अगस्त 20, 2025 9:58 अपराह्न

केरल के उच्चभूमि में अनोखे मीठे पानी के केकड़ों की पहचान

चालू घटनाएँ: वेस्टर्न घाट, कसारगोडिया जीनस, कसारगोडिया शीबा, पिलार्टा वामन, मीठे पानी के केकड़े, केरल स्थानिकता, गेसार्सिनुसिडी, जैव विविधता हॉटस्पॉट, वैज्ञानिक जर्नल, संरक्षण चुनौतियाँ

Unique Freshwater Crabs Identified in Kerala Highlands

महत्वपूर्ण खोज

केरल विश्वविद्यालय और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर के शोधकर्ताओं ने वेस्टर्न घाट की ऊँचाई वाली धाराओं से एक नया जीनस और दो नई प्रजातियों के केकड़ों की खोज की है। यह खोज क्षेत्र की नाजुक लेकिन असाधारण जैव विविधता को रेखांकित करती है।

जीनस और नामकरण

नया जीनस कसारगोडिया नामित किया गया है और इसकी प्रमुख प्रजाति कसारगोडिया शीबा है, जो कसारगोड ज़िले में दर्ज की गई। एक अन्य प्रजाति पिलार्टा वामन की पहचान पथानामथिट्टा ज़िले में हुई। इन नामों की जड़ें स्थानीय भू-दृश्यों और सांस्कृतिक प्रतीकों से जुड़ी हैं, जो विज्ञान को परंपरा और विरासत से जोड़ती हैं।

स्टैटिक जीके तथ्य: वेस्टर्न घाट छह भारतीय राज्यों में फैला हुआ है और यह वैश्विक स्तर पर यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट के रूप में मान्यता प्राप्त है।

भौतिक विशेषताएँ

कसारगोडिया शीबा की पहचान भूरेनारंगी खोल, उस पर काले धब्बे और नारंगी छायाओं वाले पैरों से की जाती है। पिलार्टा वामन अपेक्षाकृत छोटा है, जिसका खोल चौकोर आकार का है। इसका नाम हिंदू देवता वामन से प्रेरित है, जो छोटे आकार का प्रतीक है। दोनों ही प्रजातियाँ ठंडी पर्वतीय धाराओं में पाई जाती हैं, जो उनकी सीमित पारिस्थितिक प्राथमिकता को दर्शाती है।

आवास विविधता

केरल का वेस्टर्न घाट मीठे पानी के केकड़ों में 70% तक स्थानिकता के लिए जाना जाता है। ये प्रजातियाँ ज्यादातर रात्रिचर होती हैं और गहरे बिलों में छिपी रहती हैं, जिसके कारण इनके बहुत कम नमूने पाए गए। इनकी दुर्लभता बताती है कि सूक्ष्म पारिस्थितिक निगरानी की तत्काल आवश्यकता है।

स्टैटिक जीके टिप: भारत में 125 से अधिक मीठे पानी के केकड़ों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें सबसे अधिक अनूठे रिकॉर्ड केरल से हैं।

पर्यावरणीय खतरे

कसारगोडिया शीबा और पिलार्टा वामन का आवास अत्यंत संवेदनशील है। पर्यटन गतिविधियाँ, भूमि उपयोग में बदलाव और धाराओं का प्रदूषण इनके अस्तित्व को खतरा पहुँचाते हैं। चूँकि ये प्रजातियाँ घासभूमि की शुद्ध जल प्रणालियों पर निर्भर करती हैं, इसलिए थोड़ी-सी गड़बड़ी भी इनके प्रजनन और जीवनकाल पर असर डाल सकती है। संरक्षण के ठोस कदम उठाना बेहद ज़रूरी है।

