नया अंतरिक्ष शिक्षा केंद्र
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अरुणाचल प्रदेश के शि योमी ज़िले के मचुका गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल में एक आधुनिक स्पेस साइंस लैबोरेटरी स्थापित की है। यह परियोजना मुस्कान फाउंडेशन के सहयोग से तैयार की गई और इसका उद्घाटन 16 अगस्त 2025 को शिक्षा मंत्री पासंग दोरजी सोना ने किया।
प्रयोगशाला का उद्देश्य
यह केंद्र विद्यार्थियों को अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में व्यावहारिक प्रशिक्षण देने के लिए बनाया गया है। इसका उद्देश्य दूरदराज़ क्षेत्रों के छात्रों में जिज्ञासा, नवाचार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना है। अब ग्रामीण स्कूलों के छात्रों को भी वे अवसर मिलेंगे जो पहले केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित थे।
स्थैतिक जीके तथ्य: डॉ. विक्रम साराभाई को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा जाता है, और उन्होंने 1969 में ISRO की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नामकरण और सम्मान
इस प्रयोगशाला को शिक्षा मंत्री के दिवंगत पिता पासंग वांगचुक सोना को समर्पित किया गया है, जिन्होंने शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का साधन मानते हुए अपना जीवन समर्पित किया था।
क्षेत्र के लिए महत्व
दूरस्थ क्षेत्रों तक विज्ञान का विस्तार
अरुणाचल प्रदेश लंबे समय से कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और सीमित अवसंरचना के कारण उन्नत शिक्षा से वंचित रहा है। भारत-चीन सीमा के पास बसे मचुका में इस लैब की स्थापना ISRO के इस संकल्प को दर्शाती है कि वैज्ञानिक संसाधन देश के हर हिस्से तक पहुँचने चाहिए।
स्थैतिक जीके टिप: अरुणाचल प्रदेश को 20 फरवरी 1987 को राज्य का दर्जा मिला और यह भारत का 24वाँ राज्य बना।
स्थानीय युवाओं को प्रेरणा
यह केंद्र सीमावर्ती क्षेत्रों के छात्रों को एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा। यह पूर्वोत्तर भारत की बौद्धिक और तकनीकी क्षमता में दीर्घकालिक निवेश का प्रतीक है।
ISRO की राष्ट्रीय पहल
मचुका पहल ISRO की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है जिसका उद्देश्य पूरे देश में STEM शिक्षा और विज्ञान साक्षरता को बढ़ाना है। अन्य राज्यों में भी इस तरह की सुविधाएँ स्थापित की गई हैं ताकि छात्रों को सैटेलाइट विकास, अंतरिक्ष परियोजनाओं और नवाचार प्रतियोगिताओं से जोड़ा जा सके।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट 19 अप्रैल 1975 को सोवियत संघ की मदद से प्रक्षेपित किया गया था।
भविष्य की संभावनाएँ
यह नया केंद्र ग्रामीण छात्रों को हैंड्स–ऑन अनुभव दिलाएगा और भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए नई प्रतिभाओं की पाइपलाइन तैयार करेगा। यह लैब इस बात का प्रतीक है कि अंतरिक्ष शिक्षा को समावेशी और व्यापक बनाने के लिए भारत प्रतिबद्ध है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| उद्घाटन तिथि | 16 अगस्त 2025 |
| स्थान | मचुका, शि योमी ज़िला, अरुणाचल प्रदेश |
| उद्घाटनकर्ता | पासंग दोरजी सोना, शिक्षा मंत्री |
| साझेदार NGO | मुस्कान फाउंडेशन |
| सुविधा का नाम | पासंग वांगचुक सोना ISRO स्पेस लैबोरेटरी |
| समर्पित | पासंग वांगचुक सोना |
| उद्देश्य | दूरस्थ स्कूलों में STEM शिक्षा को बढ़ावा देना |
| क्षेत्रीय संदर्भ | भारत-चीन सीमा के निकट |
| ISRO स्थापना वर्ष | 1969 |
| भारत का पहला उपग्रह | आर्यभट्ट (1975) |





