विवाह, जस्टिस पार्टी

Centenary of the Self Respect Movement

आंदोलन की उत्पत्ति

आत्मसम्मान आंदोलन 1925 में .वी. रामासामी (पेरियार) ने तमिल साप्ताहिक कुड़ी अरसु के माध्यम से शुरू किया। इसका मुख्य उद्देश्य जाति व्यवस्था को चुनौती देना, ब्राह्मणवादी प्रभुत्व पर प्रश्न उठाना और तर्कवादी विचारों को बढ़ावा देना था।

Static GK तथ्य: पेरियार पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे, लेकिन जातिगत भेदभाव के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ दी।

उद्देश्यों और विचारधारा

आंदोलन के उद्देश्यों को दो पुस्तिकाओं — नमथु कुरिक्कोल और तिराविटक कलका लतेयियम में स्पष्ट रूप से समझाया गया। इसके मुख्य लक्ष्य थे:

  • सामाजिक न्याय और लैंगिक समानता
  • अंधविश्वासों का खंडन
  • यह विश्वास कि सामाजिक समानता राजनीतिक स्वतंत्रता से भी अधिक महत्वपूर्ण है

महिला नेताओं की भूमिका

अन्नाई मीनंबल और वीरमल जैसी नेताओं ने महिलाओं को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महिलाओं की भागीदारी ने विधवा पुनर्विवाह, संपत्ति अधिकार और समान दर्जा की मांग को मजबूत किया।

Static GK तथ्य: अन्नाई मीनंबल ने 1930 में आयोजित पहले आत्मसम्मान महिला सम्मेलन की अध्यक्षता की थी।

सामाजिक सुधार

आंदोलन ने कई सामाजिक सुधारों की नींव रखी:

  • आत्मसम्मान विवाह (ब्राह्मण पुजारी के बिना)
  • अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहन
  • विधवा पुनर्विवाह का समर्थन
  • दहेज प्रथा का विरोध

ये सुधार बाद में तमिलनाडु में कानूनी बदलावों की नींव बने।

Static GK तथ्य: 1967 में DMK सरकार ने आत्मसम्मान विवाह को कानूनी मान्यता दी।

राजनीतिक प्रभाव

जस्टिस पार्टी (1916) ने गैर-ब्राह्मण आवाज़ को प्रारंभिक आधार दिया, लेकिन यह अभिजात्य वर्ग तक सीमित रही। पेरियार ने आत्मसम्मान आंदोलन के माध्यम से संघर्ष को जनता तक पहुँचाया। यही वैचारिक आधार आगे चलकर द्रविड़ राजनीति में बदला और DMK AIADMK जैसी पार्टियों को प्रभावित किया।

Static GK तथ्य: DMK का गठन 1949 में सी.एन. अन्नादुरै ने किया था, जो सीधे आत्मसम्मान आंदोलन की विचारधारा से प्रेरित था।

100 साल बाद की विरासत

2025 में आंदोलन की शताब्दी यह दर्शाती है कि इसने तमिल समाज को किस प्रकार बदला:

  • सामाजिक असमानताओं को तोड़ा
  • गैरब्राह्मण सशक्तिकरण का मार्ग खोला
  • तर्कवाद और समानता को महत्व दिया

