बड़े पैमाने पर वन आवरण में गिरावट
आईआईटी बॉम्बे के हालिया अध्ययन से पता चला है कि 2015 से 2019 के बीच भारत ने जितना वन क्षेत्र प्राप्त किया, उससे 18 गुना अधिक वन क्षेत्र खो दिया।
प्रो. राज रामसन्करन के नेतृत्व में डॉ. वासु सत्यकुमार और सास्त्रा डीम्ड यूनिवर्सिटी के श्रीधरन गौथम के साथ किए गए इस शोध में बताया गया है कि विखंडित वन वृद्धि गंभीर पारिस्थितिक जोखिम पैदा कर रही है।
स्थैतिक जीके तथ्य: फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया 2021 रिपोर्ट के अनुसार, भारत का दर्ज वन क्षेत्र उसके भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 24.62% है।
डेटा के मुख्य बिंदु
अध्ययन के अनुसार, शुद्ध वन वृद्धि केवल 56.3 वर्ग किमी रही, जबकि 1,032.89 वर्ग किमी का नुकसान हुआ। यानी हर 1 वर्ग किमी वृद्धि पर 18 वर्ग किमी का नुकसान हुआ।
यह डेटा कोपरनिकस ग्लोबल लैंड सर्विस (CGLS) से लिया गया, जिसकी सटीकता 85% से अधिक है।
कुल वृद्धि का लगभग आधा हिस्सा आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और राजस्थान में हुआ, जबकि कुल हानि का लगभग आधा हिस्सा तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में केंद्रित रहा।
विखंडित वृद्धि का कम पारिस्थितिक मूल्य
अध्ययन में चेतावनी दी गई कि अधिकांश वृद्धि छोटे, अलग-थलग पैच में हुई है। ऐसे विखंडित वन समृद्ध जैव विविधता को बनाए नहीं रख सकते, वन्यजीव गलियारों को बाधित करते हैं और जलवायु दबाव एवं मानव अतिक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत का सबसे बड़ा सतत वन क्षेत्र पश्चिमी घाट में है, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
कनेक्टिविटी क्यों जरूरी है
सतत वन कार्बन अवशोषण, जल नियमन और वन-आधारित आजीविका बनाए रखने में अधिक लाभ देते हैं। बाघ जैसे बड़े शिकारी प्राणियों को जीवित रहने के लिए अबाधित गलियारों की आवश्यकता होती है।
अध्ययन में मात्रा-आधारित वनीकरण से हटकर संरचनात्मक कनेक्टिविटी सुधारने वाली रणनीतियों की सिफारिश की गई है।
सरकारी आंकड़ों से अंतर
इस अध्ययन के विपरीत, फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) की रिपोर्ट में कुल वन आवरण में वृद्धि दिखाई गई है। यह अंतर पद्धतियों के कारण है—FSI 23.5 मीटर रेज़ॉल्यूशन पर 10% कैनोपी थ्रेशोल्ड का उपयोग करता है, जबकि CGLS 100 मीटर रेज़ॉल्यूशन पर 15% थ्रेशोल्ड और कनेक्टिविटी को भी ध्यान में रखता है।
स्थैतिक जीके टिप: फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया हर दो साल में स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट प्रकाशित करता है।
नया योजना ढांचा
शोधकर्ताओं ने रिमोट सेंसिंग डेटा और ओपन-सोर्स जीआईएस टूल का उपयोग कर कनेक्टिविटी मैपिंग का सुझाव दिया है, ताकि नीति-निर्माता लचीले वनीकरण कार्यक्रम बना सकें। यह ढांचा संरक्षण को दीर्घकालिक पारिस्थितिक स्वास्थ्य के साथ जोड़ सकता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| तथ्य | विवरण | 
| अध्ययन संस्थान | आईआईटी बॉम्बे और सास्त्रा डीम्ड यूनिवर्सिटी | 
| अध्ययन अवधि | 2015–2019 | 
| शुद्ध वन वृद्धि | 56.3 वर्ग किमी | 
| वन हानि | 1,032.89 वर्ग किमी | 
| हानि-लाभ अनुपात | 18:1 | 
| डेटा स्रोत | कोपरनिकस ग्लोबल लैंड सर्विस (CGLS) | 
| सबसे अधिक वृद्धि वाले राज्य | आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान | 
| सबसे अधिक हानि वाले राज्य | तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल | 
| FSI कैनोपी थ्रेशोल्ड | 10% (23.5 मीटर रेज़ॉल्यूशन) | 
| CGLS कैनोपी थ्रेशोल्ड | 15% (100 मीटर रेज़ॉल्यूशन) | 
				
															




