मलक्का जलडमरूमध्य का सामरिक महत्व
मलक्का जलडमरूमध्य दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री मार्गों में से एक है। यह हिंद महासागर को दक्षिण चीन सागर से जोड़ता है, जिससे यह वैश्विक व्यापार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां से दुनिया के 60% से अधिक समुद्री व्यापार गुजरता है, जिसमें चीन और जापान को ऊर्जा आपूर्ति भी शामिल है।
स्थिर जीके तथ्य: मलक्का जलडमरूमध्य मध्य पूर्व और पूर्वी एशिया के बीच का सबसे छोटा समुद्री मार्ग है, जो शिपिंग लागत और समय को काफी कम करता है।
भारत और सिंगापुर की साझेदारी का उद्देश्य इस मार्ग को सुरक्षित करना, नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना और क्षेत्र में चीन की नौसैनिक उपस्थिति का संतुलन करना है।
भारत-सिंगापुर रक्षा सहयोग
4 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग की नई दिल्ली यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 5 नए समझौते किए। इनमें हरित ऊर्जा, रक्षा और प्रौद्योगिकी सहयोग शामिल हैं। यह साझेदारी भारत की एक्ट ईस्ट नीति को गहरा करती है और इंडो-पैसिफिक रणनीति को मजबूती देती है।
स्थिर जीके तथ्य: सिंगापुर में स्थित चांगी नौसैनिक अड्डा दक्षिण-पूर्व एशिया की सबसे बड़ी नौसैनिक सुविधाओं में से एक है।
भारत की गश्ती पहल को सिंगापुर का समर्थन, नई दिल्ली की इंडो-पैसिफिक में सुरक्षा प्रदाता की भूमिका को विश्वसनीयता प्रदान करता है।
तकनीकी सहयोग का विस्तार
दोनों देशों ने क्वांटम कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑटोमेशन और मानवरहित नौसैनिक उपकरणों में सहयोग करने पर सहमति जताई। यह क्षेत्र पारंपरिक रक्षा उपकरणों से आगे की भविष्य की सैन्य क्षमता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
स्थिर जीके तथ्य: भारत ने 2018 में राष्ट्रीय एआई मिशन शुरू किया था ताकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
यह सहयोग सिंगापुर की टेक्नोलॉजी हब की स्थिति और भारत की स्वदेशी रणनीतिक क्षमता को मजबूत करने की दिशा में मेल खाता है।
क्षेत्रीय प्रभाव
सिंगापुर के साथ साझेदारी से भारत को अधिक समुद्री खुफिया तक पहुंच मिलती है और दक्षिण-पूर्व एशिया में उसका कूटनीतिक प्रभाव बढ़ता है। सिंगापुर के लिए, यह सहयोग स्थिर और नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था सुनिश्चित करता है, जो उसकी व्यापार-निर्भर अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है।
स्थिर जीके तथ्य: मलक्का जलडमरूमध्य इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप और मलय प्रायद्वीप के बीच स्थित है।
यह योजना केवल समुद्री मार्गों को सुरक्षित नहीं करती बल्कि सामूहिक सुरक्षा ढांचे की ओर बदलाव को भी दर्शाती है, जिससे किसी एक देश पर बोझ कम होता है।
भविष्य की रूपरेखा
दोनों नेताओं ने भविष्य की सतत अवसंरचना परियोजनाएं, नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग और डिजिटल प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान पर सहमति जताई। रक्षा मुख्य केंद्र बना रहेगा, लेकिन आर्थिक और तकनीकी आयामों को भी प्राथमिकता दी गई है, जिससे यह साझेदारी बहुस्तरीय बनती है।
स्थिर जीके तथ्य: भारत और सिंगापुर ने पहली बार 2003 में रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे 2017 में नवीनीकृत किया गया।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
बैठक की तिथि | 4 सितंबर 2025 |
शामिल नेता | पीएम नरेंद्र मोदी और पीएम लॉरेंस वोंग |
रणनीतिक फोकस | मलक्का जलडमरूमध्य गश्ती और इंडो-पैसिफिक सहयोग |
प्रमुख समझौते | हरित ऊर्जा, तकनीक और रक्षा पर 5 समझौते |
मलक्का जलडमरूमध्य | हिंद महासागर को दक्षिण चीन सागर से जोड़ता है |
वैश्विक व्यापार | 60% से अधिक समुद्री व्यापार यहां से गुजरता है |
रक्षा तकनीक फोकस | क्वांटम कंप्यूटिंग, एआई, ऑटोमेशन, मानवरहित उपकरण |
सिंगापुर सुविधा | चांगी नौसैनिक अड्डा (प्रमुख दक्षिण-पूर्व एशियाई बेस) |
एक्ट ईस्ट नीति | सिंगापुर साझेदारी से मजबूत हुई |
पहला रक्षा समझौता | भारत-सिंगापुर DCA, 2003 |