ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
लिपुलेख दर्रे का सीमा विवाद 1816 की सुगौली संधि से जुड़ा है, जो नेपाल और ब्रिटिशों के बीच हुई थी। इसमें काली नदी को विभाजन रेखा माना गया।
- नेपाल का दावा है कि नदी का उद्गम लिम्पियाधुरा से होता है, जिससे कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख उसके क्षेत्र में आते हैं।
- भारत का कहना है कि नदी का उद्गम आगे नीचे है, जिससे ये क्षेत्र उत्तराखंड में आते हैं।
स्थैतिक जीके तथ्य: सुगौली संधि के बाद नेपाल ने कुमाऊँ, गढ़वाल और दार्जिलिंग जैसे क्षेत्र ब्रिटिशों को सौंपे थे।
सामरिक महत्व
लिपुलेख दर्रा भारत और तिब्बत (चीन) के बीच एक महत्वपूर्ण मार्ग है। यह कैलाश मानसरोवर यात्रा का स्थापित रास्ता भी है।
भारत ने 2020 में यहाँ सड़क का आधुनिकीकरण किया, जिससे व्यापार, सुरक्षा बलों और तीर्थयात्रियों की पहुँच आसान हुई।
स्थैतिक जीके तथ्य: लिपुलेख दर्रा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में लगभग 17,000 फीट ऊँचाई पर स्थित है।
बढ़ते मतभेद
नेपाल ने भारत की सड़क परियोजना और व्यापार पुनः शुरू करने पर कड़ा विरोध जताया।
- 2020 में नेपाल ने अपना राष्ट्रीय नक्शा और संविधान संशोधित कर विवादित क्षेत्रों को शामिल कर लिया।
- भारत का तर्क है कि 1954 से लिपुलेख मार्ग से आवाजाही होती रही है और नेपाल के दावे ऐतिहासिक रूप से कमजोर हैं।
स्थैतिक जीके टिप: भारत–नेपाल सीमा दुनिया की सबसे दोस्ताना सीमाओं में से एक है, जो लगभग 1,770 किमी लंबी है और यहाँ बिना वीज़ा के नागरिकों का आवागमन होता है।
त्रिपक्षीय भू-राजनीति
यह दर्रा भारत–नेपाल–चीन त्रि–जंक्शन के पास है, जिससे इसकी सामरिक संवेदनशीलता और बढ़ जाती है।
- 1962 भारत–चीन युद्ध के बाद भारत ने कालापानी में सेना तैनात की।
- चीन ने इस पर सीधे पक्ष नहीं लिया, लेकिन भारत और तिब्बत के बीच व्यापार का समर्थन किया है।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत ने 1962 युद्ध के बाद हिमालयी दर्रों पर सैन्य तैनाती बढ़ाई ताकि आगे अतिक्रमण रोका जा सके।
भारत–नेपाल संबंधों पर प्रभाव
यह विवाद दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित कर रहा है।
- प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के कार्यकाल में नेपाल ने कठोर रुख अपनाया और चीन से निकटता दिखाई।
- सांस्कृतिक रिश्तों और खुली सीमा के बावजूद, भारत की एकतरफा कार्रवाइयों की धारणा से अविश्वास बढ़ा है।
स्थैतिक जीके तथ्य: नेपाल, स्थल-रुद्ध (landlocked) देश है और समुद्री व्यापार मार्गों के लिए भारत पर निर्भर है।
आगे का मार्ग
भारत ने नेपाल को संरचनात्मक संवाद का प्रस्ताव दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि केवल राजनयिक वार्ता और ऐतिहासिक रिश्तों की संवेदनशीलता से ही तनाव कम हो सकता है।
जन–जन संपर्क और स्थापित ढाँचों का सम्मान करना ही दीर्घकालिक समाधान माना जा रहा है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
लिपुलेख दर्रे का स्थान | उत्तराखंड का पिथौरागढ़ ज़िला, भारत–नेपाल–चीन त्रि-जंक्शन |
ऊँचाई | लगभग 17,000 फीट |
संधि संदर्भ | सुगौली संधि 1816 |
नेपाल का आधिकारिक नक्शा संशोधन | 2020, कालापानी, लिम्पियाधुरा, लिपुलेख शामिल |
सड़क उन्नयन वर्ष | 2020, कैलाश मानसरोवर यात्रा हेतु |
भारत–नेपाल व्यापार आरंभ | 1954, लिपुलेख मार्ग से |
भारत–नेपाल सीमा लंबाई | 1,770 किमी |
भारतीय तैनाती कालापानी में | 1962 चीन युद्ध के बाद |
सामरिक उपयोग | कैलाश मानसरोवर यात्रा, भारत–चीन व्यापार |
नेपाल का रुख | नदी स्रोत लिम्पियाधुरा बताकर दावा करता है |