एक संस्कृति जहाँ ‘लॉग-ऑफ’ करना जोखिम भरा हो गया है
भारत के शहरी इलाकों, विशेषकर निजी क्षेत्र में, कर्मचारी अब काम से पूरी तरह अलग होना मुश्किल समझने लगे हैं।
- 88% कर्मचारी कार्य समय के बाहर भी मैसेज प्राप्त करते हैं
- 85% कर्मचारियों को छुट्टी या बीमारी के दौरान भी संपर्क किया जाता है
उदाहरण के तौर पर, बेंगलुरु के एक युवा टेक कर्मचारी का दिन भले ही शाम 6 बजे खत्म हो जाए, लेकिन रात 10 बजे फिर से “जरूरी ईमेल” के लिए लॉगइन करना अब सामान्य हो गया है। आराम और काम की सीमाएँ धुंधली हो चुकी हैं।
कानून क्या वादा करता है और कर्मचारियों को क्या मिलता है?
भारत के श्रम कानून सिद्धांततः सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- फ़ैक्ट्री अधिनियम, 1948: प्रति सप्ताह अधिकतम 48 घंटे कार्य
- न्यूनतम वेतन अधिनियम, मातृत्व लाभ अधिनियम: विशिष्ट सुरक्षा प्रदान करते हैं
- राज्य स्तर के दुकान एवं स्थापना अधिनियम: कार्यालयों में कार्यदशा को नियंत्रित करते हैं
लेकिन वास्तविकता में, विशेष रूप से श्वेतपोश (white-collar) और असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को इन कानूनों का लाभ नहीं मिलता। भारत में 80% से अधिक कार्यबल असंगठित क्षेत्र में है — जहाँ लिखित अनुबंध या सामाजिक सुरक्षा नहीं होती।
नई श्रम संहिताएँ: आशा या चिंता?
भारत ने 2020 में 4 नई श्रम संहिताएँ लागू की थीं:
- वेतन संहिता
- औद्योगिक संबंध संहिता
- सामाजिक सुरक्षा संहिता
- व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य संहिता (OSH)
इनमें से एक बड़ा बदलाव था: चार दिन का कार्य सप्ताह (लेकिन 12 घंटे प्रतिदिन कार्य)। यह लचीलापन प्रतीत होता है, लेकिन आईटी और उच्च दबाव वाली नौकरियों में यह मानसिक थकान और तनाव बढ़ा सकता है।
आज तक, ये संहिताएँ पूरी तरह से देश भर में लागू नहीं हुई हैं। अधिकांश राज्यों में नियमों का मसौदा बनना अभी बाकी है — जिससे कर्मचारी कानूनी असमंजस में हैं।
ओवरटाइम का छिपा हुआ पक्ष
सिद्धांत रूप में, जैसे कि महाराष्ट्र और तेलंगाना में, ओवरटाइम के लिए दोगुना वेतन देने का प्रावधान है — लेकिन यह सिर्फ ब्लू–कॉलर (श्रमिक वर्ग) पर लागू होता है।
आईटी और प्रबंधन वर्ग के लिए कोई स्पष्ट कानूनी सुरक्षा या ओवरटाइम वेतन गारंटी नहीं है। इसके बजाय:
- अनपेड वीकेंड कार्य
- लेट–नाइट डेडलाइंस
- “जरूरी” कॉल्स छुट्टी में
ये सब अदृश्य शोषण के रूप हैं। परिणामस्वरूप:
- बढ़ता बर्नआउट (काम की थकावट)
- बढ़ती चिंता और मानसिक स्वास्थ्य संकट
- भारत को दुनिया में अति–कार्य से जुड़ी बीमारियों और मौतों में शीर्ष देशों में स्थान
स्थैतिक सामान्य ज्ञान (GK) स्नैपशॉट – प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु
विषय | विवरण |
फ़ैक्ट्री अधिनियम लागू हुआ | 1948 |
नई श्रम संहिताएँ | 2020 |
शामिल संहिताएँ | वेतन, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा, व्यावसायिक सुरक्षा व स्वास्थ्य |
ओवरटाइम वेतन उदाहरण राज्य | महाराष्ट्र, तेलंगाना (दोगुना वेतन) |
भारत में असंगठित क्षेत्र का अनुपात | कुल कार्यबल का 80% से अधिक |
राष्ट्रीय युवा दिवस | 12 जनवरी |
भारत की स्थिति | अति-कार्य जनित तनाव और मृत्यु दर में शीर्ष देशों में |
प्रमुख उद्योगपति उदाहरण | एस.एन. सुब्रह्मण्यन (चेयरमैन, लार्सन एंड टुब्रो) |