अध्ययन की शुरुआत
तमिलनाडु ने 2025–2027 के लिए दो वर्षीय टेलीमेट्री कार्यक्रम शुरू किया है ताकि राज्य के तटों पर ऑलिव रिडले कछुओं की आवाजाही का अध्ययन किया जा सके। यह राज्य का पहला दीर्घकालिक प्रयास है जिसमें इनके समुद्री व्यवहार और प्रवासी मार्गों को ट्रैक किया जाएगा।
इस्तेमाल की गई तकनीकें
इस परियोजना में सैटेलाइट–आधारित उपकरण और फ्लिपर टैग का उपयोग किया जाएगा। इनसे वैज्ञानिकों को पता चलेगा कि कछुए किन खान–पान क्षेत्रों, तटीय जमाव स्थलों और किन जगहों पर मछली पकड़ने की गतिविधियों से खतरा झेलते हैं।
मुख्य उद्देश्य
अध्ययन का उद्देश्य संरक्षण नीतियों के लिए वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाना है। महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्रों की पहचान से ऐसे नियम बनाए जा सकेंगे जो बायकैच घटनाओं को कम करें और प्रवासी यात्रा के दौरान कछुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
ऑलिव रिडले का महत्व
ऑलिव रिडले (Lepidochelys olivacea) दुनिया के सबसे छोटे समुद्री कछुओं में से एक हैं और इनकी सिंक्रोनाइज़्ड नेस्टिंग (Arribada) के लिए प्रसिद्ध हैं।
ये IUCN रेड लिस्ट में Vulnerable श्रेणी में आते हैं।
Static GK तथ्य: भारत में इन्हें वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I के तहत सर्वोच्च कानूनी सुरक्षा मिली हुई है।
बढ़ते खतरे
इनके लिए सबसे बड़ा खतरा है:
- ट्रॉल और गिल नेट में उलझना
- घोंसले वाले तटों का नष्ट होना
- समुद्री प्रदूषण
तमिलनाडु का यह कदम इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक तकनीक–आधारित सक्रिय पहल माना जा रहा है।
Static GK तथ्य: ओडिशा का गाहिरमाथा तट ऑलिव रिडले कछुओं का दुनिया का सबसे बड़ा नेस्टिंग स्थल है।
संरक्षण और वैश्विक संबंध
भारत कन्वेंशन ऑन माइग्रेटरी स्पीशीज़ (CMS) और IOSEA समुद्री कछुआ समझौता जैसे अंतरराष्ट्रीय करारों के तहत प्रवासी कछुओं की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। यह अध्ययन इन दायित्वों को मज़बूत करता है और भारत की समुद्री संरक्षण में वैश्विक भूमिका को रेखांकित करता है।
अपेक्षित लाभ
इस अध्ययन से:
- महत्वपूर्ण तटीय आवासों की पहचान होगी।
- सतत मछली पकड़ने की प्रथाओं को बढ़ावा मिलेगा।
- बायकैच से होने वाली कछुओं की मौत कम होगी।
- समुद्री संसाधन नीतियों के लिए वैज्ञानिक आधार मिलेगा।
तमिलनाडु के लिए महत्व
तमिलनाडु के तटीय जल क्षेत्र में समृद्ध समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और बड़ी मछुआरा आबादी है। इस अध्ययन से प्राप्त आँकड़े संरक्षण और आजीविका के बीच संतुलन बनाने में मदद करेंगे, ताकि कछुए और तटीय समुदाय दोनों लाभान्वित हों।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| अध्ययन शुरू करने वाला राज्य | तमिलनाडु |
| अध्ययन की अवधि | 2025–2027 |
| ट्रैक की गई प्रजाति | ऑलिव रिडले कछुए |
| इस्तेमाल की तकनीकें | सैटेलाइट टैगिंग, फ्लिपर टैगिंग |
| उद्देश्य | हॉटस्पॉट, प्रवासी मार्ग, उलझाव-प्रवण क्षेत्र पहचानना |
| संरक्षण लक्ष्य | मछली पकड़ने से होने वाली मौत कम करना |
| IUCN स्थिति | Vulnerable |
| भारतीय कानूनी सुरक्षा | वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (अनुसूची-I) |
| भारत का प्रमुख नेस्टिंग स्थल | गाहिरमाथा, ओडिशा |
| अंतरराष्ट्रीय समझौता | कन्वेंशन ऑन माइग्रेटरी स्पीशीज़ (CMS) |