वैज्ञानिक महत्व

यह खोज एशिया में मीठे पानी के केकड़ों की टैक्सोनॉमी को समृद्ध करती है और पृथक पर्वतीय पारिस्थितिक तंत्र में प्रजातियों के विकास पर नई दृष्टि देती है। यह शोध Zootaxa और Journal of Crustacean Biology में प्रकाशित हुआ है, जिससे ये केरल की खोजें वैश्विक वैज्ञानिक मंच पर आईं।

स्टैटिक जीके तथ्य: गेसार्सिनुसिडी परिवार दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में पाए जाने वाले मीठे पानी के केकड़ों का समूह है, जिसमें भारत एक प्रमुख विविधता केंद्र है।

Static Usthadian Current Affairs Table

विषय विवरण
नया जीनस पहचाना गया कसारगोडिया
नई प्रजातियाँ कसारगोडिया शीबा, पिलार्टा वामन
खोज क्षेत्र केरल का वेस्टर्न घाट
टैक्सोनॉमिक परिवार गेसार्सिनुसिडी (Gecarcinucidae)
मुख्य लक्षण शीबा – नारंगी-भूरा खोल काले धब्बों के साथ; वामन – छोटा चौकोर खोल
केरल में स्थानिकता लगभग 70%
प्रमुख खतरे पर्यटन, आवास परिवर्तन, जल प्रदूषण
प्रकाशित जर्नल Zootaxa, Journal of Crustacean Biology
सांस्कृतिक संदर्भ वामन – हिंदू पौराणिक कथाओं से
वैश्विक महत्व वेस्टर्न घाट – यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज जैव विविधता हॉटस्पॉट
Unique Freshwater Crabs Identified in Kerala Highlands
  1. वैज्ञानिकों ने पश्चिमी घाट में नए जीनस कासरगोडिया की खोज की।
  2. दो नई प्रजातियाँ: कासरगोडिया शीबे और पिलार्टा वामन।
  3. केरल के कासरगोड और पथानामथिट्टा जिलों में पाए जाते हैं।
  4. कासरगोडिया शीबे का खोल नारंगी-भूरे रंग का होता है जिस पर काले धब्बे होते हैं।
  5. पिलार्टा वामन छोटा होता है, जिसका नाम भगवान वामन के नाम पर रखा गया है।
  6. पश्चिमी घाट यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है।
  7. केरल के मीठे पानी के केकड़ों में 70% स्थानिकता पाई जाती है।
  8. ये प्रजातियाँ ठंडी पहाड़ी धाराओं में रहती हैं।
  9. ये रात्रिचर और बिलों में रहने वाले होते हैं।
  10. भारत में मीठे पानी के केकड़ों की 125 से अधिक प्रजातियाँ हैं।
  11. केरल में सबसे अधिक स्थानिक केकड़ा प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  12. खतरे: पर्यटन, भूमि-उपयोग परिवर्तन, जलधारा प्रदूषण।
  13. प्रजातियों को जीवित रहने के लिए शुद्ध जलीय पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता होती है।
  14. ज़ूटाक्सा और जर्नल ऑफ क्रस्टेशियन बायोलॉजी में प्रकाशित।
  15. केकड़े गेकार्सिनुसिडे परिवार से संबंधित हैं।
  16. यह खोज विज्ञान को स्थानीय सांस्कृतिक प्रतीकवाद से जोड़ती है।
  17. पश्चिमी घाट की नाज़ुक जैव विविधता को दर्शाती है।
  18. केकड़े के विकास में नई अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
  19. भारत-सिंगापुर सहयोग से हुई खोज।
  20. संरक्षण कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

Q1. केरल में खोजी गई नये केकड़े की वंश (genus) का नाम क्या है?


Q2. कौन-सी दो नयी केकड़े की प्रजातियाँ पहचानी गईं?


Q3. कौन-से जिले में टाइप स्पीशीज़ कासरगोडिया शीबा दर्ज की गई?


Q4. पश्चिमी घाट को वैश्विक स्तर पर किस रूप में मान्यता प्राप्त है?


Q5. नये खोजे गये केकड़े किस कुल (family) से संबंधित हैं?


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