खेल प्रशासन का नया ढांचा
राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक 11 अगस्त 2025 को लोकसभा और 12 अगस्त 2025 को राज्यसभा से पारित हुआ, जो भारत में खेल संस्थाओं को विनियमित करने के लिए एक समग्र कानूनी ढांचा तैयार करता है।
यह राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (NOC), राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति (NPC), राष्ट्रीय खेल महासंघ (NSFs) और क्षेत्रीय खेल महासंघ (RSFs) के गठन को अनिवार्य करता है, जो संबंधित अंतरराष्ट्रीय संगठनों से संबद्ध होंगे।
प्रत्येक राष्ट्रीय निकाय की सामान्य सभा में सभी संबद्ध इकाइयों को समान प्रतिनिधित्व मिलेगा और कार्यकारी समिति में अधिकतम 15 सदस्य होंगे, जिनमें कम से कम 2 वरिष्ठ खिलाड़ी और 4 महिलाएं शामिल होंगी।
स्थैतिक जीके तथ्य: इससे पहले स्पोर्ट्स कोड 2011 खेल प्रशासन का मार्गदर्शन करता था, लेकिन इसके लिए कोई अलग कानून नहीं था।
संरचनात्मक निगरानी और विवाद समाधान
राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) सर्वोच्च प्राधिकरण होगा, जो राष्ट्रीय निकायों को मान्यता देगा, संबद्ध इकाइयों का रजिस्टर रखेगा, आचार संहिता जारी करेगा और आवश्यक होने पर निकायों को निलंबित कर सकेगा।
राष्ट्रीय खेल अधिकरण, जिसे सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान या पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित किया जाएगा, खेल संबंधी विवादों का निपटारा करेगा। ऐसे मामलों में सिविल अदालतों का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं होगा और अपील केवल सुप्रीम कोर्ट में होगी।
स्थैतिक जीके तथ्य: कबड्डी और वॉलीबॉल जैसे महासंघों में विवादों ने अतीत में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं रोक दी थीं।
चुनाव निगरानी और केंद्र की शक्तियां
राष्ट्रीय खेल चुनाव पैनल का गठन होगा, जो चुनाव अधिकारियों के पैनल का प्रबंधन करेगा ताकि खेल संस्थाओं में पारदर्शी चुनाव हो सकें।
केंद्र सरकार जनहित या किसी विशेष खेल के प्रोत्साहन के लिए विशेष संगठनों को कुछ प्रावधानों से छूट दे सकती है।
स्थैतिक जीके तथ्य: पहले ऐसे ही प्रावधानों का उपयोग करके BCCI को सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया था।
एंटी-डोपिंग एजेंसी को अधिक स्वायत्तता
राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग (संशोधन) विधेयक, 2025 ने राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग एजेंसी (NADA) और राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग अपील पैनल की स्वतंत्रता को मजबूत किया।
अपील पैनल, अनुशासन पैनल के फैसलों के खिलाफ मामलों की सुनवाई करेगा और यह खेल महासंघों, ओलंपिक/पैरालंपिक समितियों, मंत्रालयों या अन्य निकायों से स्वतंत्र रहेगा।
अंतरराष्ट्रीय एंटी-डोपिंग मानकों के अनुरूपता
विधेयक ने विश्व एंटी-डोपिंग कोड (WADA Code) की परिभाषाओं को अनुसूची में सम्मिलित कर उन्हें कानून का दर्जा दिया।
CAS (कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट) में अपील का अधिकार केवल WADA, IOC, IPC और अंतरराष्ट्रीय महासंघों जैसे निकायों को होगा, हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर के मामलों में प्रभावित पक्ष और WADA सीधे CAS में अपील कर सकेंगे।
स्थैतिक जीके तथ्य: CAS का मुख्यालय लॉज़ेन, स्विट्ज़रलैंड में है और यह अंतरराष्ट्रीय खेल विवादों का सर्वोच्च प्राधिकरण है।
परीक्षण प्रयोगशालाओं के लिए WADA मान्यता अनिवार्य होगी और कार्रवाई से पहले NADA परीक्षण रिपोर्ट में किसी भी प्रक्रिया संबंधी त्रुटि की पुष्टि करेगा।
महत्व और राजनीतिक संदर्भ
खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने इन सुधारों को पारदर्शिता, नैतिकता और भारत के ओलंपिक लक्ष्यों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया।
वयोवृद्ध खिलाड़ी पी.टी. उषा ने कहा कि यह विधेयक खेल प्रशासन में दशकों से चली आ रही ठहराव की स्थिति को खत्म करेगा।
आलोचकों ने हालांकि अत्यधिक केंद्रीकरण और RTI छूट के कारण पारदर्शिता में कमी की आशंका जताई है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| शासन विधेयक पारित होने की तिथियां | लोकसभा: 11 अगस्त 2025, राज्यसभा: 12 अगस्त 2025 (प्रस्ताव: 23 जुलाई 2025) |
| स्थापित निकाय | NOC, NPC, NSFs, RSFs |
| निगरानी तंत्र | राष्ट्रीय खेल बोर्ड, राष्ट्रीय खेल अधिकरण, चुनाव पैनल |
| एंटी-डोपिंग स्वायत्तता | NADA को स्वतंत्रता; अपील पैनल को शक्ति |
| अंतरराष्ट्रीय अनुरूपता (एंटी-डोपिंग) | WADA कोड परिभाषाएं, CAS अपील, WADA लैब मान्यता अनिवार्य |
| प्रमुख विरोध बिंदु | BCCI के लिए RTI छूट; केंद्रीकरण पर चिंता |