आज भी यह आंदोलन सामाजिक न्याय और अधिकारआधारित राजनीति पर बहस को प्रेरित करता है।

Static Usthadian Current Affairs Table

विषय विवरण
स्थापना वर्ष 1925
संस्थापक ई.वी. रामासामी (पेरियार)
प्रकाशन माध्यम कुड़ी अरसु
मुख्य उद्देश्य सामाजिक समानता, तर्कवाद, जाति उन्मूलन
पुस्तिकाएँ नमथु कुरिक्कोल, तिराविटक कलका लतेयियम
महिला नेता अन्नाई मीनंबल, वीरमल
सामाजिक सुधार आत्मसम्मान विवाह, विधवा पुनर्विवाह, अंतरजातीय विवाह
राजनीतिक संबंध जस्टिस पार्टी, द्रविड़ राजनीति
आगे का परिणाम DMK और AIADMK की विचारधाराएँ
शताब्दी वर्ष 2025
Centenary of the Self Respect Movement
  1. आत्म-सम्मान आंदोलन 1925 में पेरियार ई.वी. रामासामी द्वारा शुरू किया गया था।
  2. इसका उद्देश्य जाति उन्मूलन और तर्कसंगत विचारों को बढ़ावा देना था।
  3. यह आंदोलन शुरू में तमिल साप्ताहिक कुडी अरासु प्रकाशन के माध्यम से फैला।
  4. पेरियार ने जाति-आधारित भेदभाव प्रथाओं के कारण कांग्रेस छोड़ दी।
  5. उद्देश्यों को नामथु कुरिक्कोल और कालका लतीयम नामक पुस्तिकाओं में समझाया गया।
  6. इसने सामाजिक न्याय, लैंगिक समानता और अंधविश्वास के खंडन की माँग की।
  7. महिला नेताओं अन्नाई मीनाम्बल और वीरमल ने महिला लामबंदी का नेतृत्व किया।
  8. उन्होंने विधवा पुनर्विवाह, महिला अधिकारों और संपत्ति समानता को बढ़ावा दिया।
  9. 1930 में, पहले आत्म-सम्मान महिला सम्मेलन की अध्यक्षता की गई।
  10. सामाजिक सुधारों में ब्राह्मण पुजारियों की भागीदारी के बिना आत्म-सम्मान विवाह शामिल थे।
  11. इसने अंतर्जातीय विवाह, विधवा पुनर्विवाह और दहेज प्रथा विरोधी आंदोलनों का समर्थन किया।
  12. 1967 में, DMK ने तमिलनाडु में आत्म-सम्मान विवाहों को आधिकारिक रूप से वैध बनाया।
  13. जस्टिस पार्टी ने सामाजिक रूप से गैर-ब्राह्मण दावे की प्रारंभिक नींव रखी।
  14. पेरियार ने द्रविड़ विचारधारा को आकार देते हुए इसे व्यापक जनसमूह में विस्तारित किया।
  15. 1949 में अन्नादुरई द्वारा गठित DMK ने इससे प्रेरणा ली।
  16. बाद में, AIADMK ने भी आत्म-सम्मान के सिद्धांतों पर राजनीति का निर्माण किया।
  17. आंदोलन ने समानता और तर्कवाद पर ध्यान केंद्रित करते हुए तमिल समाज को नया रूप दिया।
  18. 2025 में शताब्दी वर्ष सुधारवादी संघर्ष के 100 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है।
  19. इसने पदानुक्रम को समाप्त किया और राजनीति में गैर-ब्राह्मण समुदायों को सशक्त बनाया।
  20. न्याय और समानता के अधिकारों पर आधुनिक बहसों में इसकी विरासत जारी है।

Q1. 1925 में आत्मसम्मान आंदोलन (Self-Respect Movement) की स्थापना किसने की थी?


Q2. आंदोलन द्वारा प्रोत्साहित एक प्रमुख सामाजिक सुधार क्या था?


Q3. किन राजनीतिक दलों को इस आंदोलन से प्रेरणा मिली?


Q4. आंदोलन के लिए महिलाओं को संगठित करने वाली महिला नेता कौन थीं?


Q5. आंदोलन अपनी शताब्दी किस वर्ष पूरी करेगा?


Your Score: 0

Current Affairs PDF September 13

Descriptive CA PDF

One-Liner CA PDF

MCQ CA PDF​

CA PDF Tamil

Descriptive CA PDF Tamil

One-Liner CA PDF Tamil

MCQ CA PDF Tamil

CA PDF Hindi

Descriptive CA PDF Hindi

One-Liner CA PDF Hindi

MCQ CA PDF Hindi

News of the Day

Premium

National Tribal Health Conclave 2025: Advancing Inclusive Healthcare for Tribal India
New Client Special Offer

20% Off

Aenean leo ligulaconsequat vitae, eleifend acer neque sed ipsum. Nam quam nunc, blandit vel, tempus.