मुंबई पर मूसलधार बारिश
अगस्त 2025 के मध्य में मुंबई में केवल चार दिनों में 800 मिमी से अधिक वर्षा हुई, जो इसके मासिक औसत से काफी ऊपर थी। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने लगातार हो रही बारिश को देखते हुए ऑरेंज अलर्ट जारी किया। इस असामान्य तीव्रता के पीछे कई प्रणालियाँ सक्रिय थीं—विदर्भ पर निम्न दाब, उत्तर-पूर्व अरब सागर में परिसंचरण, बंगाल की खाड़ी में अवदाब और तटीय क्षेत्र में सक्रिय मानसूनी ट्रफ।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की स्थापना 1875 में हुई थी।
वर्षा पैटर्न पर जलवायु प्रभाव
वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन ने भारत के पश्चिमी तट पर वर्षा की चरम घटनाओं को और बढ़ा दिया है। गर्म होता अरब सागर और मध्य पूर्व का अत्यधिक ताप वाष्पीकरण और नमी प्रवाह को बढ़ा रहा है, जिससे मानसूनी वर्षा तीव्र हो रही है। अध्ययन बताते हैं कि हाल के वर्षों में उत्तर-पश्चिम भारत और पाकिस्तान में वर्षा वृद्धि का लगभग आधा हिस्सा मध्य पूर्व की तीव्र गर्मी से जुड़ा है, जिसे मानसून को “स्टेरॉयड बूस्ट” देने जैसा बताया गया है।
स्थैतिक जीके टिप: पेरिस जलवायु समझौता (2015) का लक्ष्य वैश्विक तापमान वृद्धि को 2°C से कम तक सीमित रखना है।
महाराष्ट्र और मुंबई पर प्रभाव
इस भारी वर्षा से महाराष्ट्र में लगभग 10 लाख एकड़ कृषि भूमि डूब गई। मुंबई ने वर्षों में अपना सबसे गीला अगस्त दर्ज किया, जबकि इससे पहले जुलाई असामान्य रूप से सूखा रहा था—2015 के बाद का सबसे कम। सड़कों, रेलमार्गों और आवासीय कॉलोनियों में जलभराव हो गया, जिससे जनजीवन ठप हो गया। बारिश से जुड़े हादसों में कम से कम 15 लोगों की मौत हुई। यह आपदा दिखाती है कि मेगासिटी बढ़ते जलवायु खतरों के प्रति कितनी संवेदनशील हैं।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई ने अपना वर्तमान नाम 1995 में आधिकारिक रूप से अपनाया।
अलर्ट और जनसुरक्षा को मजबूत करना
विशेषज्ञों ने जीवन और संपत्ति के नुकसान को कम करने के लिए पूर्व चेतावनी प्रणालियों के विस्तार पर जोर दिया है। आईआईटी बॉम्बे का बाढ़ मॉनिटरिंग सिस्टम पहले से ही स्थानीय प्रशासन को वास्तविक समय का डेटा उपलब्ध करा रहा है। मौसम एजेंसियों, नगर निकायों और सामुदायिक नेटवर्क के बीच प्रभावी सहयोग आवश्यक है। बाढ़–प्रवण क्षेत्रों का मानचित्रण और नालों के उन्नयन बाढ़ नियंत्रण की प्रमुख रणनीतियाँ हैं।
स्थैतिक जीके तथ्य: बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) की स्थापना 1888 में हुई थी और यह भारत का सबसे धनवान नगर निकाय है।
भविष्य के जोखिमों के लिए सहनशीलता निर्माण
दीर्घकालिक समाधान हेतु वैज्ञानिक योजना और तकनीकी एकीकरण आवश्यक है। ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (CEEW) ने मुंबई और आसपास के क्षेत्रों के लिए बाढ़ सूचकांक और वर्षा आवृत्ति मॉडल तैयार किए हैं। अब एआई और मशीन लर्निंग का उपयोग जलवायु जोखिमों से निपटने हेतु महत्वपूर्ण ढाँचे को मजबूत करने में किया जा रहा है। शोधकर्ता चेतावनी देते हैं कि चरम वर्षा घटनाएँ अब नियमित हो जाएँगी, जिससे अनुकूली शहरी योजना अपरिहार्य हो जाएगी।
स्थैतिक जीके तथ्य: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की स्थापना 2005 में आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत की गई थी।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| मुंबई में वर्षा (अगस्त 2025) | चार दिनों में 800 मिमी से अधिक |
| आईएमडी अलर्ट | ऑरेंज अलर्ट जारी |
| मौसम प्रणालियाँ | विदर्भ पर निम्न दबाव, अरब सागर परिसंचरण, बंगाल की खाड़ी अवदाब, मानसून ट्रफ |
| जलवायु कारक | अरब सागर और मध्य पूर्व का गर्म होना वर्षा तीव्र करता है |
| कृषि प्रभाव | महाराष्ट्र में 10 लाख एकड़ फसल प्रभावित |
| मानवीय प्रभाव | मुंबई में कम से कम 15 मौतें |
| पूर्व चेतावनी | आईआईटी बॉम्बे का फ्लड मॉनिटरिंग सिस्टम |
| शहरी योजना | सीईईडब्ल्यू बाढ़ जोखिम सूचकांक और एआई आधारित लचीलापन उपकरण |
| ऐतिहासिक तथ्य | आईएमडी 1875, एनडीएमए 2005 |
| नगर शासन | बीएमसी, 1888 में स्थापित, भारत का सबसे धनवान निकाय |





