सुप्रीम कोर्ट में केस की स्वीकृति
8 अगस्त 2025 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट इंक. की अपील स्वीकार की। यह याचिका NCLAT के उस फैसले को चुनौती देती है जिसमें CCI के प्रमुख निष्कर्षों का समर्थन किया गया था कि गूगल ने एंड्रॉइड बाज़ार में प्रभुत्व का दुरुपयोग किया। सुप्रीम कोर्ट ने CCI और अलायंस डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (ADIF) की संबंधित याचिकाओं को भी स्वीकार कर लिया है। पूरी सुनवाई नवंबर 2025 में होगी।
स्टैटिक जीके तथ्य: भारत का सर्वोच्च न्यायालय 26 जनवरी 1950 को अस्तित्व में आया, जिसने फेडरल कोर्ट ऑफ इंडिया की जगह ली।
जाँच की शुरुआत कैसे हुई
CCI ने 2020 में जांच शुरू की जब कई ऐप डेवलपर्स और उद्योग संगठनों ने शिकायत दर्ज की। जांच से पता चला कि गूगल ने डेवलपर्स को गूगल प्ले बिलिंग सिस्टम (GPBS) का इस्तेमाल करने के लिए बाध्य किया और 15% से 30% कमीशन वसूला। लेकिन अपनी ही सेवा YouTube को इन शुल्कों से छूट दी गई।
स्मार्टफोन निर्माताओं को गूगल ऐप्स पहले से इंस्टॉल करने के लिए मजबूर करना भी प्रतिस्पर्धा के लिए बाधा बताया गया।
स्टैटिक जीके तथ्य: भारत ने 2002 में प्रतिस्पर्धा अधिनियम (Competition Act) लागू किया, जिसने आधुनिक एंटिट्रस्ट नियमन की नींव रखी।
CCI का जुर्माना और आदेश
CCI ने गूगल पर ₹936.44 करोड़ का जुर्माना लगाया। साथ ही गूगल को ऐप वितरण से अपने बिलिंग सिस्टम को अलग करने, बिलिंग डेटा पारदर्शिता सुनिश्चित करने और संवेदनशील डेटा का दुरुपयोग न करने का आदेश दिया। उद्देश्य था डेवलपर्स के लिए समान अवसर और उपभोक्ता हितों की सुरक्षा।
गूगल का पक्ष
गूगल ने CCI के निष्कर्षों को सख्ती से खारिज किया। उसने कहा कि एंड्रॉइड ओपन–सोर्स है और उपभोक्ताओं व निर्माताओं दोनों को लाभ पहुँचाता है। गूगल का तर्क था कि प्री-इंस्टॉल्ड ऐप्स उपयोगकर्ता की सुविधा के लिए हैं, न कि प्रतियोगियों को रोकने के लिए।
उसने दावा किया कि उसका बिलिंग सिस्टम सुरक्षित लेन–देन उपलब्ध कराता है और वैश्विक मानकों के अनुरूप है। YouTube को मिली छूट उसके अलग राजस्व मॉडल पर आधारित थी।
स्टैटिक जीके टिप: गूगल की स्थापना लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने 1998 में की थी, इसका मुख्यालय माउंटेन व्यू, कैलिफोर्निया में है।
NCLAT का आंशिक फैसला
NCLAT ने माना कि गूगल एंटीकॉम्पिटिटिव आचरण में शामिल था, लेकिन जुर्माना घटाकर ₹216.69 करोड़ कर दिया। कुछ आदेश सबूत की कमी से हटाए गए, परंतु बिलिंग पारदर्शिता और उपयोगकर्ता डेटा सुरक्षा से जुड़े निर्देश बहाल किए गए। अब गूगल, CCI और ADIF तीनों ने सुप्रीम कोर्ट में और स्पष्टता की मांग की है।
भारतीय डिजिटल स्पेस पर असर
यह केस भारत के डिजिटल इकोसिस्टम के लिए बेहद अहम है। अगर कोर्ट CCI के पक्ष में फैसला देता है तो डेवलपर्स को वैकल्पिक भुगतान विकल्प मिल सकते हैं, जिससे उपभोक्ताओं के खर्च में कमी आ सकती है। इससे डेटा गोपनीयता और ऐप वितरण में निष्पक्षता भी बढ़ सकती है।
हालाँकि, विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि कठोर नियम एंड्रॉइड प्लेटफ़ॉर्म को खंडित कर सकते हैं और डिवाइस अनुभव असंगत हो सकता है।
स्टार्टअप्स और वैश्विक टेक क्षेत्र के लिए महत्व
भारतीय स्टार्टअप्स के लिए यह केस बिग टेक के प्रभाव को सीमित करने का अवसर है। ADIF का कहना है कि गूगल की नीतियों ने स्थानीय कंपनियों को नुकसान पहुँचाया। यदि कोर्ट CCI के पक्ष में फैसला देता है तो छोटे स्टार्टअप्स की सौदेबाज़ी की ताकत बढ़ सकती है।
वैश्विक स्तर पर, यह मामला गूगल को अपनी एंड्रॉइड रणनीति बदलने पर मजबूर कर सकता है क्योंकि अन्य देशों के नियामक भी भारत के फैसले पर नज़र रख रहे हैं।
स्टैटिक जीके तथ्य: भारत का डिजिटल सेक्टर 50 लाख से अधिक प्रोफेशनल्स को रोजगार देता है, जो विश्व की सबसे बड़ी आईटी वर्कफोर्स में से एक है।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट की नवंबर 2025 सुनवाई तय करेगी कि भारत डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म प्रभुत्व से कैसे निपटेगा। चूँकि भारत में 95% से अधिक स्मार्टफोन एंड्रॉइड पर चलते हैं, फैसला सीधे करोड़ों उपभोक्ताओं को प्रभावित करेगा।
अगर कोर्ट CCI के पक्ष में जाता है तो भारत टेक रेग्युलेशन का वैश्विक मॉडल बन सकता है, जबकि गूगल के पक्ष में निर्णय से वर्तमान संरचना बनी रहेगी।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| मामला | गूगल एंड्रॉइड एंटिट्रस्ट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट समीक्षा |
| अपील दायर | 8 अगस्त 2025 |
| मुख्य प्राधिकरण | प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) |
| मूल जुर्माना | ₹936.44 करोड़ |
| घटा जुर्माना | ₹216.69 करोड़ |
| केंद्रीय आरोप | एंड्रॉइड सेवाओं में प्रभुत्व का दुरुपयोग |
| जांच शुरू | 2020 |
| अन्य याचिकाएँ | CCI और अलायंस डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (ADIF) |
| सुप्रीम कोर्ट सुनवाई | नवंबर 2025 |
| संभावित प्रभाव | ऐप भुगतान, लाइसेंसिंग नियम, स्टार्टअप प्रतिस्पर्धा, उपभोक्ता अधिकार |





