सूखी धरती को संजीवनी: एक गाँव एक प्रयास
भारत के ऐसे गाँव, जहाँ वर्षा ही एकमात्र जल स्रोत है, वहाँ खेती करना एक जुआ जैसा लगता है। अनियमित मानसून, क्षयग्रस्त मिट्टी और पानी की कमी ने किसानों के लिए आजीविका को कठिन बना दिया है।
लेकिन अब एक शांति से चल रही क्रांति इस स्थिति को बदल रही है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के जलग्रहण विकास घटक (WDC-PMKSY) के ज़रिए ये बंजर ज़मीनें अब हरियाली में बदल रही हैं।
यह योजना ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही है, और इसका उद्देश्य भारत के उपेक्षित सूखे इलाकों में भूमि और जल की स्थिति को सुधारना है। यह किसानों को वर्षा जल संग्रह, कटाव रोकने और उर्वरता बहाल करने में मदद करती है—जिससे खेती फिर से लाभकारी बन रही है।
योजना क्या करती है?
WDC-PMKSY केवल जल परियोजना नहीं, बल्कि सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए एक पूर्ण सहयोग प्रणाली है। इसमें निम्नलिखित कार्य शामिल हैं:
- चेक डैम, फार्म तालाब, रिज ट्रीटमेंट (मिट्टी कटाव रोकना), और वर्षा जल संग्रहण प्रणाली
- वृक्षारोपण, चारा विकास, और गरीब परिवारों के लिए आजिविका समर्थन
उदाहरण के लिए, राजस्थान के एक गाँव में एक छोटा चेक डैम बनते ही भूजल स्तर में वृद्धि देखी गई और अब वहाँ फसलें नियमित रूप से उग रही हैं।
2025 में क्या नया है?
वर्ष 2025 में, सरकार ने ₹700 करोड़ की मंजूरी देकर 56 नई जलग्रहण परियोजनाओं को हरी झंडी दी है। ये परियोजनाएँ 10 राज्यों में 2.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करेंगी, जिनमें तमिलनाडु, राजस्थान और असम शामिल हैं।
हर परियोजना लगभग 5,000 हेक्टेयर क्षेत्र को लक्षित करती है, हालांकि पहाड़ी राज्यों में छोटे क्षेत्र भी अनुमत हैं।
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में अलग मॉडल हैं—जैसे टेरेस फार्मिंग, ढलान स्थिरीकरण और वर्षा जल भंडारण, जो पहाड़ी भूभाग के लिए उपयुक्त हैं।
क्यों है यह योजना भारत के भविष्य के लिए अहम?
भारत की लगभग आधी कृषि भूमि वर्षा आधारित है, जहाँ सिंचाई की कोई गारंटी नहीं है। इस कारण यह योजना न केवल किसानों की आय, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और जलवायु लचीलापन के लिए भी महत्वपूर्ण है।
पुनर्वनीकरण (reforestation) और मृदा संरक्षण जैसी गतिविधियाँ कार्बन उत्सर्जन को घटाती हैं और गाँवों को जलवायु आपदाओं के लिए तैयार करती हैं।
GIS, सैटेलाइट डेटा और स्थानीय पंचायतों के सहयोग से इस योजना की निगरानी भी सुनिश्चित की जा रही है। कर्नाटक में पुराने प्रोजेक्ट्स ने भूजल स्तर में वृद्धि और पलायन में कमी दिखाई है।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्य के अंतर्गत “भूमि क्षरण तटस्थता (Land Degradation Neutrality)” का संकल्प लिया है—WDC-PMKSY इस लक्ष्य को हासिल करने में एक प्रमुख भूमिका निभा रही है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान (GK) स्नैपशॉट – प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु
विषय | विवरण |
योजना का पूरा नाम | प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का जलग्रहण विकास घटक (WDC-PMKSY) |
लॉन्च किया गया | ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) द्वारा |
कार्यान्वयन एजेंसी | भूमि संसाधन विभाग (DoLR) |
2025 के लिए बजट | ₹700 करोड़ |
नई परियोजनाएँ स्वीकृत | 10 राज्यों में 56 परियोजनाएँ |
परियोजना क्षेत्र कवरेज | 2.8 लाख हेक्टेयर |
प्रमुख गतिविधियाँ | मृदा संरक्षण, वर्षा जल संग्रह, चारा विकास |
मुख्य उद्देश्य | किसान की आय में सुधार, जलवायु सहनशीलता, भूमि क्षरण को रोकना |
पहाड़ी राज्यों पर विशेष ध्यान | टेरेस खेती, भूस्खलन रोकथाम, ढलान जल प्रबंधन |