पहल की शुरुआत
नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे (NFR) ने IIT गुवाहाटी के साथ मिलकर सिंगल-यूज़ प्लास्टिक को पर्यावरण–अनुकूल बायोडिग्रेडेबल विकल्पों से बदलने की पहल की है। यह कदम रेलवे परिचालन को सतत और जिम्मेदार बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण है और यात्री सेवाओं में पर्यावरणीय उत्तरदायित्व का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
रेलवे में पायलट प्रोजेक्ट
पहले चरण में, यात्रियों के लिए कम्पोस्टेबल बेड–रोल बैग शुरू किए गए हैं। ये बैग उन पारंपरिक प्लास्टिक पैकेजिंग की जगह ले रहे हैं जो अब तक लिनेन वितरण में उपयोग होती थीं। इस पहल से प्रतिदिन यात्रा करने वाले हजारों यात्रियों को सीधा लाभ मिलेगा और हानिकारक प्लास्टिक पर निर्भरता घटेगी।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारतीय रेलवे विश्व का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, जिसमें 68,000 किमी से अधिक मार्ग संचालित होते हैं।
बायोडिग्रेडेबल बैग की विशेषताएँ
IIT गुवाहाटी के R&D केंद्र में विकसित यह सामग्री पूरी तरह बायोडिग्रेडेबल और कम्पोस्टेबल है। यह कम समय में कम्पोस्ट में बदल जाती है और कोई हानिकारक अवशेष नहीं छोड़ती। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि यह रेलवे सुरक्षा और संचालन मानकों पर खरी उतरती है।
स्थैतिक जीके तथ्य: कम्पोस्टेबल सामग्री बायोडिग्रेडेबल से अलग होती है, क्योंकि यह नियंत्रित परिस्थितियों में 180 दिनों से कम समय में पूरी तरह नष्ट हो जाती है।
पर्यावरणीय लाभ
यह पहल भारतीय रेलवे के प्लास्टिक फुटप्रिंट को घटाती है और सतत कचरा प्रबंधन को बढ़ावा देती है। प्राकृतिक रूप से नष्ट होने वाली सामग्री मिट्टी और जल प्रदूषण रोकती है और भारत के सिंगल–यूज़ प्लास्टिक प्रतिबंध (1 जुलाई 2022) के साथ तालमेल रखती है।
पूर्वोत्तर के लिए रणनीतिक महत्व
पूर्वोत्तर क्षेत्र की संवेदनशील जैव विविधता और नाजुक पारिस्थितिकी को देखते हुए यह परियोजना और भी महत्त्वपूर्ण है। यहाँ सफलता मिलने पर इसे भारतीय रेलवे के राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जा सकता है।
स्थैतिक जीके तथ्य: नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे ज़ोन की स्थापना 1958 में गुवाहाटी (मालिगांव मुख्यालय) में हुई थी।
नवाचार में IIT गुवाहाटी की भूमिका
IIT गुवाहाटी के शोधकर्ता बायो–पॉलीमर्स और इको–फ्रेंडली पैकेजिंग पर अग्रणी काम कर रहे हैं। NFR के साथ उनका सहयोग यह दिखाता है कि शैक्षणिक शोध को बड़े पैमाने पर व्यावहारिक सेवाओं में कैसे बदला जा सकता है। यह मॉडल अन्य क्षेत्रों में भी सततता के लिए उद्योग–शिक्षा साझेदारी को प्रेरित कर सकता है।
स्थैतिक जीके तथ्य: IIT गुवाहाटी की स्थापना 1994 में हुई थी और यह भारत के शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों में से एक है।
आगे की दिशा
यह साझेदारी दर्शाती है कि सतत प्रौद्योगिकी कैसे दैनिक सार्वजनिक सेवाओं का स्वरूप बदल सकती है। यदि इसे पूरे भारतीय रेलवे में लागू किया गया तो यह दुनिया के सबसे बड़े परिवहन नेटवर्क के पर्यावरणीय प्रभाव को उल्लेखनीय रूप से घटा सकता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| पहल | NFR और IIT गुवाहाटी की साझेदारी बायोडिग्रेडेबल सामग्री के लिए |
| पायलट प्रोजेक्ट | ट्रेनों में प्लास्टिक बैग की जगह कम्पोस्टेबल बेड-रोल बैग |
| विकसित किया | IIT गुवाहाटी R&D केंद्र |
| मुख्य विशेषता | पूरी तरह बायोडिग्रेडेबल और कम्पोस्टेबल |
| पर्यावरणीय लाभ | प्लास्टिक फुटप्रिंट कम करना, मिट्टी व जल प्रदूषण रोकना |
| नीति संगति | भारत का सिंगल-यूज़ प्लास्टिक प्रतिबंध |
| रणनीतिक फोकस | पूर्वोत्तर क्षेत्र की नाजुक पारिस्थितिकी |
| संस्थागत भूमिका | IIT गुवाहाटी का बायो-पॉलीमर और इको-फ्रेंडली समाधान |
| भारतीय रेलवे का आकार | 68,000 किमी से अधिक मार्ग, विश्व के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक |
| भविष्य की दिशा | पूरे भारतीय रेलवे में बायोडिग्रेडेबल समाधान लागू करना |





