रूसी तेल की खरीद में उछाल
अगस्त 2025 में भारत का कच्चे तेल का आयात रूसी तेल पर अत्यधिक निर्भर रहा। आयात स्तर 20 लाख बैरल प्रतिदिन (bpd) तक पहुँच गया, जो देश के कुल कच्चे तेल आयात का 38% है। Kpler के आँकड़ों के अनुसार, जुलाई के 16 लाख bpd की तुलना में यह बड़ी बढ़ोतरी है, जो भारत की ऊर्जा रणनीति में लगातार बदलाव का संकेत देती है।
स्टैटिक जीके तथ्य: भारत, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है।
पश्चिम एशियाई आपूर्तिकर्ताओं से शिफ्ट
रूस के बढ़ते प्रभाव के बीच इराक और सऊदी अरब से आयात में गिरावट दर्ज की गई। इराक से आपूर्ति 9.07 लाख bpd से घटकर 7.3 लाख bpd, और सऊदी अरब से 7 लाख bpd से घटकर 5.26 लाख bpd रह गई। भारतीय रिफाइनर डिस्काउंटेड रूसी बैरल का लाभ उठाकर अपने पोर्टफोलियो को संतुलित कर रहे हैं।
स्टैटिक जीके तथ्य: 2022 तक इराक भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता था, जिसे बाद में रूस ने पीछे छोड़ दिया।
रूसी क्रूड का आर्थिक तर्क
भारत द्वारा रूसी क्रूड की खरीद का सबसे बड़ा कारण इसका छूट वाला मूल्य है। सस्ता तेल घरेलू ईंधन लागत नियंत्रित करता है, जिससे महँगाई स्थिर रहती है और आर्थिक वृद्धि सुरक्षित रहती है। ऊर्जा की किफ़ायत से औद्योगिक गतिविधियाँ और घरेलू खपत दोनों टिकाऊ रहती हैं।
स्टैटिक जीके टिप: भारत अपनी 85% कच्चे तेल की आवश्यकता आयात करता है, जिससे कीमतें वैश्विक रुझानों पर अत्यधिक निर्भर रहती हैं।
रणनीतिक ऊर्जा विविधीकरण
भारत की ऊर्जा रणनीति का एक और उद्देश्य आपूर्तिकर्ताओं का विविधीकरण है। रूस से बड़े पैमाने पर आयात करके भारत पश्चिम एशियाई देशों पर निर्भरता घटा रहा है। यह कदम अस्थिर वैश्विक बाज़ार में ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करता है।
भू-राजनीतिक संतुलन
भारत पर अमेरिका और यूरोपीय संघ लगातार रूसी तेल आयात घटाने का दबाव बना रहे हैं। फिर भी नई दिल्ली का रुख साफ है कि निर्णय राष्ट्रीय हित और ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिए जाते हैं। अधिकारी इसे अक्सर “बिज़नेस ऐज़ यूज़ुअल” बताते हैं, भले ही वैश्विक आलोचना जारी हो।
स्टैटिक जीके तथ्य: भारत के पास विशाखापट्टनम, मंगलुरु और पडूर में लगभग 5.33 मिलियन टन क्षमता के सामरिक पेट्रोलियम भंडार हैं।
वैश्विक ऊर्जा बाज़ार पर असर
भारत की रूसी तेल की तेज़ माँग, मॉस्को के लिए अहम सहारा है क्योंकि यह पश्चिमी प्रतिबंधों से हुए नुकसान की भरपाई करता है। दूसरी ओर, इराक और सऊदी अरब जैसे ओपेक देश एशियाई बाज़ार में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहे हैं। भारत को सस्ता तेल विकास को सहारा देता है, लेकिन रूस पर बढ़ती निर्भरता भविष्य में कूटनीतिक चुनौतियाँ पैदा कर सकती है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| अगस्त 2025 में रूसी तेल आयात | 20 लाख bpd |
| भारत की तेल टोकरी में रूसी तेल का हिस्सा | 38% |
| कुल कच्चा तेल आयात (अगस्त का पहला पखवाड़ा) | 52 लाख bpd |
| इराक से तेल आयात | 7.3 लाख bpd |
| सऊदी अरब से तेल आयात | 5.26 लाख bpd |
| रूस से पहले भारत का शीर्ष आपूर्तिकर्ता | इराक |
| सामरिक पेट्रोलियम भंडार स्थल | विशाखापट्टनम, मंगलुरु, पडूर |
| तेल खपत में भारत की वैश्विक रैंक | तीसरा |
| कुल आवश्यकता में कच्चे तेल आयात का हिस्सा | लगभग 85% |
| आयात डेटा स्रोत | Kpler (एनालिटिक्स फर्म) |





