परिचय
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने यह अनिवार्य कर दिया है कि 2024-25 शैक्षणिक सत्र से कक्षा 9 और 11 के छात्रों का पंजीकरण और कक्षा 10 व 12 की उम्मीदवार सूची (LOC) जमा करते समय एपीएएआर आईडी का उपयोग किया जाए। यह सुधार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 से जुड़ा है, जिसका उद्देश्य भारत के हर छात्र के लिए एकीकृत शैक्षणिक पहचान बनाना है।
एपीएएआर आईडी क्या है?
एपीएएआर (Automated Permanent Academic Account Registry) एक 12 अंकों की विशिष्ट आईडी है, जिसे हर छात्र को आवंटित किया जाएगा। यह एक आजीवन शैक्षणिक पहचानकर्ता के रूप में काम करेगा, जिसके माध्यम से छात्र की शैक्षणिक यात्रा स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक डिजिटल रूप से दर्ज होगी।
स्टैटिक जीके तथ्य: आधार आईडी UIDAI द्वारा जारी की जाती है, लेकिन एपीएएआर आईडी का प्रबंधन शिक्षा मंत्रालय करता है।
पहल का उद्देश्य
एपीएएआर आईडी का मुख्य लक्ष्य है वन नेशन वन स्टूडेंट आईडी। इससे छात्रों के सभी रिकॉर्ड्स, उपलब्धियाँ और प्रमाणपत्र एक ही डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर सुरक्षित होंगे। स्कूल बदलने या उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिले के दौरान अब बार–बार कागज़ी प्रक्रिया नहीं करनी पड़ेगी।
छात्रों के लिए लाभ
एपीएएआर से छात्रों को अकादमिक क्रेडिट बैंक बनाए रखने में मदद मिलेगी, जहाँ अंकपत्र, प्रमाणपत्र और पाठ्येतर उपलब्धियाँ डिजिटल रूप से संग्रहीत की जा सकेंगी। इसे Academic Bank of Credits (ABC) से जोड़ा जाएगा, जिससे छात्रों को उच्च शिक्षा में लचीलापन मिलेगा।
स्टैटिक जीके टिप: Academic Bank of Credits की शुरुआत 2021 में हुई थी, ताकि छात्र अपने शैक्षणिक क्रेडिट को डिजिटल रूप से संग्रहीत और स्थानांतरित कर सकें।
स्कूलों में क्रियान्वयन
2024-25 से सभी CBSE स्कूलों को छात्रों का पंजीकरण एपीएएआर आईडी से करना होगा। 2026 की बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने वाले छात्रों के लिए यह अनिवार्य होगा। इससे पूरे देश में रिकॉर्ड्स में एकरूपता सुनिश्चित होगी।
एनईपी 2020 के तहत व्यापक दृष्टिकोण
यह पहल NEP 2020 के उस दृष्टिकोण को दर्शाती है जिसमें शिक्षा में तकनीक का अधिकतम उपयोग करने की बात कही गई है। एपीएएआर आईडी डिजिटल इंडिया और नेशनल अकादमिक डिपॉजिटरी (NAD) से जुड़ी परियोजनाओं को सहयोग देती है, जिससे एक पारदर्शी और केंद्रीकृत छात्र डेटाबेस बनेगा।
स्टैटिक जीके तथ्य: नेशनल अकादमिक डिपॉजिटरी (NAD) की शुरुआत 2017 में हुई थी ताकि शैक्षणिक रिकॉर्ड्स को डिजिटल रूप में संग्रहीत किया जा सके।
आने वाली चुनौतियाँ
हालाँकि एपीएएआर आईडी दक्षता का वादा करती है, लेकिन डेटा गोपनीयता, डिजिटल पहुँच और अभिभावकों व स्कूलों के बीच जागरूकता जैसी चुनौतियाँ बनी रहेंगी। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में समावेशिता सुनिश्चित करना सफलता की कुंजी होगा।
निष्कर्ष
एपीएएआर आईडी भारत में एक केंद्रीकृत शैक्षणिक पहचान प्रणाली की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। यह छात्रों के रिकॉर्ड को सरल बनाएगी, अकादमिक मोबिलिटी को बढ़ावा देगी और NEP 2020 के लक्ष्यों को पूरा करेगी। जैसे ही CBSE ने इसे बोर्ड पंजीकरण के लिए अनिवार्य किया है, यह प्रणाली पूरे भारत में छात्र डेटा प्रबंधन को बदल देगी।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
एपीएएआर का पूरा नाम | Automated Permanent Academic Account Registry |
एपीएएआर आईडी संख्या | 12-अंकों की विशिष्ट संख्या |
लॉन्चिंग संस्था | शिक्षा मंत्रालय |
प्रथम क्रियान्वयन वर्ष | 2024-25 शैक्षणिक सत्र |
CBSE में उपयोग | कक्षा 9, 11 पंजीकरण और कक्षा 10, 12 LOC में अनिवार्य |
बोर्ड परीक्षा प्रासंगिकता | 2026 से अनिवार्य |
एनईपी 2020 से संबंध | वन नेशन वन स्टूडेंट आईडी पहल |
अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट लॉन्च | 2021 |
नेशनल अकादमिक डिपॉजिटरी लॉन्च | 2017 |
प्रमुख चुनौती | डेटा गोपनीयता और डिजिटल पहुँच |