स्वीकृति प्रक्रिया अधिक लचीली
संशोधन नियम 2025 ने स्टेज-I (सैद्धांतिक स्वीकृति) की वैधता 2 वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष कर दी है। इससे परियोजना प्राधिकरणों को अनुपालन पूरा करने के लिए अधिक समय मिलेगा। रक्षा, राष्ट्रीय महत्व और आपातकालीन स्थितियों में ऑफ़लाइन आवेदन की भी अनुमति दी गई है।
स्वीकृति संरचना स्पष्ट
नियमों में स्टेज-I को सैद्धांतिक स्वीकृति और स्टेज-II को अंतिम स्वीकृति के रूप में परिभाषित किया गया है। इससे वन भूमि विचलन मामलों में अस्पष्टता कम होगी और निर्णय-प्रक्रिया सुव्यवस्थित बनेगी।
प्रतिपूरक वनीकरण में सुधार
संशोधन ने भूमि बैंकिंग प्रणाली लागू की है जिससे प्रतिपूरक वनीकरण तेजी से हो सकेगा। अब राज्य सरकारें केंद्रीय योजना आधारित वनीकरण कार्यक्रमों का उपयोग प्रतिपूरक आवश्यकता पूरी करने के लिए कर सकती हैं। स्टेज-I स्वीकृति के बाद ही राज्य विचलित वन भूमि को सीधे वन विभाग को हस्तांतरित कर सकते हैं।
Static GK तथ्य: प्रतिपूरक वनीकरण की अवधारणा को सुप्रीम कोर्ट के टी.एन. गोदावर्मन बनाम भारत संघ (1996) मामले के बाद संस्थागत रूप दिया गया था।
क्रिटिकल मिनरल्स पर फोकस
रणनीतिक महत्व के क्रिटिकल मिनरल्स खनन को मान्यता दी गई है। ऐसे प्रोजेक्ट्स के लिए न्यूनतम भूमि उपयोग अवधि 20 वर्ष से घटाकर 10 वर्ष कर दी गई है। इससे संसाधनों का त्वरित दोहन संभव होगा, साथ ही पारिस्थितिक सुरक्षा उपाय भी लागू रहेंगे।
Static GK तथ्य: भारत ने 30 क्रिटिकल मिनरल्स पहचाने हैं जिनमें लिथियम, कोबाल्ट और रेयर अर्थ एलिमेंट्स शामिल हैं। ये नवीकरणीय ऊर्जा और रक्षा तकनीक के लिए आवश्यक हैं।
मजबूत प्रवर्तन शक्तियाँ
संशोधन ने वन अधिकारियों की शक्तियाँ बढ़ा दी हैं। अब वे सीधे कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकते हैं। साथ ही निगरानी और रिपोर्टिंग सिस्टम को सुदृढ़ किया गया है ताकि अनुपालन को प्रभावी ढंग से ट्रैक किया जा सके।
वन संरक्षण कानूनों का विकास
1980 से पहले वन राज्य सूची में थे, जिसके कारण कृषि, उद्योग और खनन के लिए बड़े पैमाने पर वन भूमि विचलन हुआ। 42वें संविधान संशोधन (1976) से वन समवर्ती सूची में आ गए और केंद्र को अधिकार मिला।
वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 ने अनियंत्रित वनों की कटाई रोकने के लिए केंद्रीय स्वीकृति को आवश्यक बनाया। 1988 संशोधन ने निजी कंपनियों को वन भूमि पट्टे पर देने पर नियंत्रण लगाया। 2023 संशोधन ने विकास और पारिस्थितिक संरक्षण के बीच संतुलन बनाने का प्रयास किया।
Static GK टिप: भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 21.7% हिस्सा वन आच्छादित है (भारत राज्य वन रिपोर्ट 2021)।
आगे की राह
संशोधन नियम 2025 यह दर्शाते हैं कि भारत आर्थिक विकास, संसाधन सुरक्षा और वन संरक्षण के बीच संतुलन बनाने का प्रयास कर रहा है। स्वीकृति अवधि बढ़ाकर, प्रतिपूरक वनीकरण सुधारकर और प्रवर्तन को सशक्त बनाकर सरकार ने सतत विकास लक्ष्यों और राष्ट्रीय विकास नीतियों को साथ लाने की दिशा तय की है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
मूल अधिनियम का वर्ष | 1980 |
स्वीकृति अवधि | 2 वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष |
स्टेज-I स्वीकृति | सैद्धांतिक स्वीकृति |
स्टेज-II स्वीकृति | अंतिम स्वीकृति |
प्रतिपूरक वनीकरण सुधार | भूमि बैंकिंग प्रणाली लागू |
क्रिटिकल मिनरल प्रोजेक्ट्स | न्यूनतम भूमि उपयोग अवधि 20 से 10 वर्ष |
प्रवर्तन | वन अधिकारी सीधे कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं |
वन समवर्ती सूची में | 42वाँ संशोधन, 1976 |
प्रमुख संशोधन | 1988 (निजी कंपनियों को पट्टा सीमित) |
भारत का वन आच्छादन | 21.7% (ISFR 2021) |