संदर्भ और उद्देश्य
भारत ने 2025–2031 के लिए 25,000 करोड़ रुपये का निर्यात संवर्धन मिशन (EPM) शुरू किया है, जिसकी घोषणा केंद्रीय बजट 2025-26 में की गई। यह योजना विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को मज़बूत सहायता देने के लिए बनाई गई है। यह पहल वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं के बीच आई है, खासकर जब अमेरिका ने अगस्त 2025 में भारतीय वस्त्र, जूते, रसायन और चमड़े के उत्पादों पर टैरिफ को दोगुना (50%) कर दिया।
स्थिर जीके तथ्य: पेट्रोलियम उत्पाद भारत का सबसे बड़ा निर्यातित कमोडिटी समूह है।
मिशन की संरचना
EPM दो प्रमुख घटकों में बंटा है:
- निर्यात प्रोत्साहन (Niryat Protsahan): 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान, जिसका लक्ष्य वित्तीय सहायता, ब्याज समानिकरण और डिजिटल निर्यातकों के लिए विशेष क्रेडिट कार्ड जैसी नई ऋण उत्पाद योजनाएँ हैं।
- निर्यात दिशा (Niryat Disha): लगभग 14,500 करोड़ रुपये का प्रावधान, जो ब्रांडिंग, अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों का अनुपालन, विदेशी वेयरहाउसिंग, लॉजिस्टिक्स और नए बाज़ारों तक पहुँच पर केंद्रित है।
स्थिर जीके तथ्य: 2023 में भारत दुनिया का 17वां सबसे बड़ा निर्यातक था।
संस्थागत सहयोग
EPM के कार्यान्वयन में कई मंत्रालय और संस्थाएँ शामिल हैं। वाणिज्य विभाग, MSME मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, एक्ज़िम बैंक और ECGC इसकी केंद्रीय इकाइयाँ होंगी। राज्यों की सरकारें, उद्योग संगठन, निर्यात संवर्धन परिषदें और कमोडिटी बोर्ड भी सहयोग करेंगे।
स्थिर जीके टिप: ECGC भारतीय निर्यातकों को विदेशी खरीदारों से भुगतान न मिलने के जोखिम के खिलाफ बीमा प्रदान करता है।
टैरिफ चुनौतियों का समाधान
अमेरिका की टैरिफ वृद्धि ने भारतीय निर्यातकों के लिए नई बाधाएँ खड़ी कर दी हैं। इसे कम करने के लिए सरकार ने EPM गतिविधियों को तेज़ कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उच्च-स्तरीय बैठकें कर फंडिंग की कमी को दूर करने के उपाय किए। प्राथमिकता सप्लाई चेन मज़बूत करने और अमेरिकी बाज़ार पर निर्भरता कम करने को दी जा रही है।
स्थिर जीके तथ्य: भारत-अमेरिका का द्विपक्षीय व्यापार 2023 में रिकॉर्ड 118 अरब डॉलर पर पहुँचा।
वैश्विक पहुँच का विस्तार
दीर्घकालिक रणनीति के तहत भारत 40 देशों (जैसे जर्मनी, जापान, UAE, UK, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया) के साथ जुड़ाव की योजना बना रहा है। इस विविधीकरण एजेंडे का उद्देश्य भारत को सस्टेनेबल उत्पादों का भरोसेमंद वैश्विक आपूर्तिकर्ता बनाना है। इस प्रयास में निर्यात संवर्धन परिषदों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
स्थिर जीके तथ्य: UK भारत के साथ अर्ली हार्वेस्ट ट्रेड डील पर हस्ताक्षर करने वाले पहले देशों में से एक था।
हालिया निर्यात प्रदर्शन
भारत के निर्यात ने जुलाई 2025 में 7.29% वृद्धि दर्ज की, जिससे यह 37.24 अरब डॉलर तक पहुँच गया। हालांकि, इसी दौरान व्यापार घाटा 27.35 अरब डॉलर तक बढ़ गया, जो आठ महीनों में सबसे अधिक है। अप्रैल–जुलाई 2025-26 में निर्यात में 3.07% वृद्धि हुई, जबकि आयात में 5.36% की बढ़ोतरी हुई। सरकार को उम्मीद है कि EPM से आने वाले वर्षों में निर्यात की गति बनी रहेगी और व्यापारिक दबावों में संतुलन आएगा।
स्थिर जीके टिप: विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) भारत के आयात-निर्यात नियमों का प्रबंधन करता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| मिशन लॉन्च | 2025–2031 का निर्यात संवर्धन मिशन (₹25,000 करोड़) |
| बजट घोषणा | केंद्रीय बजट 2025-26 |
| अमेरिकी टैरिफ वृद्धि | अगस्त 2025 में 50% तक |
| उप-योजनाएँ | निर्यात प्रोत्साहन (₹10,000 करोड़), निर्यात दिशा (₹14,500 करोड़) |
| प्रमुख मंत्रालय | वाणिज्य, MSME, वित्त, एक्ज़िम बैंक, ECGC, राज्य सरकारें |
| निर्यात विविधीकरण | 40 देशों तक पहुँच, जिनमें UAE, UK, जापान शामिल |
| निर्यात वृद्धि (जुलाई 2025) | 7.29% (37.24 अरब USD) |
| व्यापार घाटा | 27.35 अरब USD (आठ महीने का उच्चतम स्तर) |
| निर्यात वृद्धि (अप्रैल-जुलाई 2025-26) | 3.07% (149.2 अरब USD) |
| आयात वृद्धि (अप्रैल-जुलाई 2025-26) | 5.36% (244.01 अरब USD) |





